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कलमाड़ी के कामकाज पर कई बार चेताए गए पीएम

३ जुलाई २०११

कॉमनवेल्थ गेम्स में वित्तीय अनियमितताओं, सुरेश कलमाड़ी के एकछत्र राज और उनके कामकाज के तरीके पर कई सालों से सवाल उठते रहे. 2004 से तीन खेल मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस संबंध में चेताने की कोशिश की.

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तस्वीर: UNI

सूचना का अधिकार कानून के तहत एक आरटीआई कार्यकर्ता ने यह जानकारी हासिल की है. स्वर्गीय सुनील दत्त ने प्रधानमंत्री को सलाह दी थी कि आयोजन समिति का प्रमुख सरकारी नुमाइंदे (जैसे खेल मंत्री) को होना चाहिए. उनके बाद खेल मंत्री का पद संभालने वाले मणिशंकर अय्यर ने पैसे को लुटाने पर आयोजन समिति की कड़ी आलोचना की. अय्यर के बाद खेल मंत्री बनने वाले एमएस गिल की राय थी कि आयोजन समिति की कार्यकारी समिति कभी कभार ही मिलती है और मनमाने ढंग से लिए गए फैसलों पर मुहर लगा देती है.

Indien Neu Delhi Memorandum Zentralbank
तस्वीर: UNI India

खेल मंत्रियों के लिखे इन पत्रों को सूचना का अधिकार कानून के तहत एससी अग्रवाल ने हासिल किया है. 2004 में जब आयोजन समिति के ढांचे पर अंतिम सहमति होनी थी तो तत्कालीन खेल मंत्री सुनील दत्त ने प्रधानमंत्री को लिखा कि इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के प्रस्ताव को देखकर हैरान हैं जिसके तहत सुरेश कलमाड़ी को ही आयोजन समिति का प्रमुख चुन लिया गया है. सुनील दत्त ने स्पष्ट किया कि यह मंत्री समूह के फैसले के खिलाफ है.

सुनील दत्त ने दावा किया कि ओलंपिक एसोसिएशन को पता था कि मंत्री समूह ने खेल मंत्री को आयोजन समिति का प्रमुख बनाने पर सहमति दे दी है. सुनील दत्त के बाद खेल मंत्री मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खत लिखकर यह बताया कि किस तरह आयोजन समिति पैसे को "लुटा रही है". अय्यर के मुताबिक पांच हजार डॉलर प्रति दिन के हिसाब से सलाहकार नियुक्त किए गए हैं, दो करोड़ रुपये का फार्म हाउस दिया गया और कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के माइक हूपर को हर महीने फर्स्ट क्लास का हवाई टिकट दिया गया.

अय्यर ने लिखा कि 1982 एशियन गेम्स में आयोजन समिति के प्रमुख राजीव गांधी थे जो सार्वजनिक हित चाहते थे. लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति में सिर्फ ऐसे लोग हैं जो हर बात पर हामी भरने को तैयार हैं. अय्यर ने कहा कि आयोजन समिति प्रमुख के पास तानाशाह की तरह अधिकार दिए गए हैं. बाद में खेल मंत्री का पद संभालने वाले एमएस गिल ने भी कहा कि आयोजन समिति बेहद कम मौकों पर मिलती है और फिर फैसलों पर मुहर लगाती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एमजी

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