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लीबिया के विद्रोहियों को ईरान ने दी चुपके से मदद

२९ अगस्त २०११

ईरान ने लीबिया के विद्रोहियो को चोरी चोरी मानवीय मदद दी है. ईरान के विदेश मंत्री अली अकबर सालेही के हवाले से जाम ए जाम अखबार ने यह खबर दी है. इस बीच लीबिया में राजधानी त्रिपोली पर विद्रोहियों को काफी बढ़त मिल गई है.

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तस्वीर: Djamel Laribi

ईरान के अखबार जाम ए जाम में छपी खबर के मुताबिक लीबिया के कई विद्रोही गुट ईरान सरकार के संपर्क में पहले से ही हैं. ईरानी विदेश मंत्री का दावा है कि इन विद्रोही गुटों को मानवीय सहायता दी जाती रही है. अखबार में छपे विदेश मंत्री के बयान में उन्होंने कहा है, "सत्ता पर गद्दाफी की पकड़ कमजोर होने के बहुत पहले से ही हम कई विद्रोही गुटों के सपर्क में हैं और उन्हें बेनगाजी में चुपके से खाना और दवाइयों की तीन चार खेप भेजी गई है. विद्रोहियों के प्रमुख संगठन नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल के प्रमुख मुस्तफा अब्देल जलीली ने राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को इस मदद के लिए खत लिख कर शुक्रिया कहा है."

Der Sturm des Bab al-Azizia,Tripolis
तस्वीर: Djamel Laribi

ईरान का दोहरा रवैया

लीबिया में विद्रोह का नारा बुलंद होने के समय से ही ईरान दोहरा रवैया अपना रहा है. एक तरफ वह गद्दाफी के शासन की विद्रोहियों के खिलाफ हिंसात्मक कार्रवाई के लिए आलोचना करता है. उसके साथ ही नाटो की सैनिक दखलंदाजी को भी बुरा भला कहता है. बीते मंगलवार को विद्रोहियों के राजधानी त्रिपोली में घुसने पर ईरान ने 'लीबिया की मुस्लिम जनता' को शुभकामनाएं दीं. हालांकि अभी तक उसने नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है.

Der Sturm des Bab al-Azizia,Tripolis
तस्वीर: Djamel Laribi

इस बीच लीबिया के विद्रोहियों ने त्रिपोली और साबा को जोड़ने वाली सड़क पर कब्जा कर लिया है. यह वो सड़क है जो कर्नल गद्दाफी के लिए दक्षिण के मरुस्थल से सहयोग का दरवाजा खोलती थी. विद्रोहियों के प्रवक्ता अहमद बानी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. विद्रोही तटवर्ती शहर सिर्ते पर कब्जा करने के बाद साबा की तरफ बढ़ने की योजना बना रहा हैं. सिर्ते गद्दाफी का गृहनगर है और यहां विद्रोही इस कोशिश में हैं कि उनके समर्थकों को बातचीत के जरिए समर्पण करने पर रजामंद कर लिया जाए. बानी ने समझौते के लिए समयसीमा के बारे में कोई जानकारी दिए बगैर कहा, "अगर वे नहीं माने तो हम बल प्रयोग के जरिए सिर्ते पर कब्जा करेंगे."

गद्दाफी के बेटों का घर

लीबियाई शासक के बेटों के घर पर सुरक्षा के इंतजाम तो काफी सख्त हैं लेकिन वहां सद्दाम हुसैन के बेटों के घर जैसी आलीशान और बेशकीमती सुविधाएं नहीं हैं. मारवान नाम के एक विद्रोही ने शहर के बाहरी इलाके में समंदर की तरफ खुलने वाले तीन घरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये गद्दाफी के बेटों के घर हैं. पहले घर में लकड़ी का एक बंगला दिखा जिसमें छत, बैठक, बार, समंदर की तरफ एक शयन कक्ष और दो बाथरूम हैं. ये किसी कुंवारे शख्स के रहने की जगह मालूम पड़ता है.

Libyen Rebellen feiern die Befreiung des Bezirks Qasr Bin Ghashir NO FLASH
तस्वीर: dapd

इस बंगले के ऊपर तीन बेडरूम का हरे छत वाला एक घर है जो मारवान के मुताबिक खमीस कद्दाफी का है. खमीस लीबियाई सेना की एक इलीट ब्रिगेड का कमांडर था. घर की साज सज्जा सादी है और इसमें एक सैनिक की छवि दिखती है. इन तीनों घरों में सबसे शानदार जगह पर सफेद रंग का एक विला हैजो आधुनिक और महंगे फर्नीचरों से सजा है. माना जा रहा है कि इस घर को सभी भाई मिल जुल कर इस्तेमाल करते थे. विला के बैठक में जाने के बाद विद्रोहियों में से एक महमूद ने कहा, "मुझे भी ऐसी जगह पर रहना अच्छा लगता. अगर हम सब के पास इस तरह के घर होते तो हमें इस क्रांति की जरूरत नहीं पड़ती."

लीबिया एक मुस्लिम राष्ट्र है और यहां शराब पर पाबंदी है. बावजूद इसके यहां कई आधी खाली वोदका और शैम्पेन की बोतलें पड़ी हुई हैं. बार के पास सलाद की एक प्लेट भी दिखी जिसे इस्तेमाल करने वाला शायद जल्दबाजी में छोड़ कर भाग गया. घर के निचले हिस्से में तीन लोगों वाला आलीशान जकूजी बाथरूम दिखा. घर के बेडरूम में कपड़ों से भरा सूटकेस और भरा हुआ ड्रेसिंग टेबल भी नजर आया. घर की सुरक्षा के लिए पक्के इंतजाम हैं. लोहे के गेट के बाद कई मकान कतार में हैं जिनमें एक सुरक्षाकर्मियों के लिए है.

Libyen Rebellen
Libyen Rebellenतस्वीर: picture alliance/dpa

सागर किनारे सादी गद्दाफी का एक लकड़ी का बना बंगला भी है जिसके सामने की दीवारें बुलेटप्रूफ हैं. इस घर से भाग निकलने के लिए एक गुप्त दरवाजा भी है. घर के गराज में रेसिंग कारें और इसके अलावा पास ही एक छोटा सा फुटबॉल का मैदान भी है. गद्दाफी के सबसे प्रभावशाली बेटे सैफ अल इस्लाम के घर का अभी पता नहीं चल सका है.

गद्दाफी पर बलात्कार के आरोप

मुअम्मर गद्दाफी की महिला अंगरक्षकों के यूनिट की सदस्य रहीं पांच महिलाओं ने दावा किया है कि लीबियाई शासक ने उनके साथ बलात्कार किया और उनका शारीरिक शोषण किया गया. माल्टा के संडे टाइम्स ने यह खबर छापी है. इन महिलाओं ने बेनगाजी के एक मनोवैज्ञानिक सेहम सेरगेवा को बताया है कि गद्दाफी और उनके बेटों ने उनके साथ बलात्कार और उनका शारीरिक शोषण किया. बाद में उन्हें नौकरी से यह कह कर निकाल दिया गया कि अब मन भर गया है. ये दावे उन दस्तावेजों का हिस्सा हैं जो सेरेगावा अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में पेश करने के लिये तैयार किए जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में गद्दाफी और उनके करीबी लोगों पर मुकदमा चलाने की तैयारी चल रही है.

Libyen Rebellen
तस्वीर: dapd

पूर्व महिला अंगरक्षकों में से एक ने बताया कि उसे ब्लैकमेल कर इस ब्रिगेड में शामिल होने पर मजबूर किया गया. इसके लिए शासन ने एक झूठी कहानी गढ़ी कि उसका भाई माल्टा में छुट्टी मनाने के बाद लीबिया में नशीली दवाएं लेकर आया है. इस महिला से कहा गया, "या तो तुम अंगरक्षक बन जाओ या फिर तुम्हारे भाई को बाकी की जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ेगी. उसे यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया और कहा गया कि गद्दाफी की अनुमति के बाद ही उसे दाखिला मिल सकेगा. इतना ही नहीं उसकी एचआईवी जांच की गई और फिर उसे त्रिपोली के बाब अजीजीया परिसर में गद्दाफी के पास पहुंचा दिया गया. इसी जगह गद्दाफी ने उसके साथ बलात्कार किया."

लीबिया से पलायन

विद्रोहियों के त्रिपोली के ज्यादातर हिस्से पर अधिकार करने के बाद हजारों मिस्रवासी, जॉर्डनवासी और फिलिपिनो त्रिपोली छोड़ कर भाग रहे हैं. ये लोग यहां की अस्थिरता और जरूरी चीजों की कमी से तंग आ कर किसी तरह यहां से निकल जाना चाहते हैं. एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने लीबिया छोड़ कर जाने वाले लोगों के लिए बोट की फेरी सेवा का इंतजाम किया है. लीबिया छोड़ कर जाने वाले लोगों का कहना है कि यहां की स्थिति शांत और स्थिर हो जाए तो वे वापस अपनी नौकरी पर लौट आएंगे. एक हफ्ता पहले त्रिपोली में विद्रोहियों के घुसने के बाद ट्यूनीशियाई सीमा से लगते सामान्य रास्ते को बंद कर दिया गया है. राजधानी में घमासान लड़ाई हो रही है और यहां जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई है. फरवरी में जब यहां विद्रोह शुरू हुआ उस वक्त भी हजारों की तादाद में विदेशी मजदूर लीबिया छोड़ कर वापस अपने देश लौट गए.

अंतरराष्ट्रीय सरगर्मी

Libyen Jubel in Tripolis Grüner Platz Flagge
तस्वीर: dapd

 विद्रोहियों के राजधानी त्रिपोली पर कब्जे के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरगर्मी तेज हो गई है. विद्रोहियों के विदेशी मददगार कूटनीतिक स्तर पर उन्हें मान्यता दिलाने के अभियान में जुट गए हैं. इस हफ्ते इन प्रयासो के और तेज होने के आसार हैं. पैरिस में 'फ्रेंड्स ऑफ लीबिया' के बैनर तले एक बड़ी कॉन्फ्रेंस गुरुवार को होने जा रही है. इससे पहले इस्तांबुल और संयुक्त राष्ट्र में बैठकें शुरू हो गई हैं. गद्दाफी के हटने के बाद सत्ता में खालीपन न आए और पुनर्निर्माण का काम तुरंत शुरू हो जाए इसके लिए विद्रोहियों को तुरंत भारी मात्रा में नगद की जरूरत होगी. इसके लिए उनके विदेशी दोस्त हरकत में आ गए हैं. ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका सबसे पहले तो जब्त की गई रकम का दरवाजा खोल रहे हैं. यह पैसा नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल को तुरंत ही मिल सकेगा.

लीबिया पर पाबंदी लगाने के बाद इन देशों ने अपने यहां की बैंकों में जमा गद्दाफी और उनके समर्थकों के पैसे को जब्त कर लिया था. पैरिस की बैठक में 50 देशों को बुलाया गया है जहां आर्थिक मदद. भोजन, ईंधन की सप्लाई, पुलिस ट्रेनिंग और कूटनीतिक मान्यता दिलाने के मुद्दे पर चर्चा होगी. इस बैठक में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी मौजूद रहेंगे. कनाडा के प्रधानमंत्री ने बैठक में शामिल होने का एलान किया है. अमेरिका की तरफ से भी इसमें कोई बड़ा अधिकारी शामिल होगा. फ्रांस के अधिकारियों ने बताया कि बैठक के लिए एनटीसी की तरफ से मुस्तफा अब्देल जलील और महमूद जिब्रिल को बुलाया गया है और उन्हें उम्मीद है कि त्रिपोली की चुनौतियों के बावजूद दोनों इस बैठक में शामिल होंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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