1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अर्जुन हलप्पा को हॉकी टीम की कमान

१२ अप्रैल २०११

लंबे समय से दो खेमों में बंटी भारतीय हॉकी एक बार फिर कुछ कर दिखाने मलेशिया जाने की तैयारी कर रही है. अगले महीने शुरू होने वाले सुलतान अजलान शाह कप टूर्नामेंट के लिए अर्जुन हलप्पा को टीम का कप्तान चुना गया है.

https://p.dw.com/p/10rgQ
तस्वीर: AP

टीम के 18 खिलाडियों का चयन दिल्ली में चल रहे शिविर में 45 खिलाड़ियों की प्रतिभा देख कर 18 अप्रैल को किया जाएगा. पिछले 10 साल से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधत्व करने वाले हलप्पा का कहना है कि उन्हें कप्तान बनने की खुशी तो है लेकिन उनके ऊपर इसका दबाव नहीं है. वह कहते हैं, "हां, यह जरूर है कि यह एक नई जिम्मेदारी है.''

30 वर्षीय मिडफील्डर अर्जुन ने 1998 में पहली बार जूनियर टीम के सदस्य के रूप में यूरोप का दौरा किया था. उसके बाद 2001 में उन्हें सीनियर टीम में लिया गया और तब से वह राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी रहे हैं. फिर चाहे 2004 के एथेन्स ओलंपिक गेम्स हों या दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स, सभी अहम टूर्नामेंटों में वह टीम का हिस्से रहे.

एक युवा टीम की कप्तानी का मौका अर्जुन को अब इसलिए मिला, क्योंकि पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में कप्तान रहे राजपाल सिंह और तुषार खांडेकर चोटिल हैं. साथ ही संदीप सिंह और सरदारा सिंह जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को अनुशासन भंग करने के आरोप में कैम्प में ही नहीं रखा गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ये दोनों हॉकी इंडिया को बिना बताए बेल्जियम में लीग खेलने चले गए. सरदारा सिंह भारत के एक मात्र खिलाड़ी हैं, जिन्हें पिछले साल अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने दुनिया के 11 बेहतरीन खिलाड़ियों में चुना था. मलेशिया में उनकी कमी तो खलेगी लेकिन अर्जुन का मानना है कि इन सब परेशानियों के बावजूद कम से कम नए खिलाड़ियों को मौका मिलेगा और वे अपने मुख्य लक्ष्य, लंदन ओलिम्पिक पर नजर रखेंगे.

Indien Commonwealth Games Delhi 2010
तस्वीर: AP

हलप्पा कहते हैं, "खेल में चोट लगना आम बात है और इसके ऊपर किसी का जोर नहीं है. कुछ लोग बाहर खेल रहे हैं तो कुछ कॉलेज की परीक्षा में व्यस्त हैं. लेकिन यह भी सही है कि इस से कम से कम कुछ युवा खिलाड़ियों को मौका तो मिलेगा."

कुर्ग में जन्मे स्टार मिडफील्डर ने यह भी माना कि लंदन ओलिम्पिक के लिए क्वालिफाई करने की दिशा में यह टूर्नामेंट काफी महत्वपूर्ण होगा और मुझे यकीन है कि युवा खिलाड़ी इस परीक्षा में खरे उतरेंगे.''

आजकल दिल्ली में चल रहे टीम के कोचिंग कैम्प में, नैशनल कोच हरिंदर सिंह खिलाड़ियों को पेनल्टी कॉर्नर मारने के अभ्यास के लिए उसी अनोखे तरीके का इस्तमाल कर रहे हैं जो उन्होंने ड्रेग फ्लिकर संदीप सिंह के साथ ढूंढा था. वह बताते हैं, "मैं गोलकीपर और पेनल्टी मारने वाले खिलाड़ी के बीच शर्त लगवाता हूं और जो अच्छा प्रदर्शन करता है उसे एक या दो हजार नगद इनाम देता हूं. भले ही मेरी जेब से पैसे जाएं लेकिन खिलाड़ियों में उत्साह बना रहता है. यह आगे टूर्नामेंट में भी काम आता है.''

Indien Commonwealth Games Delhi 2010
तस्वीर: AP

हरिंदर को हलप्पा पर भी पूरा भरोसा है और वह अक्सर खिलाड़ियों को चक दे इंडिया फिल्म की याद दिलाते हैं जिसमें शाह रुख ने अपनी टीम को सीख दी थी कि 70 मिनट तुम्हारी ज़िन्दगी के वे क्षण हैं जिन्हें तुमसे कोई छीन नहीं सकता. उन्हें तुम हमेशा याद रखोगे. हरिंदर बताते हैं, "बस मैं भी टीम को यही कहता रहता हूं."

कप्तान हलप्पा ने टीम के खिलाड़ियों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वह कहते हैं कि यह घोषणा टीम के कोच और चयनकर्ता ही करेंगे. लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि पहले भी टीम के सीनियर खिलाड़ियों की राय ली जाती थी और यकीन है कि अब भी ऐसा ही होगा.

मलेशिया में हॉकी एक बहुत ही लोकप्रिय खेल है और वहां बसे हजारों भारतीय बेसब्री से भारतीय टीम का इंतज़ार करते रहते हैं. पिछले साल उन भारतीयों के लिए अजलान शाह पैसा वसूल टूर्नामेंट था, जब भारत ने कोरिया के साथ संयुक्त रूप से खिताब जीता था. अजलान शाह टूर्नामेंट के इतिहास में यह पहला मौका था जब बारिश के कारण फाइनल सिर्फ छह मिनट ही खेला जा सका और दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित किया गया.

रिपोर्टः नौरीस प्रीतम, दिल्ली

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी