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पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन का वीभत्स चेहरा

चारु कार्तिकेय
१ सितम्बर २०२२

पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा भीषण बाढ़ की चपेट में है. लाखों एकड़ में फसलों के डूब जाने से खाद्य संकट की आशंका बढ़ती जा रही है. जानकार इसे लेकर जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में दुनिया को चेता रहे हैं.

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बाढ़ की चपेट में पाकिस्तान
पाकिस्तान में बाढ़तस्वीर: DW

पाकिस्तान की सरकार का अंदाजा है कि बाढ़ से देश में कम से कम तीन करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और 1000 से भी ज्यादा लोग मारे गए हैं. सरकार का कहना है कि आर्थिक नुकसान का सही अनुमान अभी लगाना मुश्किल है लेकिन प्राथमिक आंकलन से लग रहा है कि कम से कम 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.

बाढ़ में घर, दुकानें, सड़कें, पुल सब ढह गए हैं. लाखों एकड़ में फैली फसल भी डूब गई है, जिसकी वजह से निकट भविष्य में खाद्य संकट के पैदा होने की संभावना का भी अंदेशा है. अभी भी सिंधु नदी से और पानी नीचे की तरफ बह रहा है जिससे देश के दक्षिणी इलाकों में और बाढ़ आ सकती है.

(पढ़ें: भारत से फिर व्यापार शुरू कर सकता है बाढ़ का मारा पाकिस्तान)

खतरे में लाखों लोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 64 लाख से भी ज्यादा लोगों को मदद की बेहद जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र ने मदद के लिए 16 करोड़ डॉलर की अपील की है. बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि लाखों बच्चों और गर्भवती महिलाओं के ऊपर डूबने, जलप्रसारित बीमारियों के होने और कुपोषण का खतरा मंडरा रहा है.

इंसानी विकास की कीमत चुकाता हिमालयी इलाका

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के मुताबिक करीब छह लाख गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है. संस्था की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उम्मीद है कि अगले ही महीने करीब 73,000 महिलाएं बच्चों को जन्म देंगी और ऐसे में कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी.

यूएनएफपीए ने यह भी कहा कि लाखों महिलाओं और लड़कियों को लिंग-आधारित हिंसा का भी खतरा है, विशेष रूप से उन इलाकों में जहां परिवार अस्थायी टेंट आश्रयों में रह रहे हैं. वहां इन परिवारों के पास शौचालय और अन्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं.

(पढ़ें: पाकिस्तान में बाढ़ से तबाही)

भारी कीमत

संयुक्त राष्ट्र ने इसे "अभूतपूर्व जलवायु संकट" बताया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक ट्वीट में कहा, "हम जलवायु परिवर्तन की वजह से अपने ग्रह के सर्वनाश की तरफ आंखें बंद कर बढ़ रहे हैं. आज, पाकिस्तान है. कल, आपका देश हो सकता है."

वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक के मुताबिक पाकिस्तान दुनिया को गर्म करने वाली गैसों के सिर्फ एक प्रतिशत उत्सर्जन का जिम्मेदार है, लेकिन इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. आर्कटिक ध्रुवीय क्षेत्र के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा ग्लेशियर पाकिस्तान में ही हैं और विशेषज्ञों का कहना है कि यह तबाही उन्हीं के पिघलने की वजह से हो रही है.

सीके/एए (डीपीए, रॉयटर्स, एपी)

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