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पैरिस में आज लीबिया पर बात

१ सितम्बर २०११

लीबिया में लड़ाई खत्म होने के बाद अब उसके पुनर्निर्माण की तैयारी है. सारी दुनिया इसके लिए तैयार बैठी है. इसकी रणनीति बनाने के लिए पैरिस में आज एक सम्मेलन होगा.

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लीबिया का पुनर्निर्माणतस्वीर: AP

लीबिया में पिछले कई महीनों से जारी गृह युद्ध लगभग खत्म हो गया है. विद्रोहियों ने ज्यादातर इलाकों पर कब्जा कर लिया है. दुनिया के कई देशों ने तो इसे पूरी तरह खत्म मान लिया है. नए लीबिया के गठन और प्रशासन के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसी सिलसिले में गुरुवार को पैरिस में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है. इस सम्मेलन में पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि और लीबिया में दिलचस्पी रखने वाले अन्य देश हिस्सा ले रहे हैं. कॉन्फ्रेंस का मुख्य मुद्दा राजनीतिक और आर्थिक पुनर्निर्माण में लीबिया की मदद है.

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस सम्मेलन का आयोजन कर  रहे हैं. इसमें यूएन महासचिव बान की मून और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के अलावा एक दर्जन से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे है.

UNO General Sekretär Ban Ki-moon
बान की मूनतस्वीर: picture alliance ZUMA Press

रूस का रुख

रूस ने कहा है कि लीबिया के दोस्त नाम से आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में वह अपना प्रतिनिधि भेजेगा. राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने बुधवार को इस बात का एलान किया. उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर मिखाइल मार्गेलोव का नाम रखा है. मार्गेलोव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "राष्ट्रपति के निर्देश पर रूस लीबिया पर होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेगा. हमारा देश इस सम्मेलन में बुलाए गए शुरुआती देशों में है."

रूस का यह कदम अहम है क्योंकि उसने पश्चिमी देशों के संपर्क समूह की आलोचना की है. उसका कहना है कि लीबिया में पुनर्निर्माण का काम संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में होना चाहिए. मार्गेलोव ने इस नजरिए को दोहराते हुए कहा, "सुरक्षा परिषद को इस मामले में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए." सुरक्षा परिषद में रूस के पास वीटो पावर है और वहां होने वाले किसी भी फैसले को वह रोक सकता है.

Libyen Gaddafi Flucht Algerien Rebellen 30.08.2011
विद्रोही जीत के जश्न की ओरतस्वीर: dapd

लेकिन रूस किसी भी सूरत में लीबिया में पुनर्निर्माण से बाहर नहीं रहना चाहेगा क्योंकि वहां उसके अरबों डॉलर के आर्थिक हित जुड़े हैं. मुअम्मर गद्दाफी के शासन के दौरान उसने लीबिया से हथियार, ऊर्जा और दूसरे क्षेत्रों में अरबों डॉलर के समझौते किए हैं. इसलिए लीबिया में सत्ता परिवर्तन के बाद वह अपने इन समझौतों को खोना नहीं चाहेगा.

मार्गेलोव ने कहा, "हम एक नया और स्थिर देश बनाने की प्रक्रिया में अपना रुख पेश करेंगे. और जाहिर है हम रूस के हितों पर भी जोर देंगे."

जब सुरक्षा परिषद में लीबिया पर नाटो के हमले को लेकर वोटिंग हो रही थी, तो रूस ने उसके लिए मौन सहमति दी थी. उसने मार्च में हुई वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया. लेकिन वह नाटो के हमलों की आलोचना करता रहा है.

और भी तैयार

चीन और लेबनान के प्रतिनिधि भी बैठक में हिस्सा लेंगे. चीन ने गुरुवार की कॉन्फ्रेंस में अपना पर्यवेक्षक भेजने का फैसला किया है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक उप विदेश मंत्री जाई जुन सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. मंत्रालय के प्रवक्ता मा जाओजू ने कहा, "लीबिया में स्थिरता और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की कोशिश कर रहे समूहों का चीन समर्थन करता है. हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय रचनात्मक भूमिका निभाएगा."

Sarkozy in China
निकोला सारकोजीतस्वीर: dapd

मोअम्मर गद्दाफी और चीन नेतृत्व के बीच काफी अच्छे संबंध रहे हैं. 1969 में गद्दाफी के सत्ता में आने के बाद से चीन और लीबिया के बीच कई बड़े आर्थिक समझौते हुए.

लेबनान ने कहा है कि वह भी लीबिया के दोस्त सम्मेलन में हिस्सा लेने को तैयार है. एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "लेबनान को पैरिस के सम्मेलन में शामिल होने का बुलावा भेजा गया. देश का प्रतिनिधित्व नजीब मिकाती और विदेश मंत्री अदनान मनसूर करेंगे." बेरूत ने लीबिया के विद्रोहियों की नेशनल ट्रांजीशनल काउंसिल को मान्यता दे दी है.

पैरिस में 60 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की उम्मीद की जा रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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