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राष्ट्रपति चुनाव के गुणा भाग में उलझी कांग्रेस

३ मई २०१२

भारत में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल गुरुवार को अचानक तेज हो गई. दिन भर गलतफहमियों और अटकलों का दौर चला. इसका फायदा उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को हुआ. दौड़ में पिछड़ गए अंसारी अचानक प्रणब की बराबरी में पहुंच गए.

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तस्वीर: AP

कांग्रेस अब अंदाजा लगा रही है कि इन दोनों नेताओं में से किसे सांसदों के बढ़िया समर्थन से राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की, बाद में इसमें प्रणब मुखर्जी भी शामिल हुए. बैठक के बाद सोनिया गांधी ने कहा, "उम्मीदवार के नाम को लेकर कोई असमंजस नहीं है. धैर्य रखिए, अभी समय बचा हुआ है."

सोनिया ने ममता बनर्जी से भी मुलाकात की. दोनों की मुलाकात गुरुवार को राजनीतिक ड्रामे के बाद हुई. मुलाकात से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने एक चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बात का एलान कर चुकी है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी उनकी तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. ममता ने कहा, "मुझे लगता है कि आज ही उनकी पार्टी ने इस बात का एलान कर दिया है कि वह (प्रणब) उम्मीदवार नहीं है."

पत्रकारों के यह पूछने पर कि क्या वह प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रुप में देखती हैं. तो जवाब मिला, "मैं कुछ नहीं कह सकती हूं. कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपने विचार का एलान कर दिया है." हालांकि ममता ने यह भी कहा कि कांग्रेस अपना उम्मीदवार चुनने के लिए स्वतंत्र है. ममता ने उम्मीदवार के चुनाव को पार्टी का अंदरूनी मसला बताया.

Pranab Mukherjee
तस्वीर: AP

इससे पहले कांग्रेस की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा, "प्रणब दा को छोड़ना कभी आसान नहीं होगा. पार्टी के लिए वह बहुत मूल्यवान हैं. पार्टी के लिए उनके योगदान की तुलना नहीं की जा सकती. उनके लिए यह ठीक नहीं लग रहा है."

राजनीतिक गलियारों में रेणुका के इस बयान को कांग्रेस के पांव पीछे खींचने के इशारे की तरह देखा गया. हालांकि बाद में चौधरी ने कहा कि उनकी बात का गलत अर्थ निकाला गया है. ममता बनर्जी का बयान इसी के बाद आया.

बीजेपी और एनडीए राष्ट्रपति पद के लिए किसी उम्मीदवार को सामने नहीं ला पाए हैं. संख्या बल के आधार पर भी संसद में एनडीए हल्का पड़ रहा है. यही वजह है कि विपक्षी पार्टियां आम सहमति की बात कर रही हैं. वहीं वामपंथी पार्टियां प्रणब मुखर्जी से ज्यादा हामिद अंसारी के पक्ष में झुकती दिख रही है. समाजवादी पार्टी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को फिर भारत के प्रथम नागरिक के तौर पर देखना चाहती है. लेकिन इस चाहत के साथ मुलायम की पार्टी अकेली खड़ी है.

ओएसजे/एनआर (पीटीआई)

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