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क्रांति का शिकार हुए पत्रकार

१६ फ़रवरी २०११

अमेरिकी टेलिविजन चैनल सीबीएस ने कहा है कि उसकी पत्रकार लारा लोगान की काहिरा में भीड़ ने पिटाई की और उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया. अस्पताल में लारा की हालत सुधर रही है. पिछले साल काम के दौरान 44 पत्रकारों की मौत हुई.

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काहिरा में प्रदर्शनतस्वीर: picture alliance/dpa

अमेरिकी नेटवर्क ने एक बयान में कहा है कि 39 वर्षीया लोगान शुक्रवार को सीबीएस के 60 मिनट्स प्रोग्राम के लिए मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के इस्तीफे के बाद तहरीर स्क्वैयर पर विपक्ष द्वारा मनाई जा रही खुशी को कवर कर रही थी. उसे और अन्य कर्मियों को 200 लोगों की भीड़ ने घेर लिया. भीड़ में वह अपने साथियों से अलग हो गई और घिर गई. नेटवर्क ने कहा है कि महिलाओं के एक समूह और सैनिकों द्वारा बचाए जाने से पहले लोगान को बर्बर और यौन हमले और पिटाई का सामना करना पड़ा.

Ägypten Kairo Proteste Demonstranten
जमीन पर पत्रकारतस्वीर: picture alliance/dpa

लोगान ने 2001 में अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाले युद्ध के समय ब्रिटेन के जीएमटीवी के लिए युद्ध संवाददाता के रूप में नाम कमाया. बाद में उन्होंने इराक युद्ध पर भी रिपोर्ट की. वे 2002 से सीबीएस न्यूज के साथ हैं.

मीडिया निगरानी संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स सीपीजे ने कहा है कि मुबारक विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 52 पत्रकारों पर हमला हुआ और 76 को गिरफ्तार किया गया. इस बीच उन सबकों रिहा कर दिया गया है. सीपीजे के अनुसार एक पत्रकार अहमद मोहम्मद महमूद तहरीर स्क्वैयर पर झगड़ों को फिल्माने के दौरान मारे गए.

सीपीजे ने 100 देशों में पत्रकारों की कार्य परिस्थितियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि 2010 में 44 पत्रकार मारे गए और 145 को गिरफ्तार किया गया. पत्रकारों की मौत के मामलों में 2009 के मुकाबले भारी कमी हुई है जब 71 पत्रकार मारे गए थे. इस बड़ी संख्या की वजह फिलीपींस में हुआ हत्याकांड था जिसमें एक मामले में कम से कम 34 पत्रकार मारे गए थे.

सीपीजे के अनुसार 2010 में पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश रहा जहां 8 पत्रकार मारे गए. इराक में 5 और इंडोनेशिया, मेक्सिको तथा होंडुरास में 3-3 पत्रकारों की काम के दौरान मौत हुई.

रिपोर्ट में इंटरनेट पत्रकारिता के बढ़ते महत्व की चर्चा की गई है. सीपीजे के अनुसार 67 इंटरनेट पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया जिनकी रिपोर्टें मुख्य रूप से इंटरनेट में छपी थी. सीपीजे ने कहा है कि इंटरनेट पत्रकरों पर हमलों को मॉनीटर किए जाने की जरूरत है क्योंकि उनमें साइबर हमले और वेबसाइट पर होने वाले हमले भी शामिल हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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