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रेमंड डेविस मामले की सुनवाई आगे बढ़ी

३ मार्च २०११

पाकिस्तान की एक अदालत ने रेमंड डेविस मामले की सुनवाई 8 मार्च तक के लिए आगे बढ़ा दी है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की ह्त्या के बाद लाहौर की कोट लखपत जेल के बाहर पहरा और सख्त कर दिया गया है.

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तस्वीर: AP

डेविस को लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया है और यहीं उसकी सुनवाई भी चल रही है. गुरुवार को कोर्ट ने डेविस को राजनयिक संरक्षण देने से इनकार कर दिया. मारे गए युवकों के वकील असद मंजूर ने कहा, "कोर्ट ने कहा है कि डेविस अब तक ऐसे दस्तावेज पेश करने में नाकाम रहा है जिसके आधार पर उसे राजनयिक संरक्षण का हकदार माना जाए. " इस मुकदमे की अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी.

बताया जा रहा है कि डेविस आईएसआई के लिए काम करते रहे हैं. डेविस मामले पर सुनवाई से एक दिन पहले ही कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान के एकमात्र ईसाई मंत्री शहबाज भट्टी की हत्या कर दी. कट्टरपंथियों की मांग है कि डेविस को फांसी पर लटका देना चाहिए. भट्टी की ह्त्या के बाद जेल के बाहर सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है.

Raymond Allen Davis Demonstration
डेविस के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AP

अमेरिका ने डेविस के लिए पाकिस्तान के एक पूर्व जज जाहिद हुसैन बुखारी को वकील के तौर पर नियुक्त किया है. बुखारी सरकारी वकील रह चुके हैं. असद मंजूर बट ने बताया, "अदालत ने सुनवाई इसलिए टाल दी क्योंकि बुखारी ने और समय की मांग की." डेविस ने पिछले हफ्ते संरक्षण की मांग की थी लेकिन अदालत ने इसे बर्खास्त कर दिया. डेविस संरक्षण का हकदार है या नहीं इस पर लाहौर उच्च न्यायालय में एक दूसरा मुकदमा पहले से ही चल रहा है. लाहौर उच्च न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 14 मार्च को करेगी.

डेविस पर आरोप है कि उसने पिछले महीने लाहौर में दो लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी. 36 वर्षीय डेविस का कहना है कि वो लोग हथियारों से लैस थे और उसे लूटना चाहते थे. इसीलिए उसने अपने बचाव में गोली चलाई. अमेरिका ने भी डेविस का साथ देते हुए कहा है कि राजनयिक होने के नाते उसे संरक्षण प्राप्त है.

डेविस मामले के चलते पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तनाव आया है. खास तौर से सीआईए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच. आईएसआई ने कहा है कि उसे डेविस के पाकिस्तान में होने की कोई खबर नहीं थी. अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जरनल को भेजे एक खत में आईएसआई ने लिखा, "इस घटना के बाद सीआईए का जो रवैया रहा है उसने हमारी साझेदारी पर सवालिया निशान उठा दिया है... भविष्य में हमारे रिश्ते पहले जैसे हो सकेंगे, इसकी कल्पना करना मुश्किल है."

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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