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कानून और न्याय

तो क्या नहीं हुआ था हाथरस की पीड़िता का बलात्कार?

चारु कार्तिकेय
२ अक्टूबर २०२०

उत्तर प्रदेश के हाथरस की रहने वाली 19 वर्षीय दलित युवती के शव के पुलिस द्वारा जबरन दाह संस्कार करने के बाद अब पुलिस और प्रशासन पर पूरे मामले की सच्चाई छुपाने के आरोप लग रहे हैं.

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Indien | Proteste in Neu-Delhi nach Tod eines Vergewaltigungsopfers
तस्वीर: Anushree Fadnavis/Reuters

उत्तर प्रदेश के हाथरस की रहने वाली 19 वर्षीय दलित युवती के शव के पुलिस द्वारा जबरन दाह संस्कार करने के बाद अब पुलिस और प्रशासन पर पूरे मामले की सच्चाई छुपाने के आरोप लग रहे हैं. महिला ने मरने से पहले अपने आखिरी बयान में बलात्कार का आरोप स्पष्ट रूप से लगाया था लेकिन पुलिस अब कह रही है कि महिला के साथ बलात्कार हुआ ही नहीं था.

उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार ने गुरूवार को कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बलात्कार नहीं हुआ था और महिला की मौत गर्दन में आई गंभीर चोटों की वजह से हुई थी. उन्होंने कहा कि सैंपलों की जांच में शुक्राणु नहीं पाए गए हैं. प्रशांत कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि इसका मतलब यह है कि गलत तरीके से जातीय तनाव पैदा करने के लिए यह बातें फैलाई गईं.

जानकारों ने पुलिस द्वारा इस निष्कर्ष पर पहुंचने की आलोचना की है और इसमें कई खामियां गिनाई हैं. सबसे पहले तो पुलिस ने खुद बताया था कि सैंपल 25 सितंबर को लिए गए थे यानी कथित बलात्कार होने के 11 दिन बाद. जानकार पूछ रहे हैं कि इतने दिनों बाद किस उम्मीद में सैंपलों में शुक्राणुओं की तलाश की जा रही है?

दूसरा, कानून के अनुसार सिर्फ शुक्राणु ना मिलने से बलात्कार के आरोप को खारिज नहीं किया जा सकता. कई जानकारों ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 में 2013 में हुए संशोधन के बाद यह तय हो गया था कि सिर्फ शुक्राणु का ना मिलना या लिंग का पेनेट्रेशन ना होना ही बलात्कार नहीं है, उसकी कोशिश करना भी बलात्कार है. तीसरा सवाल पुलिस और प्रशासन से यह पूछा जा रहा है कि अगर बलात्कार नहीं हुआ था तो पुलिस ने पीड़िता के शव को उसके परिवार की स्वीकृति के बिना परिवार की गैर मौजूदगी में आधी रात में जबरन जला क्यों दिया?

हालांकि अब इस मामले में न्यायपालिका ने भी एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. 12 अक्टूबर को इस मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी और अदालत ने उस दिन सुनवाई के दौरान गृह सचिव, डीजीपी, एडिशनल डीजीपी (लॉ एंड आर्डर), हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट और पीड़िता के परिवार के किसी सदस्य को उपस्थित करने का आदेश दिया है.

इसी बीच पूरे मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए हैं. गुरूवार को पीड़िता के गांव जाने की कोशिश कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने कुछ देर के लिए हिरासत में भी लिया. बताया जा रहा है कि शुक्रवार को दिल्ली में और प्रदर्शन रोकने के लिए इंडिया गेट के आस पास धारा 144 लगा दी गई है. हाथरस में पीड़िता के गांव में भी प्रतिबंध लगाए गए हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पीड़ित परिवार को पुलिस ने घर पर नजरबंद कर दिया है और उनपर दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि इस पर अभी तक प्रशासन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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