1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

और पतली हुई मालदीव की हालत, फिच ने घटाई रेटिंग

२७ जून २०२४

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है. उसने चेताया है कि दक्षिण एशियाई देश अपने कर्ज चुकाने से चूक सकता है.

https://p.dw.com/p/4hYjF
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू
कमजोर है मालदीव की आर्थिक स्थितितस्वीर: People's Majlis/Handout/Xinhua/picture alliance

फिच ने कहा है कि मालदीव अपने अंतरराष्ट्रीय कर्जों की किश्त चुकाने से चूक सकता है. बुधवार को इस दक्षिण एशियाई देश की रेटिंग घटाते हुए फिच ने कहा कि मालदीव पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है.

फिच ने मालदीव की रेटिंग ट्रिपल सी प्लस से घटाकर बी माइनस कर दी है. मई में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी चेतावनी दी थी कि मालदीव पर कर्जों का खतरा मंडरा रहा है. यह चेतावनी तब आई थी जब मालदीव ने चीन से और ज्यादा कर्ज लेने की मंशा जाहिर की थी. उस पर फिलहाल सबसे ज्यादा कर्ज चीन का ही है.

घटा मुद्रा भंडार

फिच ने एक बयान में कहा कि मई में मालदीव का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार घटकर 49.2 करोड़ डॉलर पर आ गया था. एजेंसी ने कहा कि इस साल मालदीव को 40.9 करोड़ डॉलर का भुगतान कर्ज की किश्तों के रूप में करना है, यानी उस पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ सकता है.

फिच ने कहा है कि मालदीव अन्य देशों से मिलने वाली मदद पर ही निर्भर रहेगा. एजेंसी ने कहा कि मालदीव "रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाना जारी रख सकता है."

1,192 द्वीपों का समूह मालदीव एक छोटा देश है. ये द्वीप 800 किलोमीटर के दायरे में बिखरे हुए हैं. लेकिन वह पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार मार्ग पर स्थित है, इसलिए रणनीतिक रूप से उसकी अहमियत आकार के अनुपात में कहीं ज्यादा है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मालदीव पर पिछले साल तक 4.038 अरब डॉलर का कर्ज था, जो उसकी कुल जीडीपी का 118 फीसदी है. 2022 से 2023 के बीच कर्ज में लगभग 25 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई. इसमें सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है. जून 2023 तक के आंकड़े दिखाते हैं कि मालदीव के कुल कर्ज का 25.2 फीसदी चीन के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ने दिया है.

भारत-चीन के बीच झूलता मालदीव

पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुईजू ने देश को पुराने सहयोगी भारत से हटाकर चीन के करीब लाने की कोशिशें बढ़ाई हैं. राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने चीन का दौरा किया और अपने देश को ‘बेल्ट एंड रोड' परियोजना का भी हिस्सा बना दिया.

बदले में चीन ने पर्यटन पर निर्भर मालदीव में और अधिक पर्यटकों को भेजने का वादा किया और 13 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान की भी घोषणा की.

उसके बाद चीन का एक जहाज मालदीव के दौरे पर भी गया. इस बीच भारत और मालदीव के संबंधों में तब तनाव और बढ़ गया जब वहां के तीन उप-मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री पर आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं. भारत ने जब आपत्ति जताई तो उन मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया.

बीते अप्रैल में मालदीव के संसदीय चुनावों में मुईजू की पार्टी को बड़ी जीत मिली तो उसकी वजह राष्ट्रपति के बुनियादी ढांचे के विकास और हजारों घर बनाने के वादों को माना गया. हालांकि ये वादे चीन से मिलने वाले कर्ज पर ही आधारित हैं.

लेकिन उसके बाद मुईजु ने भारत से भी नजदीकियां बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं. भारत में नरेंद्र मोदी के तीसरी बार  प्रधानमंत्री बनने के बाद मुईजू ने उन्हें बधाई दी और उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए.

क्या है फिच की रेटिंग

फिच एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी है जो विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था का आकलन कर उनकी स्थिति की रेटिंग करती है. इसे दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जा सकता है.

पहली श्रेणी इन्वेस्टमेंट ग्रेड कही जाती है, यानी ये रेटिंग पाने वाले देश निवेश के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं. इनमें सबसे अच्छी रेटिंग ट्रिपल ए होती है, जहां निवेश के डूबने का खतरा सबसे कम होता है. उसके बाद डबल ए और ए रेटिंग होती है. ट्रिपल बी को भी अच्छी रेटिंग माना जाता है लेकिन यह ऐसे देशों को दी जाती है, जहां वित्तीय संवेदनशीलता बढ़ सकती है.

दूसरी श्रेणी स्पेकुलेटिव ग्रेड कहलाती है. इस श्रेणी की शुरुआत डबल बी से होती है, जहां निवेश कुछ हद तक जोखिम भरा होता है लेकिन देश में अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को निभाने की संभावना होती है. उसके बाद बी, ट्रिपल सी, डबल सी, सी और फिर डी रेटिंग आती हैं.

बी रेटिंग वाले देशों में जोखिम बहुत ज्यादा होता है और वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है. ट्रिपल सी रेटिंग उन देशों को दी जाती है जहां वित्तीय संकट की संभावना अधिक हो. डबल सी और सी दिवालिया होने के कगार पर खड़े देशों को मिलती है जबकि डी रेटिंग उन देशों के लिए होती है, जो अपने कर्ज नहीं चुका सकते.

फिच और अन्य क्रेडिट एजेंसियों की रेटिंग को वित्तीय स्थिरता का संकेत माना जाता है. ये रेटिंग्स दिखाती हैं कि किसी कंपनी या देश के लिए अपने कर्ज को चुकाने की कितनी संभावना है.

उच्च रेटिंग वाली कंपनियां या देश आमतौर पर कम ब्याज दरों पर उधार ले सकते हैं. निवेशक रेटिंग्स का इस्तेमाल यह निर्णय लेने के लिए करते हैं कि कहां निवेश करना सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)