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लोकपाल विल के मसौदे में कई बदलाव

१७ अप्रैल २०११

जन लोकपाल विधेयक के संशोधित मसौदे में कुछ नए बदलाव हुए हैं ताकि लोकपाल और उसके सदस्यों को चुनने वाली समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता को शामिल किया जा सके और लोकपाल को अधिक अधिकार दिए जाएं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

नए मसौदे में लोकपाल को टेलीफोन और इंटरनेट कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट करने के अधिकार देने की बात भी शामिल है. इसका मकसद राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार से निपटना है. शनिवार को संयुक्त मसौदा समिति की पहली बैठक में नए प्रस्ताव को सरकार को सौंपा गया. इसमें जजों और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने के मूल प्रावधान को बरकरार रखा गया है, हालांकि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे को इस पर आपत्ति है.

हजारे का सुझाव है कि जजों और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जाए क्योंकि किसी के पास तो मामलों पर फैसले का अधिकार होना चाहिए और लोकपाल के सामने यह अधिकार गौण नहीं होना चाहिए. नए मसौदे में एक चयन समिति का भी प्रावधान है जो लोकपाल और उसके सदस्यों के नाम की सिफारिश करेगी. बड़ा बदलाव यह किया गया है कि चयन समिति में राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष की जगह अब प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को रखा गया है.

Der indische Finanzminister Pranab Mukherjee
तस्वीर: UNI

दिलचस्प बात यह है कि पहले मसौदे में जो जगह सबसे वरिष्ठ जजों के लिए थी, अब उस पर सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे युवा जजों और हाई कोर्ट के दो सबसे युवा चीफ जस्टिसों को रखने का प्रस्ताव है. दो और वरिष्ठ श्रेणियां खत्म की गई हैं जिनमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और पांच सितारों वाले एक पूर्व सैन्य जनरल को रखा जाना था.

नए मसौदे में लोकपाल को टेलीफोन, इंटरनेट और अन्य किसी भी माध्यम से जाने वाले संदेशों पर नजर रखने और उन्हें टैप करने का अधिकार देने की बात भी शामिल है. नए प्रस्ताव में उस प्रावधान को भी हटा दिया गया है जिसमें कुप्रशासन को अत्यधिक प्रशासनिक कामकाज के नतीजे के तौर पर भी परिभाषित किया गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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