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आपदाएशिया

पाकिस्तान में बाढ़ से तबाही

२९ अगस्त २०२२

पाकिस्तान में बाढ़ से 1,000 से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और तीन करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. इन हालात की 2010 की त्रासदी से तुलना की जा रही है जब 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

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बाढ़ में डूबा हुआ पाकिस्तान की स्वात घाटी का मिंगोरा कस्बा
पाकिस्तान की स्वात घाटी में बाढ़तस्वीर: Abdul Majeed/AFP

मानसून की बारिश से पाकिस्तान की कई नदियों में ऐसी बाढ़ आई है कि उससे देश के कई इलाकों में भारी तबाही हुई है. तीन करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, 10 लाख से ज्यादा घर या तो टूट गए हैं या उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है और जून से लेकर अभी तक 1,000 से ज्यादा लोगों को मौत हो गई है.

आशंका है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. उत्तर में उफान पर बह रही नदियों की वजह से कई सड़कें और पुल बह गए हैं और सैकड़ों गांव बाकी देश से कट गए हैं. कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि देश के 150 जिलों में से 110 प्रभावित हैं.

(पढ़ें: असम में बाढ़ का कहर, लाखों लोग चपेट में)

पाकिस्तान में बाढ़
बलूचिस्तान में बाढ़ के बीच सैटलाइट पर सवार बच्चेतस्वीर: Fida Hussain/AFP

अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील

सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में बाढ़ का असर सबसे भीषण है. पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा भी प्रभावित हुए हैं. जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने इस बारिश को "इस दशक का राक्षस मानसून" बताया है.

सरकार ने इसे आपातकाल घोषित कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है. काफी बड़े स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है और अंतरराष्ट्रीय मदद के पहुंचने की शुरुआत भी हो चुकी है. तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात से मदद लिए पहली उड़ानें पाकिस्तान पहुंच चुकी हैं.

इस बार मानसून में देश में बारिश तो जून से ही हो रही है, लेकिन अगस्त में सामान्य से ढाई गुना ज्यादा बारिश हुई है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान के मौसम विभाग ने बताया है कि जहां 50.4 मिलीमीटर बारिश का अनुमान था वहीं 176.8 मिलीमीटर बारिश हुई है.

बाढ़ के खिलाफ हथियार बने बांस

सरकार की जवाबदेही

पूरे मौसम में अभी तक देश में 354.3 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य बारिश तीन गुना कम 113.7 रहती है. पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा था कि उसने पाकिस्तान में अपनी सहायता एजेंसियों और उनके साझेदारों के लिए तीस लाख डॉलर का आबंटन किया है.

(पढ़ें: जलवायु परिवर्तनः भारत के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति)

इस धनराशि का इस्तेमाल बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य, पोषण, खाद्य सुरक्षा, पानी और सफाई संबंधी सेवाओं के लिए किया जाएगा. शेरी रहमान और वैज्ञानिकों के मुताबिक ये हालात मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हुए हैं. लेकिन आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार की नए बांध और जलाशय बनाने में कोई रुचि नहीं है.

सीके/एए (एपी, एएफपी)

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