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जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में कनिमोड़ी

१० जून २०११

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल होने की आरोपी डीएमके सांसद कनिमोड़ी और कलइग्नार टीवी के एमडी शरद कुमार ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तिहाड़ में बंद कनिमोड़ी की जमानत याचिका हाई कोर्ट में खारिज.

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तस्वीर: UNI

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही हैं जिसमें उनकी जमानत याचिका को खारिज किया गया है. सीनियर एडवोकेट वीजी पारगसम ने बताया, "हमने कनिमोड़ी और शरद कुमार की ओर से एक विशेष याचिका दायर की है और हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है."

दिल्ली हाई कोर्ट ने 8 जून को कनिमोड़ी और शरद कुमार की याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दीं कि दोनों आरोपी अपने राजनीतिक दबदबे का इस्तेमाल कर सकते हैं. हाई कोर्ट के मुताबिक कनिमोड़ी और शरद कुमार के खिलाफ 2जी मामले में गंभीर आरोप हैं और गवाहों पर असर डालने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई ने अपनी दूसरी चार्जशीट में कनिमोड़ी और शरद कुमार को आरोपी बनाया है. दोनों पर 200 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है. विशेष अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद 20 मई को दोनों गिरफ्तार कर लिया गया और तब से दोनों तिहाड़ जेल में बंद हैं. पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा भी 2जी स्पेक्ट्रम मामले में तिहाड़ जेल में हैं.

चार्जशीट के मुताबिक कनिमोड़ी और शरद कुमार की कलइग्नार टीवी प्राइवेट लिमिटेड में 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी है. शाहिद बलवा की डीबी रिएल्टी फर्म के रास्ते दोनों को 200 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली. डीएमके प्रमुख करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को चार्जशीट में आरोपी नहीं बनाया गया है. उनकी कलइग्नार टीवी में हिस्सेदारी 60 फीसदी बताई जाती है.

कनिमोड़ी ने विशेष अदालत में महिला होने के आधार पर जमानत मांगी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. हाई कोर्ट में उन्होंने स्कूल जाने वाले बच्चों की जरूरतों का हवाला देते हुए अर्जी दी कि उनके पति विदेश में काम करते हैं इसलिए बच्चों की देखभाल करने के लिए उन्हें घर पर होना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने उनकी इस दलील को नहीं माना. अब कनिमोड़ी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कानूनी पचड़ों के बीच शुक्रवार को डीएमके ने बैठक बुलाई है जिसमें सरकार से मंत्री हटाने का फैसला लिया जा सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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