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कहां जा रहा है भारत की महिलाओं का पैसा?

अविनाश द्विवेदी
८ मार्च २०२३

भारत में उद्योग, धंधों में तरक्की हो रही है. इसके साथ ही भारत में निवेश करने वालों में भी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. हालांकि अब भी आजादी से वित्तीय फैसले लेने में उनकी पुरुषों से समानता करना बाकी है.

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तस्वीर: Tumpa Mondal/picture-alliance/Photoshot

भारत में निवेश और बचत से जुड़े सुझाव देने वाली महिला इंफ्लुएंसर्स सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं. इसी तरह भारत में कुल निवेश करने वाले लोगों में भी महिलाओं का औसत तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही निवेश और बचत को लेकर महिलाओं की जागरुकता में भी बढ़ोतरी हो रही है.

हाल ही में वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म कुवेरा ने निवेश और बचत को लेकर 16 लाख निवेशकों पर एक सर्वे किया. इस सर्वे में ही निवेश करने वालों में महिलाओं की संख्या बढ़ने की बात सामने आई. सर्वे में यह भी पाया गया कि भारत की महिलाओं में वित्तीय साक्षरता में भी बढ़ोतरी हो रही है.

कम उम्र में सेविंग शुरू कर रहीं
इस सर्वे के मुताबिक निवेश करने वाली महिलाओं की औसत उम्र पिछले साल 34 साल थी, जो अब घटकर 33 हो गई है. इसका मतलब महिला निवेशकों की उम्र धीरे-धीरे कम हो रही है. यानी वे कम उम्र में ही निवेश करना शुरू कर रही हैं. प्लेटफॉर्म के सर्वे में यह भी सामने आया कि 2023 में कुल निवेशकों में महिलाओं का औसत 26 प्रतिशत पर पहुंच गया है जबकि 2022 में यह 19 फीसदी था.

इससे साफ है कि निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. भले ही अब भी निवेश और बचत के मामले में महिलाओं ने पुरुषों की बराबरी भले ही न की हो लेकिन अब निवेशकों में उनका रोल मामूली बिल्कुल नहीं रहा है.

प्राथमिकता में घर और बच्चों की पढ़ाई
रिसर्च में महिला निवेशकों ने बताया कि 25 फीसदी महिलाओं ने रिटायरमेंट के लिए निवेश किया है. 21 फीसदी महिलाओं ने घर खरीदने के लिए, 14 फीसदी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए, अन्य 14 फीसदी ने कार खरीदने के लिए और 11 फीसदी ने विदेशों में छुट्टी बिताने के लिए निवेश किया है. वहीं अन्य 10 फीसदी ने टैक्स बचाने के लिए निवेश किया है.

सहारनपुर में रहने वाली मृणालिनी एक केंद्रीय बैंक में नौकरी करती हैं. उन्होंने भी पिछले सालों में निवेश शुरू किया है. वह अपनी कुल सैलरी का 40 फीसदी बचत और निवेश में लगाती हैं. नोएडा की अर्चना सिंह का ही कहना है कि घर लेना और टैक्स बचाना उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है.

इस सर्वे के मुताबिक भी महिलाएं पुरुषों के मुकाबले निवेश और बचत के सुरक्षित तरीकों को ही वरीयता दे रही हैं, जैसे वे सीधे शेयर बाजार में निवेश के बजाए म्यूचुअल फंड्स या टैक्स सेवर फंड्स में निवेश करना ज्यादा पसंद करती हैं. यानी महिलाएं ज्यादा रिस्क वाले निवेश विकल्पों को अभी नहीं चुन रही हैं.

निवेश के फैसले अभी पूरी तरह स्वतंत्र नहीं
सर्वे के मुताबिक अभी भी महिलाएं निवेश और बचत के मामले में पुरुष पार्टनर या निकट संबंधी की मदद ले रही हैं. हमने जिन महिलाओं से बात की उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया. सर्वे में शामिल रहीं 30 फीसदी महिला निवेशक दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और मुंबई से हैं, जो दिखाता है कि मेट्रो शहरों में महिलाओं की वित्तीय साक्षरता ज्यादा बेहतर है. हालांकि छोटे शहरों और कस्बों में भी महिलाओं के बीच फाइनेंशियल लिटरेसी तेजी से बढ़ी है.

हालांकि बैंक ऑफ न्यू यॉर्क की 2022 में आई एक स्टडी के मुताबिक अगर महिलाएं भी पुरुषों जितना निवेश करने लगें तो दुनिया भर में निवेश की जाने वाली कुल रकम में 3200 अरब डॉलर का निवेश बढ़ जाएगा. निवेशक अजय यादव इसे भारत के संदर्भ में देखते हैं और महिला निवेशकों की बढ़ती संख्या को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत सकारात्मक बदलाव बताते हैं.

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वेतन की गैरबराबरी जैसी बाधाएं भी
महिलाओं और पुरुषों के निवेश में बराबरी लाने के लिए महिलाओं की वित्तीय साक्षरता से भी ज्यादा जरूरत सैलरी में बराबरी की है. वहीं नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या कम होना भी एक मुद्दा है. भारत में नौकरी की चाह रखने वाली कुल महिलाओं में से 25 फीसदी ही नौकरी करती हैं जबकि बांग्लादेश में यह औसत 30 से ज्यादा है और वियतनाम में यही औसत करीब 68 फीसदी है.

इसके बावजूद एक ही स्तर की नौकरियों के लिए महिलाओं और पुरुषों को मिलने वाले वेतन में इन इलाकों में तीस फीसदी या उससे भी ज्यादा की कमी, महिलाओं को निवेश के मोर्चे पर पीछे रहने पर मजबूर कर देती है. इसके अलावा ज्यादातर महिलाओं की सैलरी पर परिवार का हक होना भी महिलाओं के लिए निवेश और बचत के अवसरों को प्रभावित करता है.