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समाज

अब गुड़गांव में सामूहिक बलात्कार

चारु कार्तिकेय
५ अक्टूबर २०२०

उत्तर प्रदेश के हाथरस के बाद अब दिल्ली से सटे गुड़गांव में हुई एक सामूहिक बलात्कार की वारदात ने इस बात को फिर रेखांकित कर दिया है कि बलात्कार जैसे घृणित अपराध के होने में देहात और शहर में कोई अंतर नहीं है.

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Indien Uttar PRadesh | Proteste nach Vergewaltigung
तस्वीर: Jit Chattopadhyay/Pacific Press/picture-alliance

पीड़िता 25 वर्ष की है और हमलावरों द्वारा बलात्कार और बेरहमी से मारपीट किए जाने के कारण सिर पर गंभीर चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती है. गुड़गांव पुलिस ने मीडिया को बताया कि चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. चारों की उम्र 20 से 25 साल के बीच में है. पुलिस के अनुसार पीड़िता आरोपियों में से एक को जानती थी, जो बाकी तीनों आरोपियों के साथ मिल कर उसे गुड़गांव के एक मेट्रो स्टेशन से एक प्रॉपर्टी डीलर के दफ्तर में ले गया. आरोप है कि बलात्कार को वहीं अंजाम दिया गया. विरोध करने और शोर मचाने की कोशिश करने पर महिला को मारा गया और उसका सिर दीवार पर मार दिया गया.

पुलिस के अनुसार महिला इसके बावजूद किसी तरह से वहां से भाग निकली. एक निजी सुरक्षाकर्मी ने उसे बचाया और फिर पुलिस को फोन कर सारी जानकारी दी. यह घटना हाथरस के उस कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के बस कुछ ही दिन बाद सामने आई जिसे लेकर कई जगहों पर अभी भी विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे मामले में सीबीआई द्वारा जांच की अनुशंसा कर दी है.

पिछले सप्ताह पीड़िता की दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस पर जबरन आधी रात को उसके शव का दाह संस्कार करने का आरोप लगा था. इसके बाद मामले पर जनता में आक्रोश को देखते हुए हाथरस के पुलिस अधीक्षक और चार और पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था. लेकिन पीड़िता का परिवार और विपक्षी राजनीतिक दल हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट के निलंबन की मांग रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना के बाद हो रहे विरोध को उनकी सरकार के खिलाफ राजनीतिक साजिश बताया है.

इस बीच सरकार पर पुलिस द्वारा किए गए दाह संस्कार की खबर जनता तक पहुंचाने वाली एक पत्रकार का फोन गैर कानूनी रूप से टैप करने का आरोप लग रहा है. पत्रकार की फोन पर किसी से हो रही बातचीत की एक क्लिप बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट की थी और कहा था कि ये यह क्लिप राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश करती है. अमित मालवीय ने इससे पहले एक और ट्वीट में पीड़िता का एक वीडियो भी ट्वीट कर दिया था, जिसके बाद उन पर बलात्कार की पीड़िता के पहचान गुप्त रखने के कानून के उल्लंघन का आरोप लगा था.

मालवीय ने यह कह कर इन आरोपों को खंडन किया था कि मामले में बलात्कार साबित नहीं हुआ है. इस बीच पत्रकारों के समूह एडिटर्स गिल्ड ने इस तरह पत्रकारों के फोन की टैपिंग की आलोचना की है और सरकार से इस मामले में उच्च कदम उठाने की मांग की है.

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