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धोनी को कानून पढ़ाना महंगा पड़ा

३ मार्च २०११

कैप्टन इंडिया महेंद्र सिंह धोनी को कानून पढ़ाना आईसीसी के लिए जी का जंजाल बन गया. दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड ने इस मुद्दे पर उसे जम कर लताड़ लगाई है और कानून बताने वाले अधिकारी को अपने हद में रहने की हिदायत दी है.

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तस्वीर: AP

धोनी ने अंपायर रिव्यू सिस्टम को अच्छा नहीं बताया, जिसके बाद आईसीसी के जनरल मैनेजर डेव रिचर्डसन ने कहा कि ऐसे कमेंट करने से पहले धोनी को नियम कायदे पढ़ लेने चाहिए. इसके बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड के सीईओ हारून लोर्गाट को सख्त लहजे में लिखे पत्र में कहा कि रिचर्डसन के पास धोनी पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें अपने हद में रहना चाहिए.

बीसीसीआई सचिव एन श्रीनिवासन ने अपनी चिट्ठी में लिखा, "धोनी की आलोचना करने वाले डेविड रिचर्डसन के बयान को बीसीसीआई बेहद गंभीरता से लेता है. रिचर्डसन ने कहा है कि भारतीय कप्तान को नियम पता होने चाहिए, यह बात फिजूल है. भारतीय कप्तान ने सिर्फ नियम की कमियां बताई हैं, जो गलत नहीं है. पूरी दुनिया इसे देख रही है. श्री रिचर्डसन को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है."

Shashank Manohar
तस्वीर: UNI

इंग्लैंड के साथ खेले गए टाई मैच में युवराज सिंह की गेंद पर जब इंग्लैंड के बैट्समैन इयान बेल को मैदान के अंपायर ने आउट नहीं दिया, तो भारतीय टीम ने इसे चुनौती दी. टीवी के रिप्ले में साफ दिख रहा था कि बेल आउट हैं, लेकिन पेंचीदा नियम कायदे की वजह से तीसरे अंपायर ने आउट नहीं दिया. धोनी ने मैच के बाद इसकी आलोचना की, जिसके बाद रिचर्डसन ने कहा कि धोनी को नियम कायदे पढ़ लेने चाहिए. वैसे नियमों के मुताबिक अगर गेंद स्टंप से ढाई मीटर के दायरे में टप्पा नहीं खाती, तो अंपायर रिव्यू डिसीजन कारगर नहीं होता और मैदान के अंपायर के फैसले को ही सही माना जाता है.

बीसीसीआई सचिव श्रीनिवासन ने अपने पत्र में लिखा है कि रिचर्डसन ने धोनी पर टिप्पणी की है, जिससे भारतीय कप्तान वर्ल्ड कप जैसे अहम टूर्नामेंट के दौरान दबाव में आ सकते हैं. उन्होंने लिखा, "वर्ल्ड कप खेले जाते वक्त अगर मैच के बाद के प्रेस कांफ्रेंस की वजह से आईसीसी का कोई अधिकारी किसी खिलाड़ी पर टिप्पणी करता है, तो इससे वह दबाव में आ सकता है. रिचर्डसन के बयान पर बीसीसीआई गहरी आपत्ति जताता है. उन्हें ताकीद किया जाना चाहिए कि आइंदा से वह ऐसा काम न करें."

भारतीय बोर्ड ने कहा कि वह हमेशा से अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (यूडीआरएस) का विरोध करता आया है और इसे सही नहीं मानता. यहां तक कि इस तकनीक को लाने वाले लोगों का भी मानना है कि यह पूरी तरह ठीक नहीं है. इस बार के वर्ल्ड कप में हर टीम को दो बार अंपायर के फैसले को चुनौती देने का अधिकार मिला है.

गुस्से में लिखे गए पत्र में कहा गया, "वर्ल्ड कप 2011 में भी इस नियम की कमी खुल कर सामने आई. भारत और इंग्लैंड के बीच हुए मैच में साफ तौर पर दिखा कि यह सिस्टम ठीक नहीं है." बेल को आउट न दिए जाने के बाद उन्होंने अच्छे खासे रन बनाए और भारत के साथ इंग्लैंड ने यह मैच टाई कर लिया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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