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शिक्षापाकिस्तान

केबल कार दुर्घटना: स्कूल तक सुरक्षित कैसे पहुंचें छात्र

२९ अगस्त २०२३

पिछले हफ्ते हुई केबल कार घटना में बचाए गए छात्रों में से एक अबरार अहमद अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में स्कूल तक पहुंचना एक चुनौती है.

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केबल कार में स्कूली छात्र फंसे थेतस्वीर: UGC/AP/picture alliance

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में 900 फीट की ऊंचाई पर लगभग 15 घंटे तक केबल कार में फंसे रहने के बाद बचाए गए आठ लोगों में से छह छात्र थे. हालांकि, अब उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए सुरक्षित परिवहन की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ रहा है.

22 अगस्त को खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के अल्लाई तहसील के बट्टाग्राम जिले में 900 फीट की ऊंचाई पर एक केबल कार हवा में अटक गई थी. केबल कार में फंसे सभी आठ लोगों को बचा लिया गया. हालांकि जिस नाटकीय ऑपरेशन के जरिए इस दुर्घटना के पीड़ितों को बचाया गया, उस पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया का पूरा ध्यान गया, लेकिन इस घटना ने पाकिस्तान में लाखों बच्चों के सामने आने वाली शैक्षिक कठिनाइयों के बारे में कुछ बुनियादी सवालों को फिर से जन्म दिया है.

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देश में 4 से 16 वर्ष की आयु के लगभग 2.3 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते हैंतस्वीर: DW/D. Baber

स्कूल तक सुरक्षित पहुंच

कई रिपोर्टों से पता चला है कि खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के सुदूर पहाड़ी इलाकों के लोग घाटी पार करने के लिए ऐसी केबल कारों का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. पिछले हफ्ते हुई घटना में बचाए गए छात्रों में से एक अबरार अहमद अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं.

हादसे से बचने के बाद उन्होंने कहा, "मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूंगा, लेकिन हमारे स्कूल तक का रास्ता बहुत लंबा और खतरनाक है. कभी-कभी मुझे स्कूल जाने में देर हो जाती है क्योंकि स्कूल सुबह 8:30 बजे शुरू होता है."

अहमद बतिंगी पश्तो सरकारी हाई स्कूल में पढ़ाई करते हैं. वह कहते हैं, "केबल कार या चेयरलिफ्ट जरूरी है, लेकिन अब हमें इससे बहुत डर लगता है."

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डर के आगे पढ़ाई है

केबल कार की यह घटना बेहद खौफनाक होने के साथ-साथ इस बात का स्पष्ट सबूत भी है कि लाखों पाकिस्तानियों, विशेषकर बच्चों को किस तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है.

बच्चों के मौलिक अधिकारों में से एक है शिक्षा तक उचित पहुंच. जर्जर सड़कें, गरीबी, चरम मौसम की स्थिति, अचानक आपदाएं, खराब या अस्तित्वहीन परिवहन सुविधाएं आदि बच्चों और युवाओं के लिए स्कूल, कॉलेज और उच्च शिक्षा स्तर तक पहुंचने में प्रमुख बाधाएं हैं.

ये वो समस्याएं हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान दुनिया में दूसरी सबसे कम स्कूल उपस्थिति दर वाला देश है. विश्व बैंक और पाकिस्तान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 4 से 16 वर्ष की आयु के लगभग 2.3 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक लड़कियों और युवतियों की स्थिति तो और भी खराब है.

पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में से एक है जहां युवाओं की बड़ी आबादी को देखते हुए आर्थिक स्थिरता के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना अनिवार्य है. ये वो कारक हैं जो इस दक्षिण एशियाई देश के लिए बेहद चिंताजनक हैं. विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसका सामाजिक प्रभाव गरीब ग्रामीण इलाकों में चरमपंथी समूहों के मजबूत होने के रूप में पहले ही सामने आ चुका है.

इस बीच बट्टाग्राम जिले के अतिरिक्त उपायुक्त सैयद हमद हैदर ने केबल कार घटना के बाद एक बयान में कहा, "हमारे क्षेत्र के बच्चों के लिए दूरदराज के स्कूलों तक पहुंचना बहुत मुश्किल है और हमारी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इस संबंध में निवेश किया है."

अबरार अहमद कहते हैं कि सड़कें बेहतर होनी चाहिए और गांव में ही हाई स्कूल बनाया जाना चाहिए.

एए/वीके (रॉयटर्स)