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इस्राएली प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐतिहासिक मुकदमा

२५ मई २०२०

इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे का मकसद एक मजबूत दक्षिणपंथी नेता को गिराना बताया है. नेतन्याहू ने देश की न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

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Israeli Kabinettsitzung | Benjamin Netanjahu
तस्वीर: Reuters/A. Sultan

बेन्यामिन नेतन्याहू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनके खिलाफ पद पर रहते हुए मुकदमा चल रहा है. इस मुकदमे की लंबे समय से प्रतीक्षा थी मगर इसने देश को असहज स्थिति में डाल दिया है. रविवार को पहली सुनवाई में अभियुक्तों से पूछा गया कि क्या उन्होंने उन पर लगे आरोपों को पढ़ और समझ लिया है. कई सालों की जांच के बाद यह ऐतिहासिक मौका आया है. हालांकि नेतन्याहू के बचाव पक्ष का कहना है कि उन्हें आरोपों को पढ़ने और उसका जवाब तैयार करने में कम से कम 2-3 महीने लगेंगे. अटॉर्नी मिशा फेटमान ने दलील दी कि यह "समय हासिल करने" के लिए कोई तिकड़म नहीं है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि कथित मामले में 20 हजार से ज्यादा दस्तावेज हैं. बचाव पक्ष ने अदालत से यह भी कहा कि वह अभियोजन के गवाहों को इंटरव्यू देने से रोके. उनका कहना है कि ऐसा नहीं हुआ तो यह मामला एक "सर्कस" में बदल जाएगा. 

Israel Jerusalem Polizei vor Konvoi von Ministerpräsident Netanjahu vor Gerichtsverfahren
तस्वीर: AFP/M. Kahana

रविवार को प्रकाशित कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि अभियोजन ने वादा किया है कि वह अपने गवाहों को मीडिया में बात करने से रोकेगा. मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी, हालांकि नेतन्याहू का इसमें मौजूद रहना जरूरी नहीं होगा. अभियोजक लिया बेन आरी का कहना है कि उन्हें नेतन्याहू के शुरुआती सुनवाई में शामिल नहीं होने पर कोई आपत्ति नहीं है.

सुनवाई के पहले दिन अदालत में दाखिल होने से पहले नेतन्याहू ने नाराज स्वर में कहा, "लक्ष्य एक मजबूत दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री को पद से हटाना है." अपनी ताकत और समर्थन को दिखाने के लिए उन्होंने दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के सभी वरिष्ठ मंत्रियों से अपने पीछे खड़ा कर रखा था. नेतन्याहू का कहना है, "मेरे खिलाफ यह जाली और भ्रांति फैलाने वाले मुकदमे के लिए पुलिस और अभियोजक वामपंथी पत्रकारों के साथ मिल गए हैं, लेकिन मैं कोई पिल्ला नहीं हूं."

उन्होंने मांग रखी है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे का सीधा प्रसारण किया जाए ताकि लोग देख सकें कि मैं निर्दोष हूं. यरुशलम की जिला अदालत में उन्होंने कहा, "लीक की बजाए मैं सरल समाधान बताता हूंः सबकुछ प्रसारित किया जाएगा, पूरा, बिना किसी एडिटिंग, काट छांट या सेंसरशिप के." मुकदमे के चलते रहने तक देश का नेतृत्व करने की शपथ लेते हुए उन्होंने इस कार्यवाही को "तख्तापलट की कोशिश" कहा.

न्यायपालिका पर हमला

Israel Jerusalem Ministerpräsident Netanjahu vor Gericht
तस्वीर: Reuters/R. Zvulun

नेतन्याहू ने संकेत किया कि उनके खिलाफ आरोप दायर करने वाले अटॉर्नी जनरल अविचाई मांडेलब्लिट "कुछ छिपा" रहे हैं. उधर मांडेलब्लिट ने बयान जारी कर कहा है, "अभियोजन के गुप्त मंसूबों की बात करने वाली सभी कोशिशों को सिरे से खारिज किया जाना चाहिए." जिस वक्त सुनवाई चल रही थी उस वक्त कोर्ट के बाहर और सिटी सेंटर में मौजूद नेतन्याहू के आवास के बाहर सैकड़ों की तादाद में लोग प्रदर्शन करने जमा हुए थे. कोर्ट के बाहर पुलिस ने उन्हें कुछ दूरी पर रोक रखा था. ये लोग इस्राएल के न्याय तंत्र के खिलाफ नारे लगा रहे थे. इनके हाथों में देश का झंडा और तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, "बीबी हम तुम्हें प्यार करते हैं. बीबी तुम अकेले नहीं हो." नेतन्याहू को देश में लोग इसी उपनाम से बुलाते हैं.

इस्राएल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे नेतन्याहू पर इसी साल जनवरी में आधिकारिक रूप से घूसखोरी, जालसाजी और भरोसा तोड़ने का आरोप लगा. 70 साल के नेतन्याहू पर सकारात्मक मीडिया कवरेज के बदले राजनीतिक लाभ की पेशकश करने के आरोप लगे. आरोप है कि उन्होंने अमीर कारोबारियों से शैंपेन, सिगार समेत दूसरे तोहफों के बदले उनकी मदद की. नेतन्याहू बार बार इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.

राष्ट्रीय सरकार के मुखिया

मुकदमा शुरू होने के एक हफ्ते पहले ही नेतन्याहू को देश की आपातकालीन एकीकृत सरकार के मुखिया के रूप में शपथ दिलाई गई है. इस सरकार के लिए उनकी लिकुड पार्टी, मध्यमार्गी ब्लू पार्टी और उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी बेनी गांत्स की व्हाइट अलायंस के बीच समझौता हुआ है. समझौते के तहत गांत्स नवंबर 2021 में देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे. पिछले हफ्ते उन्हें रक्षा मंत्री और वैकल्पिक प्रधानमंत्री के पद की शपथ दिलाई गई. सरकार बनाने के लिए खास तौर से इस पद को बनाया गया है. गांत्स का कहना है कि एक आम नागरिक की तरह ही जब तक नेतन्याहू पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाते वो निर्दोष हैं.

अगर नेतन्याहू पर लगे घूसखोरी के आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है. जालसाजी और भरोसा तोड़ने के आरोप में तीन साल की सजा हो सकती है, हालांकि इस मामले में सजा होने के आसार कम हैं. दोषी सिद्ध होने पर नेतन्याहू को पद छोड़ना होगा लेकिन फिलहाल तो इस मामले के कई साल तक अदालत में चलने की आशंका है.

एनआर/एमजे (डीपीए)

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