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गाम्बिया में मौतों को भारत से जोड़ने में जल्दबाजी हुईः भारत

१६ दिसम्बर २०२२

भारत का कहना है कि गाम्बिया में इस साल हुई बच्चों की मौतों का उसके यहां बनी दवाई से सीधा संपर्क बताना जल्दबाजी थी. उसने कहा है कि उसकी जांच में सभी दवाओं के नमूने ठीक पाए गए हैं.

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भारतीय दवाओं पर संदेह
भारतीय दवाओं पर संदेहतस्वीर: ANUSHREE FADNAVIS/REUTERS

इसी साल सितंबर-अक्टूबर में गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत को लेकर भारत ने कहा है कि उसने खांसी की दवा के नमूनों की जांच की है और उसे सभी मानकों पर सही पाया है. उसने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी खांसी की दवा से इन मौतों को जोड़ने में जल्दबाजी की, जिससे दुनिया में उसकी छवि को नुकसान पहुंचा.

भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के डॉ. वीजी सोमानी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक (रेग्युलेशन एंड प्रीक्वॉलिफिकेशन) डॉ. रोजेरियो गैसपर के नाम एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक बयान को "दुर्भाग्य से वैश्विक मीडिया ने बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जिसमें भारतीय औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता को निशाना बनाया गया.”

डीसीजीआई के मुताबिक गाम्बिया ने कहा है कि आमतौर पर भारत में बनी खांसी की दवा और बच्चों की मौतों में कोई सीधा संपर्क नहीं मिला है. हालांकि डीसीजीआई ने यह बात गाम्बिया के मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही कही है. ऐसी खबरें आई थीं कि गाम्बिया में जिन बच्चों की मौतें हुईं, उनमें से कुछ ने विवादित खांसी की दवा नहीं ली थी.

गाम्बिया में दर्जनों मौतें

जुलाई से सितंबर के बीच गाम्बिया में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच का नेतृत्व करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट अबुबक्र जाग्ने ने कहा था कि "जांच के शुरुआती नतीजों से संकेत मिलता है कि यह संभवतः पैरासिटामोल और प्रोमिथाइजिन सिरप है जो इस प्रकोप में गुर्दे की गंभीर दिक्कतों के मामलों का कारण बनता है."

साथ ही डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि "उत्पादों के नमूनों के प्रयोगशाला विश्लेषण से इस बात की पुष्टि होती है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई." डब्ल्यूएचओ ने ही कहा था कि यह दवा भारत में निर्मित थी और गाम्बिया को सप्लाई की गई थी.

अपने पत्र में डॉ. सोमानी ने कहा कि भारत में बनी खांसी की जिन चार दवाओं को गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जोड़ा गया था, उनके नमूनों की भारत सरकार की प्रयोगशालाओं में जांच की गई और पाया गया कि वे सभी मानकों पर खरी हैं तथा उनमें कोई संक्रमण नहीं है.

गाम्बिया में हुई मौतों के बाद भारत ने दवाओं के निर्माण और प्रक्रिया की जांच के लिए एक तकनीकी समिति बनाई थी. उस समिति ने नमूनों की जांच के अलावा डब्ल्यूएचओ की रिपोर्टों की जांच और विश्लेषण किया. डीसीजीआई ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के साथ पूरा सहयोग किया जा रहा है और सारी जांच रिपोर्ट उसे भेजी जा रही हैं.

डॉ. सोमानी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ से गाम्बिया में मौतों के दवा से संबंध पर रिपोर्ट मांगी गई थी, जो अब तक नहीं मिली है. उन्होंने कहा, "तकनीकी समिति कई बार मिल चुकी है. हर बार समिति ने डब्ल्यूएचओ से मौतों के साथ संबंध के बारे में विशेष जानकारी मांगी थी. लेकिन अब तक कोई सूचना नहीं दी गई है.” उन्होंने कहा कि भारत दवाओं और कॉस्मेटिक्स के निर्माण में सर्वोच्च मानक स्थापित करने के लिए कठोर निगरानी को प्रतिबद्ध है.

शुरुआती जांच में अनियमितताएं

ये दवाएं दिल्ली स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई थीं. चार दवाओं में डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा सुरक्षित मानकों से 'अस्वीकार्य स्तर तक' ज्यादा है, जो घातक हो सकता है. 

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने उस फैक्ट्री की जांच की थी जिसके बाद "इस इकाई में सभी दवाओं के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से बंद" करने के आदेश दिए गए थे. विज ने कहा कि एक प्रारंभिक जांच में कुंडली शहर में स्थित फैक्ट्री में 12 उल्लंघन पाए गए. यह दवा फैक्ट्री दिल्ली से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

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उधर मेडेन फार्मास्युटिकल्स के निदेशक नरेश गोयल ने कथित तौर पर इस बात से इनकार किया है कि उनकी कंपनी में उत्पादित कफ सिरप के कारण मौतें हुईं. उन्होंने अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया, "मौतें पैरासिटामोल सिरप के कारण हुई हैं, न कि हमारी कफ सिरप के कारण."

ऐसी कई घटनाएं

भारत निर्मित कफ सिरप से जुड़ी गाम्बिया की घटना इस तरह की पहली घटना नहीं है. दो साल पहले, डिजिटल विजन नामक कंपनी के बनाए गए सिरप के सेवन से जम्मू और कश्मीर में 17 बच्चों की मौत हो गई थी.

इस घटना की जांच में पाया गया कि सिरप में डाइथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा काफी ज्यादा थी. गाम्बिया में हुई मौत के बाद डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में भी पाया गया कि वहां भेजे गए कफ सिरप में डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा सुरक्षित मानकों से ‘अस्वीकार्य स्तर तक' ज्यादा थी.

जम्मू-कश्मीर की घटना के बाद भारत सरकार ने इस कफ सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी और उन उत्पादों के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया जिनमें ये दो विषैले पदार्थ डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल शामिल नहीं किए जाते.

कुछ साल पहले 2016 में, दो भारतीय दवा कंपनियों पर डायबिटीज के नकली दवाओं के निर्यात का आरोप लगा था.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)