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अगले हफ्ते खुलेगा नाथूला दर्रा

Priya Esselborn१० मार्च २०११

इस साल अगले हफ्ते सिक्किम में नाथूला दर्रा को व्यापार के लिए खोला जाएगा. भारत और चीन के लघु व्यापारी हर साल इस समय का बेसब्री से इंतेजार करते हैं.

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तस्वीर: DW

भारत और चीन के बीच व्यापार के लिए नाथूला दर्रे को खुले करीब पांच साल हो गए हैं. सीमा के दोनों ही तरफ इसका खुलना वहां के व्यापारियों के लिए लाभकारी साबित हुआ है. यह दर्रा हर साल कुछ महीनों के लिए खोला जाता है. अगले हफ्ते इसे नवम्बर तक के लिए खोला जाएगा. इसके बाद सर्दियों में यह बंद रहेगा.

38 वर्षीय फुला मोई पिछले चार सालों से लगातार सामान के लेन देन के लिए दर्रे के उस पार जाती हैं. औपचारिकताएं पूरी करते हुए बताती हैं, "इस बार जब नाथूला खुलेगा तब मैं सामान बेचने जाउंगी और वहां से माल भी ले कर आउंगी. यहां से मैं तेल, बिस्किट और चावल ले जाते हूं बेचने के लिए. चीन के व्यापारी तांबा लाते हैं, जो मैं खरीदती हूं. सिक्किम से करीब 250 व्यापारी रोज वहां जाते हैं. हम सुबह आठ बजे निकलते हैं और दोपहर तक वापस आ जाते हैं."

BdT Seidenstraße China Indien wird wiedergeöffnet Himalaja
तस्वीर: AP

बढ़ रहा है दोनों देशों में व्यापार

नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम और दक्षिण तिब्बत को जोड़ता है. भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था. जुलाई 2006 में इसे फिर से व्यापार के लिए खोल दिया गया. नाथूला दर्रा भारत और चीन के बीच व्यापार के लिए नियुक्त किए गए तीन दर्रों में से एक है. नाथूला के अलावा हिमाचल प्रदेश में शिपकीला और उत्तराखंड में लिपुलेख भी व्यापार के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. 1962 में हुए समझौते के अनुसार सिक्किम के लोग चीन से 29 चीजों का निर्यात और का 15 आयात कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें कोई कर नहीं चुकाना पड़ता.

दर्रा खुलने के बाद 2006 में 8.75 लाख रुपयों का निर्यात हुआ, जब कि पिछले साल भारत ने 1.3 करोड़ रुपए कमाए. इस साल इसके और बढ़ने की उम्मीद है. सीमा के दोनों तरफ व्यापारी चाहते हैं कि शुल्क मुक्त वस्तुओं की सूची में और चीजों को भी डाला जाए. उनका मानना है कि यह सूची अब पुरानी हो चुकी है और आज के समय की जरूरतों को पूरा नहीं करती.

China Indien Wirtschaft Importe
तस्वीर: CNC

मुक्त व्यापार मुमकिन नहीं

भारतीय और चीने संबंधों के विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली बताते हैं कि अब तक ऐसा क्यों नहीं हो पाया है," भारत को इस बात को लेकर हमेशा संदेह रहा है कि चीन इन रास्तों से भारत के बाजारों में अपना सामान का डंपिंग करेगा जिसकी उन्हें जरूरत नहीं है और जो हानिकारक भी हो सकते हैं. इसीलिए भारत ने मुक्त व्यापार के चीन के हर प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सरकार को डर है कि चीनी वस्तुओं के बाजार में आने से भारत के लघु और मध्यम उद्योग को भारी नुकसान पहुंच सकता है. इसीलिए इस सूची को और नहीं बढाया गया है."

लकिन नाथूला से कुछ 15 किलोमीटर दूर चांगु में रहने वाले सुनील राय चाहते हैं कि मुक्त व्यापार हो ताकि उनके व्यापार का दायरा बढ़ सके, "कई लोग चीन से यहां आते हैं. हम सब आठ या नौ ट्रकों में वहां जाते हैं. अब तक व्यापार बहुत अच्छा चल रहा है, उनके लिए भी और हमारे लिए भी. इलेक्ट्रॉनिक चीजें अभी नहीं बेची जातीं, लेकिन क्या पता आगे ऐसा होने लगे."

सिक्किम में नाथूला दर्रे के खुल जाने से लोग खुश हैं और इस से लोगों को रोजगार भी मिला है. बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का बड़ा हिस्सा नाथूला दर्रे के जरिए ही होता था. यह दर्रा प्राचीन सिल्क रूट का भी हिस्सा रहा है.

रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/ईशा भाटिया

संपादन: एमजी

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