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आठ हफ्ते की हिरासत में नॉर्वे का हमलावर

२५ जुलाई २०११

नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में बम विस्फोट और पास के टापू पर अंधाधुंध फायरिंग कर 90 से ज्यादा लोगों की हत्या करने वाले आरोपी आंदर्स बेहरिंग ब्रेविक को आठ हफ्ते की हिरासत में भेज दिया गया. उसकी बंद कमरे में सुनवाई हुई.

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इस्लाम से नफरततस्वीर: AP

हमले के आरोपी ब्रेविक ने कोर्ट से ओस्लो में बम धमाका और टापू में फायरिंग की बात कबूल की है. कोर्ट ने ब्रेविक को 4 हफ्ते तक एकांत में रखने को कहा. हिरासत के दौरान उससे कोई मिल नहीं सकता है और न ही उस तक किसी की चिट्ठी पहुंचाई जाएगी. कोर्ट को डर है कि अगर आरोपी को छोड़ा गया तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. कोर्ट को ब्रेविक ने बताया कि वह इस कार्रवाई के साथ लोगों को 'मजबूत सिगनल' देना चाहता था. ब्रेविक की कार्रवाई के पर्याप्त सबूत हैं और इस वजह से उसे हिरासत में भेजा गया है. ब्रेविक ने कोर्ट को बताया कि वह यूरोप को मार्क्सवाद और इस्लाम से बचाना चाहता है.

Trauer in Norwegen nach Terroranschlag Dossierbild 2
तस्वीर: dapd

बहुसंस्कृतिवाद के खिलाफ ब्रेविक

नॉर्वे का रहने वाले आंदर्स बेहरिंग ब्रेविक ने कहा है कि एक "क्रांति" की चिंगारी भड़काना चाहता है. उसका मानना है कि बहुसंस्कृतिवाद यूरोप की परंपरा को खराब कर रहा है. जानकारों का मानना है कि इस तरह की हिंसा को दोबारा रोकने के लिए इमिग्रेशन जैसे मुद्दे पर खुलकर बहस करनी होगी. कुछ नॉर्डिक देशों में और यूरोप के दूसरे हिस्सों में भी राजनीतिक पार्टियां बाहर से आने वाले लोगों से चिंतित हैं. क्योंकि आर्थिक स्थिति खराब हो रही है और इस्लामी आतंकवाद के खतरे के कारण भी लोग बाहर से आने वाले लोगों को शक की नजर से देखते हैं. जानकार बहस करते हैं कि जटिल समस्याओं के समाधान को खोजने के बजाए आक्रामक राजनीतिक बयानबाजी ने जुनून को उत्तेजित किया है. जानकार कहते हैं कि बाहर से आने वाले लोगों और बहुसंस्कृतिवाद को लेकर परस्पर विरोधी संदेश और अतिसंवेदनशीलता ने लोगों को हताश किया है. साथ ही कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ने के लिए जगह दी है..

बाहर से आने वाले लोगों पर खुली बहस की मांग

आईएचएस ग्लोबल थिंक टैंक की लिलिट गेवोरज्ञान कहती हैं, "अगर नॉर्वे में दोहरे हमले के इस मुद्दे पर एक ईमानदार बहस नहीं होती है तो दक्षिणपंथी हाशिए पर जा सकते हैं और हालात और खराब हो सकते हैं. हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस तरह के और हमले हों. यह सिर्फ नॉर्वे का ही मुद्दा नहीं है. स्कैंडिनेविया और साथ ही पश्चिमी यूरोप और पूर्वी यूरोप में बहुत से लोग खुली बहस न होने के कारण हताश हैं."

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, जर्मनी की चांसलर अंगेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी हाल के महीनों में बाहर से आए लोगों की तारीफ तो की है लेकिन यह भी कह चुके हैं कि बहुसंस्कृतिवाद विफल हो रहा है. आलोचकों का कहना है कि कुछ देशों में बाहर से लोगों के आने की वजह से आर्थिक और सामाजिक दबाव बढ़ता है.

लंदन सिटी यूनिवर्सिटी के धर्म और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की लेक्चरर सारा सिलवेस्तरी ने 8 जून को छपे एक लेख में लिखा, "बहुसंस्कृतिवाद पर हाल के भाषणों और आम बहस का परिणाम यह निकलता है कि इस पर भ्रम की भावना है. बेचैनी है और विरोधाभास है. लिहाजा हम आसान जवाब की तलाश करते हैं. जैसे उदार बनाम कट्टरपंथ इस्लाम, बहुसंस्कृतिवाद बनाम परिपक्व... फिर भी ऐसे सरल नामकरण और वर्गीकृत करना लोगों को बांट देता है और बैर भड़काता है."

आग पर तेल का काम

स्कैंडिनेविया के बहुत से राजनीतिक पार्टियों ने बाहर से आने वाले लोगों के मुद्दे का करीब से सामना किया है. लेकिन जो भड़काने वाले अंदाज कुछ नेताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हैं, उससे ऐसा लगता है कि ब्रेविक के अंदर इस्लाम और प्रवासी विरोधी गुस्से को भड़काने का काम किया होगा..

Frankreich Muslime Streit um Kopftuchverbot
तस्वीर: AP

हाल के सालों में नॉर्डिक और स्कैंडिनेविया देशों में इस्लाम विरोधी और प्रवासी विरोधी पार्टियों ने अपनी तरफ लोगों को खींचा है. भारी संख्या में बाहर से लोगों का आना खासकर के इन इलाकों में मुसलमानों के आने से, वहां की जनता चिंता में है. इस मौके का कुछ राजनीतिक दल लाभ भी उठा रहे हैं. प्रवासी विरोधी पार्टी स्वीडन डेमोक्रैट्स ने पिछले साल स्वीडन में चुनाव में पहली बार जीत हासिल की थी. पार्टी ने मुसलमानों और इस्लाम की निंदा की थी कि वे दोनों स्वीडिश नहीं है. स्वीडन की फासीवाद विरोधी पत्रिका एक्सपो कहती है कि हिंसा और राजनीतिक पार्टियों के बयान में कोई रिश्ता नहीं दिखता. एक्सपो के पत्रकार जोहानिस जैकोबसन कहते हैं, "स्वीडिश डेमोक्रैट्स बहुत आक्रामक विचारधारा मुसलमानों के खिलाफ चला रहे हैं. यह स्वीकार किया जाने लगा है."

रिपोर्ट:एजेंसियां/आमिर अंसारी

संपादन: ए जमाल

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