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विज्ञानब्रिटेन

पुरुषों को क्यों नहीं दिखते घर के काम?

२३ दिसम्बर २०२२

एक शोध में इस सवाल का जवाब खोजा गया कि पुरुषों को घर के काम नजर ही क्यों नहीं आते. घर के कामों में गैरबराबरी को समझने के लिए यह शोध हुआ.

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Kamerun l Frau beim Kochen
तस्वीर: Nicolas Marino/imago images

घर के काम अक्सर महिलाओं के जिम्मे ही रहते हैं, तब भी जबकि पुरुष काम करना चाहते हों. ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब ब्रिटेन की केंब्रिज यूनिवर्सिटी के दार्शनिकों ने खोजा है. वे कहते हैं कि कामों को किस तरह समझा जाता है, महिला और पुरुषों इस मामले में अलग-अलग होते हैं.

जब महिलाएं रसोई में गंदा काउंटर देखती हैं तो उन्हें ऐसी जगह नजर आती है जिसे साफ किया जाना चाहिए जबकि पुरुषों के लिए यह बस ऐसी जगह हो सकती है जिस पर ब्रेड के टुकड़े वगैरह पड़े हैं. शोधकर्ताओं की यह रिसर्च प्रतिष्ठित पत्रिका फिलॉसफी एंड फिनोमेनोलॉजिकल रिसर्च में छपी है.

शोधकर्ता कहते हैं कि उन्होंने महामारी के दौरान महिलाओं और पुरुषों द्वारा घरेलू मोर्चे पर बिताए गए वक्त के बारे में जानकारी और आंकड़े जुटाए. इस दौरान उन्होंने दो सवालों के जवाब खोजे. महिलाएं क्यों पुरुषों से ज्यादा काम अपने हाथ में ले लेती हैं और पुरुषों को क्यों लगता है कि वे जिम्मेदारियां बराबर बांट रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है.

कायम है गैर-बराबरी

महामारी के दौरान अमेरिकी घरों में हुए एक सर्वे में पता चला कि 70 फीसदी महिलाएं घर के लिए पूरी तरह या ज्यादातर जिम्मेदार रहीं. बच्चों की देखभाल भी 66 फीसदी मामलों में महिलाओं के जिम्मे ही रही. जब महामारी नहीं थी, तब भी काम के बंटवारे का अनुपात लगभग ऐसा ही रहता है.

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केंब्रिज यूनिवर्सिटी के इतिहास और दर्शन विभाग के टॉम मैक्क्लीलैंड कहते हैं कि घर की जिम्मेदारियों के बंटवारे में असमानता बनी हुई है और पुरुषों को इसका अहसास तक नहीं है, इसलिए इस बारे में पारंपरिक विश्लेषण काफी नहीं है.

शोधकर्ता कहते हैं कि ‘अफोर्डेंस थिअरी' से इन सवालों के जवाब दिए जा सकते हैं. यह सिद्धांत कहता है कि लोग किसी चीज को कैसे देखते-समझते हैं, इस बात पर निर्भर करता है कि वे काम कैसे करेंगे. जे जे गिब्सन द्वारा दिया गया यह सिद्धांत कहता है कि दुनिया की व्याख्या सिर्फ चीजों के आकार के रूप में नहीं की जा सकती बल्कि यह भी जरूरी है कि उन चीजों को कैसे देखा जाता है.

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मैक्क्लीलैंड का शोध कहता है कि जब एक महिला रसोई में जाती है तो उसे बिना धुले बर्तन या खाली फ्रिज नजर आने की संभावना ज्यादा होती है. हालांकि शोधकर्ता स्पष्ट करते हैं कि यह शोध पुरुषों के लिए किसी तरह का बहाना खोजने या उन्हें माफी देने के लिए नहीं है.

पितृत्व अवकाश की मिसाल

मैक्क्लीलैंड कहते हैं कि किसी चीज को कैसे देखा जाता है, यह अभ्यास पर निर्भर करता है और लोग अभ्यास से अच्छी आदतें सीख सकते हैं. उन्होंने कहा, "अगर आप पानी उबाल रहे हैं तो उसी वक्त देखें कि आसपास सफाई की जरूरत तो नहीं है. धीरे-धीरे आपको अलग से सोचना नहीं पड़ेगा क्योंकि गंदगी आपको नजर आने लगेगी. बिखरे हुए ब्रेड के टुकड़े आपका ध्यान खींचने लगेंगे और कहने लगेंगे कि हमें साफ करो.”

मैक्क्लीलैंड कहते हैं कि शोध का मकसद इस पूरी प्रक्रिया को अकादमिक नजरिये से समझना और पिता बनने पर मिलने वाली छुट्टियों संबंधी नीतियों जैसे उन क्षेत्रों को प्रभावित करना है, जहां इसकी जरूरत है.

उन्होंने कहा, "पितृत्व अवकाश के बारे में एक अहम बात यह है कि इसे सिर्फ बच्चे की देखभाल से जुड़े कामों के बंटवारे की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. (बच्चे की देखभाल के) वे शुरुआती महीने असल में भविष्य में उससे जुड़े कामों के लिए तैयार करने के लिए हैं. अगर एक पुरुष को ज्यादा लंबी छुट्टियां मिलती हैं तो देखभाल के लिए काम करने का उसका ज्यादा अभ्यास होगा और तब भविष्य में कामों का ज्यादा समान बंटवारा होगा.”

वीके/सीके (एएफपी)