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वर्ल्ड कप जीतने के बाद रो पड़े धोनी

१७ दिसम्बर २०११

टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 2015 का वर्ल्ड खेलेंगे या नहीं, यह तय नहीं है. धोनी के मुताबिक वह 2013 में फैसला करेंगे कि आगे क्या किया जाए. पहली बार धोनी के भावुक पहलू सामने आए.

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तस्वीर: AP

नई दिल्ली में टीम इंडिया के कप्तान ने कहा, "अगर आप 2015 को देखें तो अभी तीन या साढ़े तीन साल बचे हैं. मुझे नहीं पता तब मैं कहां रहूंगा. सभी चीजें ठीक दिशा में जानी चाहिए. 2013 के अंत तक मुझे फैसला करना होगा कि क्या मैं 2015 वर्ल्ड कप के लिए 100 फीसदी उपलब्ध रह सकूंगा."

धोनी के मुताबिक टीम इंडिया को भविष्य के लिए एक अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश है. वर्ल्ड कप 2015 को ध्यान में रखते हुए वह कहते हैं, "आप टीम में एक ऐसा विकेटकीपर नहीं चाहते हैं जिसने कम से कम 100 मैच न खेले हों. वर्ल्ड कप में जाने के लिए कम से कम 80 से 100 मैच खेले होने चाहिए. इसलिए इस बारे में फैसला किया जाना चाहिए. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो 2013 के अंत में हम ध्यान से खुद को देखेंगे और देखेंगे क्या किया जा सकता है."

टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप जिताने वाले धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान हैं. आईपीएल में वह अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को दो बार चैंपियन बना चुके हैं, साथ ही चैंपियंस लीग भी जीत चुके हैं.

रो पड़े धोनी

अगले वर्ल्ड कप की बात आते ही धोनी बेहद तर्कसंगत दिखाई पड़ते हैं. 30 साल के माही को पता है कि 2015 में वह 34 साल के हो चुके होंगे. उन्हें भरोसा है कि टीम इंडिया फिर वर्ल्ड कप जीत सकती है, "इसे फिर से क्यों नहीं किया जा सकता. अगर आपके पास सपना नहीं है तो आप खुद को आगे नहीं बढ़ा सकते, आपको नहीं पता चलता कि लक्ष्य क्या है. जरूरी है कि आप एकाग्र रहे और कम अवधि के लक्ष्य तय करें. भविष्य की तरफ बहुत ज्यादा नहीं देखना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि आने वाले हर मैच और सीरीज को जीता जाए."

कप्तान धोनी के मुताबिक वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका को हराने के बाद पूरी टीम भावुक हो गई थी. फाइनल में 69 गेंदों में 91 रन की तूफानी पारी खेलने वाले धोनी कहते हैं, "हां, मैं भी रो रहा था. लेकिन आपके पास उसका वीडियो नहीं है. ऐसे वक्त में भावनाओं को काबू करना बहुत मुश्किल होता है. मैं अपने आप को काबू में कर रहा था. मैं फटाफट ड्रेसिंग रूम में जाना चाहता था, मैने देखा कि दो खिलाड़ी रोते और दौड़ते हुए मेरे पास आए. और अचनाक मैं भी रोने लगा. जैसे ही मैने ऊपर देखा सब मुझसे लिपट गए. हर कोई रो रहा था."

वर्ल्ड कप विजेता कप्तान के मुताबिक फाइनल से ज्यादा बड़ी चुनौती टीम के सामने ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को हराने की थी. क्वार्टर फाइल में ऑस्ट्रेलिया और सेमीफाइनल में पाकिस्तान, खिलाड़ियों को लग रहा था कि बस ये मैच किसी तरह जीत जाएं, फाइनल तो निकाल लेंगे.

कैप्टेन की पसंद

भारत के समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन ने कैप्टेन कूल को 2011 का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना है. इस मौके पर धोनी क्रिकेट के अलावा बहुत कुछ और भी बोले. जब उनसे यह पूछा गया कि जिंदगी में उनके दो हीरो कौन हैं, तो जबाव मिला, "एक सचिन तेंदुलकर हैं जो अब भी टीम का हिस्सा है. कई क्रिकेटर उन्हीं की तरफ देखते हैं. अमिताभ बच्चन को भी नहीं भूलना चाहिए. बॉलीवुड की बात आते ही वह सबसे बड़ी चीज हैं. तो यह दो लोग आदर्श हैं. दोनों ने जिंदगी के कुछ पड़ावों में संघर्ष किया और फिर भी सफल हुए. सबसे अच्छी बात है कि दोनों अब भी बहुत विनम्र और जमीन से जुड़े हैं. मुझे लगता है कि सफल होने के लिए यह बहुत जरूरी है."

धोनी के चुटकीले चौके

धोनी को मीडिया के सामने हंसी मजाक करते नहीं ही देखा गया है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम इंडिया के कप्तान ने कुछ चुटकीले सवालों का खुलकर जवाब दिया. उनसे जब यह पूछा गया कि वर्ल्ड कप जीतने और शादी करने में कौन सी चीज ज्यादा कठिन है, तो रांची के राजकुमार ने एक मंजे हुए रिलेशनशिप एक्सपर्ट की तरह जवाब दिया, "मुझे लगता है कि दोनों ही मुश्किल हैं क्योंकि अचानक ही आपकी जिंदगी में कोई ऐसा आ जाता है जो आपके साथ 24 घंटे रहेगा और आपको उसके साथ सामंजस्य बैठाना है. तो आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होता है. पहले छह महीने एक दूसरे को थोड़ा बहुत समझने में ही लग जाते हैं. बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड रहते हुए आप अक्सर फोन पर बात करते हैं लेकिन 24 घंटे साथ रहने की बात आती है तो आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होता है."

रांची के धोनी

इंडियन स्पोर्ट्स मैन ऑफ द ईयर बनने के बाद धोनी ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर पारिवारिक बातें भी बताईं, "मैं रांची जाना पसंद करता हूं. घर में तीन कुत्ते हैं. चाहे सीरीज हारें या जीते वे तीनों हमेशा मेरे साथ एक ही तरह से रहते हैं. सुबह देर से उठना, अपनी मोटरसाइकिल साफ करना और परिवार व दोस्तों के साथ वक्त बिताना, दोस्तों के साथ बाइक की सवारी करना, सड़क के किनार होटलों में लंच या डिनर करना मेरा पसंदीदा टाइम पास है."

रांची की सड़कों पर लंबे बालों में दोस्तों के साथ वक्त बिताने वाले धोनी कभी सपने में भी नहीं सोचते थे कि वह एक दिन टीम इंडिया की कप्तानी करेंगे. उन्हें भारतीय टीम का नेतृत्व करना अब भी परियों की कहानी की तरह लगता है. एक ऐसी कहानी जिसे हकीकत बनाने में धोनी के माता पिता ने बड़ा योगदान दिया.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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