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मिस्र में सेना की अपील, काम पर लौटें लोग

१४ फ़रवरी २०११

मिस्र में सेना ने हड़ताली कर्मचारियों से काम पर लौट आने की अपील की. देश में हजारों कर्मचारियों भ्रष्टाचार और वेतन बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर हड़ताल पर. सेना ने कहा है कि नाजुक समय में हड़ताल से देश की सुरक्षा को खतरा है.

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तस्वीर: AP

शुक्रवार को हुस्नी मुबारक के पद छोड़ने के बाद सत्ता संभाल रही सेना की सर्वोच्च परिषद ने श्रमिक नेताओं से हड़ताल को समाप्त करने का आग्रह किया है. यह सेना का पांचवां बयान था. हालांकि सेना ने विरोध प्रदर्शनों और हड़ताल पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. ऐसी आशंकाएं थीं कि सरकार हड़ताल पर पाबंदी लगा देगी.

काहिरा में मार्च करते डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों से सेना ने अपनी अपील में कहा, "देश में जनजीवन धीरे धीरे सामान्य हो रहा है लेकिन कुछ सरकारी विभागों के कर्मचारी अब भी हड़ताल कर रहे हैं. इस घड़ी में देश के सभी नागरिकों को एक साथ आना चाहिए."

सेना ने कहा कि इस नाजुक समय में अगर विरोध प्रदर्शन जारी रहते हैं तो इससे देश की सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. सेना के मुताबिक हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचता है और सरकार के सामने मुश्किलें पेश आती हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

कई दिनों तक चले प्रदर्शनों के बाद जब से हुस्नी मुबारक राष्ट्रपति पद से हटे हैं तभी से ही मिस्र में वेतन में बढ़ोत्तरी को लेकर हो रही हड़तालों की बाढ़ आ गई है. बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट, तेल, पर्यटन, टेक्सटाइल, मीडिया और अन्य सरकारी संस्थानों के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं. लोग अपने लिए बेहतर वेतन और माहौल की मांग कर रहे हैं.

सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन एंड वर्कर्स सर्विसेज के कमाल अब्बास ने बताया, "अभी यह कहना मुश्किल है कि कितने लोग हड़ताल कर रहे हैं और कौन हड़ताल नहीं कर रहा है." अधिकतर ट्रेड यूनियन हुस्नी मुबारक की सरकार से जुड़ी रही हैं जिससे कर्मचारियों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है यह बताने के लिए कि उनकी परेशानियां क्या हैं.

कमाल अब्बास के मुताबिक अधिकतर विभागों में कर्मचारी चाहते हैं कि वरिष्ठ पदों पर बैठे ऐसे अधिकारियों को हटाया जाए जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. एक ही संस्थान में अलग अलग पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों की तनख्वाह में अंतर है और यह असंतोष की वजह है. अधिकारियों को मोटा वेतन मिलता है जबकि निचले स्तर के कर्मचारियों को उतना नहीं मिल पाता. कई सालों तक अस्थाई कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी अब कंपनी से बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.

दो हफ्तों से ज्यादा समय तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को सत्ता से हटना पड़ा. हिंसक प्रदर्शनों में संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक 300 लोगों की मौत हुई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एस गौड़

संपादनः ए जमाल

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