"बंदूक के साए में कश्मीर का समाधान नहीं होगा"
२५ जून २०११इस्लामाबाद में भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव और पाकिस्तानी विदेश सचिव सलमान बशीर के बीच हुई बैठक को दोनों पक्षों ने ठोस और रचनात्मक करार दिया है. निरुपमा राव ने बताया कि युद्ध की विचारधारा के लिए अब कोई जगह नहीं बची है. जब निरुपमा राव से कश्मीर मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हमें कदम दर कदम शांति को स्थापित करना है. बंदूक के साए और चरमपंथी हिंसा से हमें दूर हटना होगा. आतंक के माहौल के बगैर ही कश्मीर जैसे जटिल मुद्दे पर बात की जा सकती है."
सलमान बशीर के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राव ने कहा, "दोनों देशों के बीच रिश्तों की जटिलताओं को हम पूरी तरह समझते हैं. आपसी विश्वास और समझ को बढ़ाने के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे. बंदूक के साए और हिंसा के चलते कई सालों से लोगों पर मुसीबतों के पहाड़ टूटे हैं. इसे खत्म किए जाने की जरूरत है. 21वीं सदी में आपसी रिश्तों में सैन्य संघर्ष का कोई स्थान नहीं है."
मुंबई हमलों पर पाकिस्तान में चल रहे मुकदमे की धीमी रफ्तार और आतंकियों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संबंधों पर भारत ने चिंता जताई है. हालांकि बैठक अच्छे माहौल में खत्म हुई और अगले महीने दिल्ली में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों में मुलाकात का रास्ता साफ हो गया है.
दो दिन तक चली बैठक में भारत और पाकिस्तान परमाणु और पारंपरिक हथियार क्षमता के मुद्दे पर विश्वास पैदा करने का प्रयास करने पर सहमत हुए हैं. दोनों पक्षों का कहना है कि विश्वास और भरोसा बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की बैठक कराई जाएगी.
बैठक में कश्मीर पर बातचीत के अलावा आम लोगों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए एक समूह बनाने का फैसला लिया गया है. इसके तहत पत्रकारों, व्यवसायियों, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को वीजा देने की प्रक्रिया को आसान करने का फैसला लिया गया है. 2008 में मुंबई हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव रहा है. हालांकि उसे कम करने के लिए पिछले कुछ समय से प्रयास हो रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ईशा भाटिया