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इस्राएल में पीएम नेतन्याहू के मोर्चे की जीत

३ मार्च २०२०

दो हफ्ते में इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा शुरू हो रहा है. इसके बावजूद एक्जिट पोल के अनुसार 70 वर्षीय कंजरवेटिव नेता रविवार को हुए संसदीय चुनावों में जीत की ओर बढ़ रहे हैं.

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Parlamentswahl in Israel Sieger Likud Netanjahu
तस्वीर: AFP/J. Guez

इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुद चुनावों में भारी जीत का दावा किया है लेकिन स्पष्ट नहीं है कि उनका दक्षिणपंथी धार्मिक मोर्चा संसद में बहुमत हासिल कर पाएगा या नहीं. एक साल के अंदर हुए तीसरे चुनाव में नेतन्याहू की कंजरवेटिव लिकुद पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसे 36 से 37 सीटें मिलने की संभावना है. नेतन्याहू को चुनौती दे रहे 60 वर्षीय बेनी गांत्स के मध्यमार्गी मोर्चे को 32 से 34 सीटें मिलेंगी और वह संसद में दूसरा सबसे ताकतवर गुट होगा. टीवी चैनलों के एक्जिट पोल में नेतन्याहू के कंजरवेटिव मोर्चे को करीब 60 सीटें मिलेंगी जबकि वामपंथी मोर्चे को 52 से 54 सीटें. इस्राएल की संसद में 120 सीटें हैं और सरकार बनाने वाले मोर्चे को 61 सीटों की जरूरत होगी.

चुनावों में बेन्यामिन नेतन्याहू की जीत ऐसे समय में हुई है जब दो हफ्ते बाद उनके खिलाफ भ्रषटाचार का मुकदमा शुरू हो रहा है. इस्राएली महाधिवक्ता ने नेतन्याहू पर धोखाधड़ी, निष्ठाहीनता और रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है. मुकदमे में मीडिया पर असर डालने की कोशिश, उद्यमियों के साथ संदिग्ध गलत डील और राजनीतिक समर्थन के बदले दोस्ताना उद्यमियों से लक्जरी तोहफे शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने इन आरोपों से इनकार किया है.

Israel Prognosen: Netanjahu bei Wahl vor Gantz
तस्वीर: AFP/M. Kahana

नेतन्याहू की प्रतिक्रिया

एक्जिट पोल में जीत की संभावना पक्की होने के बाद चुनावी जीत पर टिप्पणी करते हुए नेतन्याहू ने ट्वीट किया, "इस्राएल की भारी जीत." इसके पहले उन्होंने दिल की इमोजी ट्वीट की थी और लिखा था, शुक्रिया. संसद अध्यक्ष यूली एडेलश्टाइन ने ट्वीट किया है कि लिकुद पार्टी जल्द ही मजबूत और अच्छी सरकार बनाएगी. नेतन्याहू के प्रतिद्वंद्वी गांत्स ने अपनी पार्टी के 10 लाख से ज्यादा वोटरों का आभार व्यक्त किया है और कहा है, "हम आपके लिए भविष्य में भी संघर्ष करते रहेंगे."

नेतन्याहू के दक्षिणपंथी मोर्चे में उनकी लिकुद पार्टी के अलावा रक्षा मंत्री नफ्ताली बेनेट का जमीना मोर्चा और धार्मिक पार्टियां शामिल हैं. चुनावों में धुर दक्षिणपंथी ओजमा येहूडिट 3.25 प्रतिशत वोट की बाधा पार करने में विफल रहा और संसद में पहुंचने में कामयाब नहीं हुआ. मध्यमार्गी वाम मोर्चे में बेनी गांत्स की ब्लू व्हाइट मोर्चे के अलावा लेबर पार्टी के उदारवादी मोर्चे अरब लिस्ट भी शामिल है. एक्जिट पोल के मुताबिक अरब पार्टियों को 14 से 15 सीटें मिलेंगी. लेकिन उन्हें सरकारी गठबंधन का संभावित सहयोगी नहीं माना जाता है.

Israel Hohe Beteiligung bei Parlamentswahl trotz Coronavirus | Benny Gantz
बेनी गांत्सतस्वीर: Imago-Images/Xinhua/Shang Hao

इस्राएल के पूर्व रक्षा मंत्री अल्ट्रा राइट एविग्डोर लीबरमन को इन चुनावों में भी किंगमेकर माना जा रहा है. उनकी पार्टी हमारा घर इस्राएल को पोल के अनुसार 6 से 7 सीटें मिली हैं. पिछले साल अप्रैल में हुए चुनावों के बाद लीबरमन ने नेतन्याहू से समर्थन वापस ले लिया था. इस विवाद की वजह अत्यंत धार्मिक पुरुषों के लिए अनिवार्य सैनिक सेवा को लेकर नेतन्याहू के धार्मिक सहयोगियों के साथ झगड़ा था.

फलीस्तीनी प्रतिक्रिया

फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक वरिष्ठ सहयोगी ने नेतन्याहू की संभावित जीत की आलोचना की है और कहा है कि चुनावों में कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों के अधिग्रहण की जीत हुई है. फलीस्तीनी मुक्ति संगठन पीएलओ के महासचिव साएब एरेकात ने कहा, "बस्तियों, अधिग्रहण और नस्लवाद की जीत." फलीस्तीनी मामालों पर प्रमुख वार्ताकार रहे साएब एरेकात ने कहा कि नेतन्याहू ने ये फैसला किया है कि कब्जे को जारी रखना और विवाद इस्राएल के लिए प्रगति और समृद्धि लाएगा, इसलिए उन्होंने विवाद और रक्तपात की आधारशिला को मजबूत करने का चुनाव किया है.

नेतन्याहू वेस्ट बैंक और जॉर्डन की घाटी में यहूदी बस्तियों वाले फलीस्तीनी इलाकों का अधिग्रहण करना चाहते हैं. उनके इन विचारों का अमेरिका ने भी समर्थन किया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मध्यपूर्व शांति योजना में ये कदम शामिल हैं. इस योजना में एक अलग फलीस्तीनी राज्य की बात कही गई है लेकिन उसके लिए गंभीर शर्तें भी लगाई गई हैं. फलीस्तीनियों ने ट्रंप की योजना को पूरी तरह ठुकरा दिया है.

Israel Hohe Beteiligung bei Parlamentswahl trotz Coronavirus | Wählen unter Quarantäne
तस्वीर: AFP/G. Cohen-Magen

एक साल में तीसरा चुनाव

इस्राएल में ये संसदीय चुनाव पिछले एक साल में हुआ तीसरा चुनाव था. अप्रैल और सितंबर में हुए चुनावों के बाद कोई भी गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुआ था. हालांकि गांत्स की पार्टी को 33 सीटें मिली थीं लेकिन प्रधानमंत्री के पद पर उन्हें सिर्फ 54 सांसदों का समर्थन मिला जबकि नेतन्याहू को 55 सांसदों ने समर्थन दिया. दोनों बहुमत गठबंधन बनाने में सफल नहीं हुए. हालांकि कोरोना वायरस को लेकर इस्राएल में भी चिंता का माहौल है लेकिन मतदाताओं की भागीदारी अपेक्षाकृत अच्छी रही और करीब 71 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया. सितंबर में हुए चुनावों में 69.4 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था.

कई शहरों में कोरोना वायरस के कारण घरों में क्वारैंटाइन में रह रहे लोगों के लिए अलग सुरक्षित मतदान केंद्र बनाए गए थे. तेल अवीव के निकट चोलोन शहर में स्थानीय निवासियों ने ऐसे एक मतदान केंद्र को खोलने का विरोध किया जिसकी वजह से पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस्राएल में करीब 12 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. करीब 5600 लोग अपने घरों में क्वारैंटाइन में हैं.

चुनाव नतीजों की औपचारिक घोषणा करीब एक हफ्ते बाद होने की संभावना है. उसके बाद राष्ट्रपति रॉयेवेन रिवलिन के पास प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए हफ्ते भर का समय होगा. आम तौर पर संसद की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नई सरकार बनाने के लिए कहा जाता है. उसके पास गठबंधन बनाने के लिए छह हफ्ते का समय होता है. इसलिए अगले महीने से पहले नई सरकार बनाने की संभावना नहीं है. आंकड़ों के हिसाब से लिकुद और ब्लू व्हाइट का महागठबंधन भी बन सकता है लेकिन नेतन्याहू ने चुनाव प्रचार के दौरान कंजरवेटिव सरकार बनाने की घोषणा की थी जबकि गांत्स भ्रष्टाचार कांड के कारण महागठबंधन में नेतन्याहू को नहीं चाहते.

एमजे/एए (डीपीए, एएफपी)

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