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भारतीय मुक्केबाज से छीन ली जीत

४ अगस्त २०१२

विजयी घोषित करने के बाद विकास कृष्ण से जीत छीन कर उन्हें ओलंपिक से बाहर कर दिया गया. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने पिछले मुकाबले को दोबारा देखने के बाद प्री क्वार्टर फाइनल के नतीजे को पलट दिया.

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तस्वीर: AP

20 साल के विकास ने शुक्रवार की रात रोमांचक मुकाबले में अमेरिका के एरोल स्पेन्स को 13-11 अंकों से हरा दिया लेकिन उनकी प्रतिद्वंद्वी टीम की तरफ से की गई अपील के बाद यह जीत उनसे छीन कर अमेरिकी खिलाड़ी को सौंप दी गई. प्रतिद्वंद्वी टीम की शिकायत पर मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने पिछले मुकाबले को दोबारा देखा और उसके बाद प्रीक्वार्टर फाइनल के नतीजे को पलट दिया. स्पेन्स को क्वार्टर फाइनल में भेज दिया गया है और अब वो मंगलवार को रूस के आंद्रे जामकोवोय से भिड़ेंगे.

संघ की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "पिछले मुकाबले में भारतीय मुक्केबाज ने केवल तीसरे दौर में ही नौ गलतियां कीं लेकिन रेफरी ने केवल एक बार उसे चेतावनी दी. दूसरे दौर में 2 मिनट 38 सेकेंड पर भारत के मुक्केबाज ने जान बूझ कर गमशील्ड बाहर थूक दिया लेकिन रेफरी ने उसे कोई चेतावनी नहीं दी." इन्हीं गलतियों के आधार पर जूरी के सदस्यों ने अमेरिकी खिलाड़ी स्पेन्स को चार अतिरिक्त अंक देने का फैसला किया और उन्हें विजेता बना दिया. मुक्केबाजी संघ का यह भी कहना है, "एआईबीए के तकनीकी और प्रतियोगिता नियम 12.1.9 के अनुसार रेफरी को कम से कम दो चेतावनी भारतीय मुक्केबाज को देनी चाहिए थी. अमेरिकी मुक्केबाज के सामने आ जाने के कारण रेफरी हरकतों को नहीं देख पाए."

Krishan Vikas gegen Errol Spence Boxen Olympia London 2012
तस्वीर: AP

भारतीय ओलंपिक संघ विकास के बचाव में उतरा है और उसने मुक्केबाजी संघ के फैसले की कड़ी आलोचना की है. भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह ने कहा है, "आईओए इस फैसले की निंदा करता है. वहां चार अलग अलग जज थे और उन्होंने अलग अलग फैसले दिए. यह हैरान करने वाली बात है कि उनमें से किसी ने इसका विरोध नहीं किया. चार लोगों ने फैसला दिया और फैसला सुनाने के बाद अमेरिका की तरफ से अपील करना भी गलत है."

तीसरी वरीयता वाले विकास 2010 के एशियन गेम्स में 60 किलोग्राम वर्ग में सोना जीत चुके हैं पर इस फैसले ने उन्हें काफी निराश किया है. विकास के पिता कृष्ण कुमार भी इस फैसले से दुखी हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह बिल्कुल गलत है. उसे विजेता घोषित किए जाने के बाद मैंने उससे बात की और फिर हम सोने चले गए. सुबह उठने पर पता चला है कि फैसला पलट दिया गया है."

Krishan Vikas gegen Errol Spence Boxen Olympia London 2012
तस्वीर: REUTERS

विजेंदर के बाद विकास भारत के दूसरे ऐसे मुक्केबाज हैं जिन्होंने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता है और ओलंपिक में वह भारत की बड़ी उम्मीद थे. मुक्केबाजी के स्कोरिंग सिस्टम की कड़ी आलोचना की जा रही है. मुकाबले में शामिल टीमों के विरोध के बाद अब तक दो जजों को निलंबित भी किया जा चुका है.

गैर पेशेवर मुक्केबाजी का स्कोरिंग सिस्टम लंबे समय से विवाद की वजह रहा है. इस सिस्टम में रिंग के पास बैठे पांच जजों को जब लगता है कि मुक्का जड़ा गया है तब वो अंक देते है. ऐसे में गलतियां होने की काफी गुंजाइश होती है. सबसे अधिक और सबसे कम स्कोर को हटा दिया जाता है और बीच में आस पास के तीन स्कोर का औसत निकाल कर अंतिम स्कोर का एलान किया जाता है. 1988 के सियोल ओलंपिक में जब काफी विवाद हुआ तो कंप्यूटर से स्कोरिंग की जाने लगी लेकिन इसके बावजूद अब भी लगातार विवाद हो रहे हैं.

इससे पहले भारत की तरफ से एक दूसरे मुकाबले के लिए एआईबीए में दायर की गई अपील भी जूरी ने खारिज कर दी. 81 किलोग्राम वर्ग में भारत के सुमित सांगवान को हारा हुआ घोषित किया गया जबकि भारतीय अधिकारियों का मानना है वह इस मुकाबले में जीते थे. ओलंपिक में भारतीय खेमा इस फैसले से थोड़ा और निराश हुआ है. सुमित सांगवान के अलावा बैडमिंटन में ज्वाला गट्टा और अश्विनी पोनप्पा के लिए की गई उनकी अपील भी खारिज कर दी गई.

एनआर/एजेए (पीटीआई)

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