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भारत में कृत्रिम बारिश की कोशिश

१० जुलाई २०११

भारत अपनी मर्जी से बारिश कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना के आखिरी पड़ाव में पहुंच गया है. इसके लिए व्यापक प्रयोग हो रहे हैं. अगर सफलता मिली तो भारतीय किसानों को खासी मदद मिल सकती है.

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तस्वीर: dapd

तीन राज्यों के मौसम विभाग के वैज्ञानिक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटरोलॉजी (आईआईटीएम) काइपेक्स प्रोजेक्ट में लगे हैं, जिसका मकसद आसमान में बादल तैयार करना है. भारत का भूविज्ञान मंत्रालय इस काम में मदद कर रहा है.

प्रोजेक्ट डायरेक्टर आर कुलकर्णी ने बताया, "इस परियोजना में काम करने के लिए विशेष उपकरणों वाले विमान इस्राएल और दक्षिण अफ्रीका से मंगाए गए हैं. हमारा काम करने का मुख्यालय हैदराबाद में होगा." इस परियोजना से भारत के तीन राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कृत्रिम बारिश कराने की योजना है.

लगभग 50 करोड़ रुपये की इस परियोजना में भारतीय मौसम विभाग और मौसम की भविष्यवाणी करने वाला केंद्रीय विभाग शामिल है. कुलकर्णी ने बताया, "दो साल लंबे प्रोजेक्ट का दूसरा और आखिरी चरण इस साल मॉनसून के दौरान ही पूरा कर लिया जाएगा."

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20 वैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व कर रहे कुलकर्णी का कहना है कि इस प्रयोग से पता चलेगा कि किस तरह आसमान में बारिश के लिए कण पैदा किए जा सकते हैं. आखिरी चरण के ऑपरेशन में दो विमान वातावरण में बादलों को पैदा करने के लिए छोटे छोटे कण फैलाएंगे और इन्हें "सी-बैंड राडार" से देखा जा सकता है.

इस प्रयोग के बाद जमा आंकड़ों को भूविज्ञान मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. इसका पहला चरण पिछले साल पूरा किया गया था. कुलकर्णी ने बताया, "कई दूसरे देश इस तरह से बारिश करा रहे हैं. चीन, इस्राएल, इंडोनेशिया, रूस और मेक्सिको में इस तरह से बारिश कराई जाती है. लेकिन हमें अभी तक मॉनसून पर निर्भर करना पड़ता है."

उनका कहना है, "अगर हमारा प्रयोग सफल रहा तो सूखाग्रस्त इलाके के किसानों को काफी मदद मिल सकती है. हम दूसरे देशों की तरह की कृत्रिम बरसात की कोशिश में लगे हैं." वैज्ञानिकों का कहना है कि सफल प्रयोग से हम किसी खास जगह पर ओलों को गिरने से रोक सकते हैं या बादल भी छांट सकते हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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