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समानतासीरिया

आपदा के बीच लोगों को बचाने गईं, कहा गया, "औरत हो, घर बैठो"

८ मार्च २०२३

सीरिया सिविल डिफेंस, यानी व्हाइट हेल्मेट्स सीरियन गृह युद्ध छिड़ने के बाद से प्रभावित इलाकों में लोगों की जान बचाता आ रहा है. वीमिन्स डे पर पढ़िए, इनकी महिला वॉलंटियरों की आपबीती जो जान पर खेलकर जिंदगियां बचाती हैं.

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ये आपबीती सलाम महमूद से जुड़ी है. वो सीरियन सिविल डिफेंस वॉलंटियर हैं. सलाम उन 300 महिलाओं में हैं, जो सीरिया सिविल डिफेंस का हिस्सा हैं. इस संगठन को "व्हाइट हेल्मेट्स" के नाम भी जानते हैं. यह राहत और बचाव करने वाला स्वयंसेवक समूह है.
ये आपबीती सलाम महमूद से जुड़ी है. वो सीरियन सिविल डिफेंस वॉलंटियर हैं. सलाम उन 300 महिलाओं में हैं, जो सीरिया सिविल डिफेंस का हिस्सा हैं. इस संगठन को "व्हाइट हेल्मेट्स" के नाम भी जानते हैं. यह राहत और बचाव करने वाला स्वयंसेवक समूह है. तस्वीर: KHALIL ASHAWI/REUTERS

वो मदद के लिए गई थीं, लेकिन उनसे कहा गया, औरत हो घर बैठो. औरतें बाहर नहीं निकलतीं! और ये तब कहा गया, जब आसपास आपदा पसरी थी.

ये आपबीती सलाम महमूद से जुड़ी है. वो सीरियन सिविल डिफेंस वॉलंटियर हैं. सलाम उन 300 महिलाओंमें हैं, जो सीरिया सिविल डिफेंस का हिस्सा हैं. इस संगठन को "व्हाइट हेल्मेट्स" के नाम भी जानते हैं. यह राहत और बचाव करने वाला स्वयंसेवक समूह है. सीरियन गृह युद्ध के बैकड्रॉप में यह चर्चित वॉलंटियर ग्रुप कई साल से हिंसा प्रभावित उत्तर-पश्चिमी सीरिया में बमबारी की चपेट में आने वालों को बचाता आया है. मलबे को खंगालकर जिंदा बचे लोगों को बाहर निकालना उनके काम का हिस्सा है.

हाल ही में आए सीरिया और तुर्की के भीषण भूकंप के बाद भी व्हाइट हेल्मेट्स की टीम बचाव कार्यों में शामिल थी. सलाम महमूद ऐसी ही एक रेस्क्यू टीम का हिस्सा थीं. भूकंप के बाद जब उन्होंने धराशायी इमारतें देखीं, तो उन्हें बस एक ही खयाल आया. वह बताती हैं, "मैं बस इतना ही सोच पा रही थी कि मलबे में फंसे बच्चों को कैसे बाहर निकालूं? अगर कोई जिंदा बचा है, तो उस तक कैसे पहुंचूं?"  

अपने अनुभवों पर वह बताती हैं कि जिस रोज भूकंप आया, उन्हें बचाव कार्य के लिए मिलिस नाम के गांव में तैनात किया गया. वहां कुछ लोगों नेमहिलाओं को बचाव कार्य में हिस्सा लेते देखकर आपत्ति जताई. सलाम कहती हैं, "जब हम पहले-पहल घटनास्थल पर पहुंचे, तो हमारी काफी आलोचना हुई. हमसे कहा गया कि हमें वहां नहीं आना चाहिए था."

इलाके के कई लोगों की रुढ़िवादी सोच और महिलाओं की भूमिका के बारे में सलाम बताती हैं, "लेकिन उन बातों ने जल्द ही सकारात्मक रुख ले लिया. हमने जितना मुमकिन हो सका, लोगों की जान बचाई. लोगों की उम्मीदों को पूरा किया और जो महिलाएं और बच्चे मलबे के नीचे फंसे थे, उनकी मदद की." उस रात घर लौटकर सलाम को नींद नहीं आई. वह बताती हैं, "पूरी रात मैं सोचती रही, क्या अब भी वहां बच्चे हमें पुकार रहे होंगे, क्या अब भी वहां महिलाएं मदद के लिए चीख रही होंगी."

सलाम पांच साल से व्हाइट हेल्मेट्स के साथ जुड़ी हुई हैं. उनकी भूमिका पश्चिमी इदलिब प्रांत में महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना है. व्हाइट हेल्मेट्स को नागरिक बचाव और सहायता कार्यों में उल्लेखनीय भूमिका के लिए 2016 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था.

एसएम/ओजे (रॉयटर्स)