समुद्र में भटकते ‘भुलाए हुए लोग’
२० जुलाई २०२१"मैंने आदमियों को रोते हुए देखा है.” कैप्टन तेजिंदर सिंह का यह कहना सुनकर लोग चौंक जाते हैं. बीते सात महीनों से सिंह ने जमीन पर कदम नहीं रखा है और उन्हें बिल्कुल पता नहीं कि वह कब अपने घर जा पाएंगे. महीनों से समुद्र में भटक रहे सिंह कहते हैं कि हम ‘भुलाए हुए लोग हैं जिनकी किसी को परवाह नहीं है. वह कहते हैं, "लोगों को पता नहीं है कि उनकी सुपरमार्किट में सामान कहां से आता है.”
तेजिंदर सिंह एक जहाज के कैप्टन हैं जो पिछले सात महीने से यहां से वहां भटक रहा है. वह और उनके चालक-दल के 20 सदस्य भारत से अमेरिका होते हुए चीन पहुंचे और हफ्तों तक वहीं फंसे रहे. वहां उन्हें अपने जहाज से सामान उतारना था लेकिन जहाजों की भीड़ के कारण नंबर ही नही आया. अब वह ऑस्ट्रेलिया के रास्ते पर हैं.
भटक रहे हैं एक लाख लोग
तेजिंदर सिंह जैसे एक लाख से ज्यादा लोग हैं जो इस वक्त दुनिया के अलग-अलग समुद्रों में फंसे हुए हैं. आमतौर पर ये लोग तीन से नौ महीने तक एक बार में यात्रा करते हैं लेकिन इंटरनेशनल चैंबर ऑफ शिपिंग के मुताबिक इन एक लाख लोगों को अपने तय समय कहीं ज्यादा हो चुका है, जबकि ये समुद्र में ही हैं. यहां तक कि जमीन पर इन्हें आमतौर पर मिलने वाला ब्रेक भी नहीं मिला है. इसके अलावा एक लाख से ज्यादा नाविक ऐसे हैं जो जहाज पर नहीं जा पा रहे हैं और बेरोजगार हैं.
तस्वीरेंः श्रीलंका में जलता जहाज
इस वक्त कोरोनावायरस का डेल्टा वेरिएंट एशिया के कई देशों में कहर बरपा रहा है. ऐसे में कई देशों ने समुद्री जहाजों को अपने यहां आने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है. एशिया में 17 लाख से ज्यादा नाविक हैं, जो इन पाबंदियों से प्रभावित हुए हैं. आईसीएस का अनुमान है कि नाविकों में से सिर्फ ढाई फीसदी को ही वैक्सीन मिली है.
संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक मानवीय संकट बताया है और सरकारों से आग्रह किया है कि नाविकों को जरूरी कामगार माना जाए. दुनिया के व्यापार में 90 फीसदी सामान की आवाजाही समुद्र के रास्ते ही होती है, इसलिए यह संकट व्यापारों पर भी कहर बनकर टूटा है क्योंकि तेल से लेकर खाद्य पदार्थों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों तक तमाम चीजों की सप्लाई प्रभावित है.
कोई उम्मीद नहीं
तेजिंदर सिंह को फिलहाल तो कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उन्होंने कहा है कि पिछली बार वह 11 महीने तक समुद्र में फंसे रहे थे. वह बताते हैं कि उनके चालक दल के भारतीय और फिलीपीनी नाविक 15x6 फुट के एक केबिन में बसर करने को मजबूर हैं. सिंह कहते हैं, "बहुत ज्यादा समय तक समुद्र में रहना बहुत मुश्किल होता है. सबसे मुश्किल सवाल होता है बच्चों का, कि पापा घर कब आओगे.”
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आईसीएस के महानिदेशक गाय प्लैटन कहते हैं कि दुनिया के एक तिहाई कमर्शल नाविक भारत और फिलीपीन से ही आते हैं और दोनों ही देश इस वक्त कोविड की मार झेल रहे हैं. वह कहते हैं समुद्र में यह दूसरा संकट तैयार हो रहा है. पिछली बार 2020 में भी ऐसा ही हुआ था जब दो लाख नाविक महीनों तक समुद्र में फंसे रहे थे.
संयुक्त राष्ट्र नाविकों के लिए एक बार में अधिकतम 11 महीने की यात्रा की ही इजाजत देता है. लेकिन एक सर्वे के मुताबिक फिलहाल नौ प्रतिशत मर्चेंट सेलर ऐसे हैं जो अधिकतम सीमा पार कर चुके हैं. मई में ऐसे नाविकों की संख्या 7 प्रतिशत थी.
वीके/सीके (रॉयटर्स)