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पाकिस्तान: पंजाब में इमरान की पार्टी की जीत

१८ जुलाई २०२२

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने पंजाब में चुनावों में जीत हासिल की है जिसके बाद खान ने राष्ट्रीय चुनाव जल्दी कराने की मांग की है. पंजाब चुनावों को खान के लिए एक परीक्षा की तरह देखा जा रहा था.

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आबादी के हिसाब से पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब की असेंबली में 20 सीटों पर उपचुनाव कराए गए थे, जिनमें से खान की पार्टी पीटीआई ने 15 सीटों पर जीत हासिल की. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन ने चार सीटें जीतीं और एक सीट एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती.

खान को अप्रैल में देश की संसद में एक अविश्वास प्रस्ताव के पास हो जाने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इन उपचुनावों को उनकी और उनकी पार्टी की लोकप्रियता की परीक्षा माना जा रहा था. उपचुनावों को राष्ट्रीय चुनावों के लिए देश के मतदाताओं के मिजाज का संकेत भी माना जा रहा था.

शहबाज शरीफ
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन ने पंजाब उपचुनावों में 20 में से सिर्फ चार सीटें जीतींतस्वीर: National Assembly of Pakistan/AP/picture alliance

राष्ट्रीय चुनाव अगले साल अक्टूबर से पहले कराए जाने हैं, लेकिन खान सत्ता गंवाने के बाद पूरे देश में चुनाव जल्द कराने की मांग लिए कैंपेन कर रहे हैं. पाकिस्तान के अखबारों ने कहा है कि पंजाब का नतीजा देश की आर्थिक समस्याओं का परिणाम है.

अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत

पाकिस्तान की कुल कमाई का लगभग आधा हिस्सा विदेशी ऋण चुकाने में जा रहा है. प्रभावशाली अखबार 'डॉन' के पहले पेज पर छपी एक समीक्षा की हेडलाइन थी, "अलोकप्रिय फैसलों का एक कड़वा स्वाद." इन नतीजों से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शरीफ के छोटे कार्यकाल का अंत होने की संभावना है.

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सोमवार 18 जुलाई को चुनावों के नतीजे आने के बाद खान ने एक ट्वीट में कहा, "अब यहां से आगे एक ही रास्ता है और वो है स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराए जाने का. अगर दूसरा कोई भी रास्ता अपनाया गया तो उसे राजनीतिक अनिश्चितता और आर्थिक अव्यवस्था और बढ़ेगी."

हमजा शरीफ
प्रधानमंत्री के बेटे और पंजाब के मुख्यमंत्री हमजा शरीफतस्वीर: ZUMAPRESS.com/picture alliance

खान की रैलियों में हजारों लोग आ रहे हैं. उनमें खान अपने लंबे-लंबे भाषणों में यह दावा कर रहे हैं कि नई सरकार एक अमेरिकी साजिश के तहत पाकिस्तान के लोगों पर थोपी गई है. वो नई सरकार को तेजी से बढ़ती महंगाई के लिए भी जिम्मेदार ठहराते आए हैं, जबकि अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि ये आर्थिक समस्याएं शरीफ को विरासत में मिलीं.

इस मोर्चे पर शरीफ सरकार को पिछले हफ्ते थोड़ी राहत तब मिली जब एक बचाव पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते पर सहमति हुई. पैकेज 7.2 अरब डॉलर का है जिसे फिर से जीवित करने के लिए आईएमएफ ने कुछ शर्तें लगाईं हैं.

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इनमें ईंधन के दामों पर से सब्सिडी हटाए जाने की शर्त भी शामिल थी. सब्सिडी हटा देने के बाद पेट्रोल, डीजल के दाम दो महीनों से भी कम समय में 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए.

सीके/एए (एएफपी, डीपीए)

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