1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गद्दाफी की डूबती नैया छोड़ने की होड़

२७ फ़रवरी २०११

एक ओर जहां जनता के विद्रोह के चलते लीबिया के व्यापक हिस्से गद्दाफी के नियंत्रण से मुक्त हो रहे हैं, वहीं लीबियाई राजनीतिज्ञ व राजनयिक भी बढ़ती संख्या में गद्दाफी की डूबती नैया को छोड़ रहे हैं.

https://p.dw.com/p/10QI8
तस्वीर: dapd

यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के उप राजदूत इब्राहिम दब्बाशी और लीबियाई मिशन के अधिकांश राजनयिकों ने 21 फरवरी को ही घोषित कर दिया था कि वे अब गद्दाफी की सरकार के नहीं, बल्कि लीबियाई जनता के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने खुले आम गद्दाफी को उखाड़ फेंकने की अपील की है.

नई दिल्ली में लीबियाई दूतावास के सभी कर्मचारियों ने 25 अक्टूबर को गद्दाफी सरकार के साथ अपना नाता तोड़ दिया. दूतावास के एक वक्तव्य में कहा गया, "दूतावास में हम अब पूर्व शासन नहीं, लीबियाई जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. हम जनता की क्रांति के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं." सप्ताहांत के दौरान भारत में लीबियाई के राजदूत अली अल एस्सावी ने जनता पर हिंसक हमले का विरोध करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

Flash-Galerie Libyen Muammar al Gaddafi im Fernsehen
तस्वीर: picture alliance/dpa

इसी प्रकार अरब लीग में लीबियाई प्रतिनिधिमंडल ने निहत्थे नागरिकों के खिलाफ बर्बर अपराधों की निंदा करते हुए गद्दाफी का साथ छोड़ दिया. ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, मिस्र, जॉर्डन, इंडोनेशिया और चीन में भी राजनयिकों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है या जनता के साथ होने की घोषणा की है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के राजदूत व देश के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुर्रहमान शलगम ने भी सुरक्षा परिषद में भाषण देते हुए कड़े शब्दों में गद्दाफी शासन की निंदा की है.

लीबिया के अंदर भी गद्दाफी के लंबे समय के साथी उनसे अलग होते जा रहे हैं. गृह मंत्री अब्देल फतह युनेस अल अबिदी, विधि मंत्री मुस्तफा मोहम्मद अबुद अजलैल और देश के महाभियोक्ता अब्दुल रहमान अल अब्बर ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. अजलैल ने देश के पूरब में एक समानांतर सरकार के गठन की घोषणा की है. अमेरिका में लीबिया के राजतूद अली औजली ने भी गद्दाफी का साथ छोड़ते हुए घोषित किया है कि वे अजलैल की सरकार के साथ हैं.

इस बीच लीबियाई वायुसेना के दो पायलट अपने जेट विमानों के साथ माल्टा पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदर्शनकारियों पर बम फेंकने का आदेश दिया गया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है. इनमें से एक ने माल्टा में राजनीतिक शरण मांगी है.

ऐसा लगता है कि लीबिया में एक भावी प्रशासनिक संरचना के निर्माण में ऐसे लोगों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी