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म्यांमार में ताजा हिंसा के बीच सू ची मुकदमे का फैसला टला

२७ दिसम्बर २०२१

फरवरी 2021 में सत्ता से बर्खास्त म्यांमार की राजनेता आंग सान सू ची पर अवैध तरीके से वॉकी-टॉकी रखने के मुकदमे में अंतिम फैसला फिर टाल दिया गया है. इस बीच ताजा हिंसा में 35 नागरिकों की मौत होने की खबर है.

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Bangkok UN Building - Aung San Suu Kyi
तस्वीर: Jack Taylor/AFP/Getty Images

म्यांमार की एक सैन्य अदालत ने आंग सान सू ची पर सरकार प्रमुख रहते हुए अवैध रूप से वॉकी-टॉकी रखने के एक मामले में अंतिम फैसला कुछ दिनों के लिए टाल दिया है. राजधानी नेपिदाव की एक अदालत में चल रहे इस मामले पर अब 10 जनवरी 2022 को फैसला आ सकता है. मामले से जुड़े एक कानून अधिकारी के मुताबिक, कोर्ट ने फैसला टालने की कोई वजह नहीं बताई है. 1 फरवरी 2021 को सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का तख्तापलट कर दिया था और सू ची समेत कई राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया था.

क्या है पूरा मामला

म्यांमार के आयात-निर्यात कानून के तहत सू ची पर गलत तरीके से वॉकी-टॉकी सेट आयात करने के आरोप लगे हैं. सू ची को जेल में रखने के लिए शुरुआत में इसी आरोप को आधार बनाया गया था. कुछ समय बाद, सू ची पर अवैध तरीके से रोडियो रखने के आरोप भी लगाए गए. ये रेडियो सेट तख्तापलट के दिन सू ची के अंगरक्षकों और घर के मुख्य दरवाजे से बरामद किए गए थे. बचाव पक्ष ने कोर्ट में दलील दी कि सू ची इन रेडियो सेटों का निजी इस्तेमाल नहीं कर रही थीं, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए वैध तरीके से इनका उपयोग किया जा रहा था. लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष के तर्क नहीं माने.

Myanmar | Über 30 verbrannte Leichen gefunden worden
काया प्रांत के इस इलाके से नागरिकों की लाशें मिली हैंतस्वीर: AFP/picture alliance

सू ची की पार्टी ने 2020 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी. लेकिन सैन्य नेतृत्व ने चुनाव नतीजों को मानने से इनकार कर दिया और चुनाव में धांधली के आरोप लगाए. सेना के इन दावों पर स्वतंत्र पर्यवेक्षक शक जताते हैं. सू ची के समर्थकों और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों का मानना है कि सू ची पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, जिनका मकसद सत्ता हासिल करना और उन्हें दोबारा सत्ता में आने से रोकना है.

सू ची पर चल रहे मुकदमे

तख्तापलट के बाद से सू ची पर कई मुकदमे चलाए गए हैं. एक अनुमान के मुताबिक, अगर सभी आरोप साबित हो जाते हैं तो 76 वर्षीय सू ची को 100 साल कैद की सजा हो सकती है. इसी साल 6 दिसंबर को सू ची पर कोविड-19 पाबंदियां तोड़ने के आरोप में चार साल की सजा हुई थी. जिसे बाद में सैन्य सरकार के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग हिलांग ने घटाकर 2 साल कर दिया था. सू ची पर भ्रष्टाचार के पांच मामले चल रहे हैं और दोषी पाए जाने पर हर एक मामले में 15 साल की सजा का प्रावधान है. हेलिकॉप्टर खरीद के एक मामले में पूर्व राष्ट्रपति विन मियांट और सू ची, दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इस मामले का ट्रायल अभी बाकी है.

सू ची पर गोपनीयता कानून के उल्लंघन का भी आरोप है. अगर दोषी पाई गईं तो 14 साल की सजा हो सकती है. सैन्य नियंत्रण में काम कर रहे म्यांमार के चुनाव आयोग ने सू ची और अन्य राजनेताओं के खिलाफ चुनाव धांधली के आरोप लगाए हैं. अगर आरोप साबित होते हैं तो सू ची की पार्टी भंग हो सकती है, जिसका दूसरा अर्थ है कि सेना के वादे के मुताबिक, उनके सत्ता संभालने के दो साल के अंदर होने वाले चुनाव में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी नहीं लड़ पाएगी.

Myanmar | Mitgleider der Volksverteidigungskräfte (PDF) im Trainingslager
तख्तापलट के बाद से कई गुट सेना के खिलाफ लड़ रहे हैंतस्वीर: REUTERS

सरकारी चैनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य सरकार ने सू ची को एक अज्ञात जगह पर कैद किया हुआ है जहां वो बची हुई सजा भुगतेंगी. सू ची जेल की ओर से दिए गए सादे कपड़े पहनकर ही सुनवाई में शामिल हो रही हैं. अक्टूबर 2021 में सू ची की कानूनी टीम को जानकारियां जारी ना करने के सख़्त आदेश दिए गए थे. सू ची पर चल रहे मुकदमों की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी गई है.

म्यांमार में ताजा हिंसा

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सेना के विरोधियों और कई जातीय समूहों की गुरिल्ला सेनाओं ने हथियार उठा लिए हैं. ये समूह लंबे समय से स्वायत्तता की मांग कर रहे थे. पूर्वी राज्य काया में कथित रूप से हुई एक मुठभेड़ में करीब 35 नागरिकों की मौत होने की खबर आई है. विरोधी इसका इल्जाम सैन्य सरकार पर लगा रहे हैं. वहीं सरकारी मीडिया के जरिये सेना का दावा है कि उसने 'हथियारबंद आतंकियों' को मारा है. सरकारी मीडिया ने नागरिकों की मौत पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय संकट और आपातकालीन राहत मामलों के संयोजक मार्टिन ग्रिफ्थ ने बताया कि कम से कम एक बच्चे समेत नागरिकों की मौत की जानकारी विश्वसनीय थी. घटना की आलोचना करते हुए उन्होंने नागरिकों पर हो रहे हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन बताया है. फरवरी में सेना के सत्ता हथियाने के खिलाफ देशभर में लगातार अहिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिन्हें सशस्त्र बलों ने क्रूरता से कुचल दिया था. असिस्टेंस असोसिएशन फॉर पोलिटिकल प्रिजनर्स की एक विस्तृत सूची के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक 1400 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है. 11 हजार से ज्यादा नागरिक आज भी जेल में बंद हैं.

आरएस/एमजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)