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कारोबार

बेटिंग के कानून की कमजोरी से बना करोड़ों का उद्योग

९ नवम्बर २०२०

भारत में बेटिंग गैर कानूनी है लेकिन करोड़ों क्रिकेट प्रेमी इसकी कमी आईपीएल पर आधारित फैंटसी खेलों से जुड़ कर पूरी कर रहे हैं. फैंटसी खेल अपने आप में करोड़ों का एक उद्योग बन चुका है.

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फैंटसी खेल कानून की कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं. बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश पा कर भारतीय कंपनियों ने ऐसे खेलों में निवेश किया है जिनमें अंक हासिल कर रुपये कमाए जा सकते हैं. यह अपने आप में एक नया उद्योग है और यह इस डर के बावजूद पनप रहा है कि सरकार कभी भी नए नियम ला सकती है जिससे यह उद्योग जोखिम में पड़ जाएगा. जैसे ड्रीम11 को ले लीजिए, जो अब आईपीएल की मुख्य स्पॉनसर है.

कंपनी का कहना है कि उसके पास उसके क्रिकेट, फुटबॉल और एनबीए प्लेटफॉर्मों पर 10 करोड़ से भी ज्यादा यूजर हैं. ये यूजर एक शुल्क देते हैं जो अक्सर 40 रुपयों से भी कम होता है. इसका भुगतान कर वो एक ऐसी प्रतियोगिता में शामिल हो पाते हैं जो भारत में जुए पर लगे प्रतिबंध से सिर्फ इसलिए बचा हुआ है क्योंकि उसे "कौशल" या "स्किल" का खेल माना जाता है.

शुल्क देकर यूजर अपने पसंदीदा खिलाड़ियों की टीम बनाते हैं और फिर आईपीएल के मैचों में उस टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर अंक जीतते हैं. उसके बाद जीते हुए अंकों को रुपयों में बदला जा सकता है. इस साल आईपीएल से जुड़े हुए कई फैंटसी खेल बाजार में आ गए हैं और नए नियमों की संभावना के बावजूद काफी पैसा कमा रहे हैं. उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि ये सेक्टर बढ़ कर अरबों रुपए के मूल्य का बन सकता है.

Südafrika Hansie Cronje 2000
क्रिकेट में मैच-फिक्सिंग के घोटाले अक्सर सामने आते रहते थे और लोगों को यह समझाने में बहुत संघर्ष करना पड़ता था कि गैर-कानूनी बेटिंग और फैंटसी खेलों में अंतर है.तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Zieminski

खेल या सट्टा?

सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमित भंडारी ने दो साल पहले जब ड्रीम11 के फैंटसी क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब उन्होंने यह नहीं सोंचा था कि उन्हें आसानी से पैसा कमाने के उसके वादे की लत लग जाएगी. 38 वर्षीय अमित कहते हैं, "मैं अभी भी उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब मैं कोई बड़ी रकम जीतूंगा." वो अपनी इस आदत को हानिरहित बताते हैं लेकिन फिर भी इसे अपने परिवार से छुपाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके परिवार के सदस्यों को यह आदत पसंद नहीं आएगी.

विनीत गोदारा इस भावना से परिचित हैं. विनीत माईटीम11 के सह-संस्थापक हैं जो 2016 में शुरू किया गया एक फैंटसी प्लेटफॉर्म है. अपने शुरूआती दिनों में कंपनी को बेटिंग को लेकर चिंताओं की वजह से ना ही कोई डिजीटल भुगतान का प्लेटफॉर्म मिल रहा था और ना ही एक कॉर्पोरेट बैंक अकाउंट.

क्रिकेट में मैच-फिक्सिंग के घोटाले अक्सर सामने आते रहते थे और गोदारा को लोगों को यह समझाने में बहुत संघर्ष करना पड़ता था कि गैर-कानूनी बेटिंग और फैंटसी खेलों में अंतर है. लेकिन इस साल भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने बड़ी संख्या में फैंटसी खेलों को खेलना शुरू किया है. संभव है उन्होंने ऐसा तालाबंदी की बोरियत से बचने के लिए किया हो. विराट कोहली जैसे चोटी के खिलाड़ियों को लेकर जारी किए गए मार्केटिंग अभियान ने भी मदद की है.

Indien Premier League | New Zealand vs India
इस साल भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने बड़ी संख्या में फैंटसी खेलों को खेलना शुरू किया है. विराट कोहली जैसे चोटी के खिलाड़ियों को लेकर जारी किए गए मार्केटिंग अभियान ने भी मदद की है.तस्वीर: Mark Baker/AP/picture alliance

बढ़ रहा है व्यापार

गोदारा ने एएफपी को बताया, "आईपीएल फैंटसी खेलों के उद्योग के लिए एक वरदान बन कर आया है. हमने आईपीएल के दौरान यूजर इंगेजमेंट में काफी बड़ी उछाल देखी है." दूसरे प्लेटफॉर्मों के भी व्यापार में बढ़त हुई है. मोबाइल प्रीमियर लीग ऐप के सह-संस्थापक साईं श्रीनिवास ने एएफपी को बताया, "हमारा अनुमान है कि आईपीएल के अंत तक हम आठ करोड़ यूजर पार कर लेंगे."

इसके अलावा गेम्स24*7 प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक भविन पंड्या ने बताया 2019 से 2020 के बीच पैसे देकर खेलने वाले यूजरों की सांख्य में 900 प्रतिशत की बढ़ोतरी का पूर्वानुमान किया है. विदेशी निवेशक भी जुड़ने को इच्छुक हैं. थिंक टैंक इंडियाटेक.ओआरजी के अनुसार भारतीय फैंटसी प्लैटफॉर्मों को 2018 से अभी तक 14 अरब रुपयों से भी ज्यादा का निवेश मिल चुका है. निवेशकों में टाइगर ग्लोबल जैसे अमेरिकी हेज फंड और चीन की बड़ी ऑनलाइन कंपनी टेनसेंट शामिल हैं.

अनुमान है कि भारत के करीब 10 करोड़ गेमरों में से सिर्फ 20 प्रतिशत फैंटसी प्लैटफॉर्मों पर पैसे दे कर खेलते हैं, जबकि बाकी मुफ्त खेलों तक ही सीमित रहते हैं. कंपनियों को आगे भी काफी बढ़ने की उम्मीद है. डाटा प्लेटफॉर्म स्टैटिस्टा के अनुसार सस्ते फोन और सस्ता डाटा की वजह से 2025 तक भारत में इंटरनेट यूजरों की संख्या 70 करोड़ से बढ़ कर 97.5 करोड़ तक हो जाएगी.

अनिश्चितताएं भी हैं

लेकिन ऐसा नहीं है कि सब खुश ही हैं. एडवरटाइजिंग क्षेत्र में काम करने वाले आदर्श शर्मा का कहना है कि काफी खेलने के बावजूद उनकी तो आज तक कोई भी कमाई नहीं हुई है और उन्हें ऐसे लोगों के बयानों को लेकर संदेह है जो कहते हैं कि उन्होंने बड़ी रकम जीती है. 40-वर्षीय आदर्श शर्मा कहते हैं, "मैं हजारों खेलने वालों की चिंताओं को आवाज दे रहा हूं." उद्योग से जुड़े लोगों को और भी चिंताएं हैं.

इंडियाटेक.ओआरजी के सीईओ रमेश कैलासम ने एएफपी को बताया, "अभी कोई भी नियम नहीं हैं...और पांच या छह राज्यों ने फैंटसी स्पोर्ट्स जैसे ऑनलाइन गेमिंग के अलग अलग रूपों को बैन कर दिया है." अभी के लिए ऐसा लगता है कि भारत सरकार इन खेलों को चलते रहने दे रही है. इस क्षेत्र ने पिछले साल 4.34 अरब रुपयों से भी ज्यादा टैक्स भरा. लेकिन आगे क्या होगा यह अभी भी कहा नहीं जा सकता.

सीके/एए (एएफपी)

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