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राष्ट्रपति के नाम पर ना हां

१ मई २०१२

भारत में जहां एक तरफ सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी नए राष्ट्रपति के नाम पर एक राय बनाने की कोशिश में लगी है, वहीं विपक्षी पार्टियों में किसी उम्मीदवार को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है.

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तस्वीर: AP

लालू यादव की आरजेडी और वामपंथी पार्टियों ने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के नाम को आगे बढ़ा दिया है. समाजवादी पार्टी ने भी इस नाम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर दी है और शिगूफा छोड़ दिया है कि राष्ट्रपति कोई मुसलमान ही होना चाहिए. इसलिए हामिद अंसारी का नाम और आगे बढ़ सकता है.

जेडीयू ने बीजेपी का विरोध करने का फैसला कर लिया है. जेडीयू के शरद यादव का कहना है, "सुषमा ने जो कहा है कि बीजेपी की राय है. यह हमारी पार्टी की राय नहीं है. एनडीए की बैठक में इस बात पर चर्चा नहीं हुई है. बीजेपी ने यह बात हमारे साथ डिस्कस नहीं की है." स्वराज ने कहा था कि बीजेपी कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार का विरोध करेगी, चाहे वह वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ही क्यों न हों.

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कमालतस्वीर: dapd

यादव ने साफ साफ कहा कि उनकी और बीजेपी की पार्टियां अलग अलग हैं और उनकी राय भी अलग अलग है, "न तो हमने यह बात बीजेपी के साथ की है और न ही उन्होंने हमारे साथ." उधर अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल ने भी कहा है कि एनडीए में इस बात पर चर्चा नहीं की गई है.

इस बीच, बीजेपी ने भी लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बयान पर डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. दो प्रवक्ताओं को इस काम के लिए लगा दिया गया है. राजीव प्रताप रूडी का कहना है, "बीजेपी और जेडीयू में कोई दरार नहीं है. यह सिर्फ अफवाह है." शहनवाज हुसैन का कहना है कि सुषमा स्वराज सिर्फ इस बात को साफ करना चाह रही थीं कि बीजेपी उस उम्मीदवार का साथ नहीं देगी, जो कांग्रेस की तरफ से होगा. हुसैन ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम का साथ देगी, जिन्हें समाजवादी पार्टी का भी समर्थन हासिल है.

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हामिद अंसारी (बाएं)तस्वीर: AP

इस बीच वामपंथी पार्टियों ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर एकमत बनाने की कोशिश करेंगे. सीपीएम महासचिव प्रकाश करात का कहना है, "हमारे पास कोई नाम नहीं है. हम कुछ पार्टियों से बात कर रहे हैं और हमें लगता है कि किसी एक नाम पर सहमति बन जाएगी." हालांकि वामपंथी सूत्रों का कहना है कि वे हामिद अंसारी जैसे किसी नाम का विरोध नहीं करेंगे. हालांकि यह बात भी लगभग साफ हो चुकी है कि लेफ्ट पार्टियां कलाम के नाम पर मुहर नहीं लगाएंगी. उन्होंने पहले भी उनका विरोध किया था. समझा जाता है कि विपक्षी पार्टियां इसी हफ्ते मुलाकात करेंगी, जिसके बाद कोई औपचारिक फैसला हो सकता है.

एजेए/एएम (पीटीआई)