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शाबाश, हवलदार विजय कुमार

Priya Esselborn३ अगस्त २०१२

सेना के हवलदार विजय कुमार ने लंदन ओलंपिक में भारत को पहला रजत पदक दिलाया. अंजान शूटर की तरह ओलंपिक में पहुंचे विजय ने 25 मीटर रैपिड पिस्टल में ऐसा निशाना लगाया कि भारतीय खेमे में विजयनाद गूंज उठा.

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तस्वीर: Reuters

अभिनव बिंद्रा नाकाम हो गए. गगन नारंग कांसा ही जीत सके. निशानेबाजी में भारत की उम्मीदें इन्हीं दोनों पर थी. लेकिन विजय छुपे रुस्तम की तरह शुक्रवार सुबह चर्चा में आए और शाम तक उन्होंने सबको चौंकाते हुए रजत पदक जीत लिया.

विजय ने 25 मीटर रैपिड पिस्टल फायर में 30 शॉट लगाए और दूसरे नंबर पर रहे. क्यूबा के ल्यूरिस प्यूपो ने 34 शॉट लगाकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. चीन के दिंग फेंग ने 27 शॉट लगाकर प्रतियोगिता का कांस्य पदक जीता. सेमीफाइनल में चौथे स्थान पर रहे विजय ने फाइनल में लगातार सटीक निशाने लगाए. हालांकि आखिरी सीरीज़ में वो पांच में से दो निशाने ही सटीक लगा सके.

Schnellfeuerpistole Vijay Kumar London 2012
तस्वीर: Reuters

भारतीय सेना के निशानेबाज विजय क्वालिफाइंग राउंड में छठे स्थान थे. उनसे कोई पदक की उम्मीद नहीं कर रहा था. लोग अंदाजा लगा रहे थे कि विजय अब या तब बाहर हो जाएंगे. लेकिन उन्होंने इन समीकरणों को तोड़ दिया. फाइनल में उन्होंने अपनी एकाग्रता को बनाए रखा और रजत पदक पर अचूक निशाना लगाया.

इस जीत के साथ लंदन ओलंपिक में भारत के दो पदक हो गए हैं. विजय कुमार हिमाचर प्रदेश के हमीरपुर जिले के रहने वाले हैं और फिलहाल सेना में हवलदार के पद पर तैनात हैं. 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में भी विजय ने 3 गोल्ड मेडल जीते थे.

वीडी/ओएसजे (एएफपी)

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