1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गणतंत्र दिवस के लिए भारत आए माक्रों का भव्य स्वागत

२६ जनवरी २०२४

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों इस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं. दोनों देश और मजबूत होते आपसी सामरिक संबंधों को रेखांकित करने की कोशिश कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/4bgtw
जयपुर
जयपुर में मैक्रों का स्वागत करते मोदीतस्वीर: LUDOVIC MARIN/AFP

माक्रों गुरुवार को भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. उन्होंने अपनी भारत यात्रा की शुरुआत जयपुर से की, जहां मोदी और वो एक साथ एक रोडशो में शामिल हुए. दोनों नेताओं ने एक खुली जीप में खड़े होकर एक 1.5 किलोमीटर लंबे रोडशो में हिस्सा लिया.

सड़क के किनारे लोगों की भीड़ लगी थी, जिन्होंने गुलाब और गेंदे के फूलों की पट्टियां दोनों नेताओं पर बरसाईं. पूरे रास्ते पर दोनों नेताओं के बड़े बड़े कटआउट लगे थे जिन पर "भारत-फ्रांस दोस्ती" लिखा था.

माक्रों के बारे में मोदी ने एक्स पर लिखा, "उनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारे देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करती है बल्कि दोस्ती और सहयोग के हमारे साझा इतिहास में एक महत्वपूर्ण पन्ना भी जोड़ती है."

मजबूत होते व्यापारिक रिश्ते

बाद में दोनों नेताओं ने जयपुर के ही एक होटल में एक बैठक भी की और फिर नई दिल्ली रवाना हो गए. इस बैठक के बारे में कोई आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया गया लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि दोनों ने अर्थव्यवस्था, रक्षा, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा और भारत-प्रशांत इलाके में फ्रांस की भूमिका जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

यूक्रेन युद्ध पर दोनों देशों के रवैये को लेकर मतभेदों के बावजूद फ्रांस जलवायु से लेकर सैन्य बिक्री तक के क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाना चाह रहा है.

माक्रों के कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा था, "भारत जनसंख्या के नजरिए से और आर्थिक, वैज्ञानिक और कूटनीतिक नजरिए से भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और माक्रों भारत के साथ और करीबी बातचीत को लेकर प्रतिबद्ध हैं."

फ्रांस ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है. इसमें टेक्नोलॉजी साझा करना भी शामिल है. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देश साथ मिल कर रक्षा परियोजनाओं को विकसित करने और उत्पादन करने पर काम कर रहे हैं.

जयपुर
जयपुर में भारत-फ्रांस दोस्ती के होर्डिंगतस्वीर: Vishal Bhatnagar/NurPhoto/picture alliance

उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेता भारतीय नौसेना के लिए 26 फ्रांसीसी राफाल लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे. भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद पहले ही इसकी स्वीकृति दे चुका है.

कई बार मिले हैं दोनों नेता

परिषद फ्रांस और स्पेन द्वारा मिल कर बनाई गईं तीन स्कॉर्पियन पनडुब्बियां खरीदने की योजना को भी स्वीकृति दे चुकी है. फ्रांस पहले ही भारतीय वायु सेना द्वारा खरीदे गए 36 राफाल लड़ाकू विमान दे चुका है.

भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल भारत ने 3.06 अरब डॉलर मूल्य के उत्पाद फ्रांस निर्यात किए और 2.36 अरब डॉलर मूल्य के उत्पाद आयात किए. माक्रों के साथ भारत यात्रा पर फ्रांसीसी सरकार के तीन मंत्री भी आए हैं. इनमें रक्षा मंत्री, यूरोप और विदेशी मामलों के मंत्री और संस्कृति मंत्री शामिल हैं.   

माक्रों नवंबर में भी भारत आए थे, जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने काफी आगे बढ़ कर भारत को रणनीतिक साझेदार और हथियारों के खरीदार के रूप में लुभाने की कोशिश की है. पिछ्ले साल उनके निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में बास्टील दिवस के जश्न में शामिल हुए थे.

अरबी परिधान अबाया पर फ्रांस में छिड़ी बहस

लेकिन इस बार माक्रों भारत आने से ठीक पहले भारत में काम करने वाले एक फ्रांसीसी पत्रकार को मिले नोटिस पर विवाद खड़ा हो गया था. वनेसा डोनियाक को भारत के गृह मंत्रालय ने नोटिस भेज कर कहा है कि उनका काम भारत के हितों के खिलाफ है.

फ्रांसीसी पत्रकार को नोटिस

मंत्रालय के अधिकारियों ने उनकी पत्रकारिता को "द्वेषपूर्ण और आलोचनात्मक" बताया है और कहा है कि उससे भारत को लेकर "भेदभावपूर्ण छवि" बनती है. डोनियाक के पति भारतीय नागरिक हैं.

मंत्रालय ने डोनियाक की परमानेंट रेसीडेंसी को रद्द करने का फैसला किया है. उनके पास दो फरवरी तक इस आदेश को चुनौती देने का समय है. डोनियाक ने नोटिस में उनके खिलाफ लगाए गए "सभी आरोपों" का खंडन किया है. उन्होंने एक बयान में कहा, "भारत मेरा घर है, एक ऐसा देश जिसे मैं बहुत प्यार करती हूं और जिसका बहुत आदर करती हूं."

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन आलोचकों का कहना है कि देश में मीडिया की आजादी पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. संवेदनशील विषयों पर काम करने वाले पत्रकारों को अक्सर सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.

सीके/वीके (एएफपी, एपी)