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अरसे बाद पाकिस्तान गए भारतीय अधिकारी

२ मार्च २०२२

भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच मंगलवार को जल विवाद पर लाहौर में एक बैठक हुई जो दोनों देशों के बीच लंबे अरसे बाद हुआ राजनयिक संपर्क है.

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वाघा में भारत-पाकिस्तान सीमा
वाघा में भारत-पाकिस्तान सीमातस्वीर: PPI via ZUMA Wire/Zumapress/picture alliance

भारत का दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को पाकिस्तानी अधिकारियों से मिला. यह भारतीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को ही लाहौर पहुंचा था. आमतौर पर यह सालाना बैठक राजधानी में होती है.

स्थानीय मीडिया ने कहा कि बातचीत के दौरान पाकिस्तान ने भारत द्वारा 10 पन-बिजली परियोजनाओं के निर्माण पर आपत्ति दर्ज की. पाक अधिकारियों ने कहा कि बांध बनाने से पाकिस्तान में पानी का बहाव कम होगा जो सिंधु जल संधि का उल्लंघन है.

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विश्व बैंक की मदद से 1960 में यह संधि दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर हुई थी. यह समझौता दोनों पड़ोसियों की छह नदियों के पानी का बंटवारा तय करता है. इस समझौते के तहत भारत को पूर्व की सतलुज, ब्यास और रावी नदियों से पानी लेने का अधिकार है जबकि पश्चिम की सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक है. हालांकि, इस समझौते को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच असहमतियां और मतभेद भी रहे हैं.

पहली बार महिलाएं भी

भारतीय प्रतिनिधिमंडल को जनवरी में ही पाकिस्तान जाना था, लेकिन कोविड-19 के कारण लगीं पाबंदियों के चलते भारत ने इस बैठक को स्थगित करने का आग्रह किया था. भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में तीन महिला अधिकारी शामिल हैं. 1960 में समझौता होने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रतिनिधिमंडल में तीन महिलाएं हैं.

प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम और विदेश मंत्रालय से संबंधित, भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना के सलाहकार शामिल हैं. पाकिस्तान के एक अधिकारी के मुताबिक बैठक में मौसम के दौरान बाढ़ के प्रवाह के बारे में अग्रिम सूचना के आदान-प्रदान, सतलुज नदी में पानी का मुक्त प्रवाह बनाए रखने और भविष्य के कार्यक्रमों, बैठकों, दौरों और निरीक्षणों को अंतिम रूप देने की व्यवस्था पर चर्चा हुई.

संबंधों में नरमी

भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के विभिन्न मुद्दों में पानी एक बड़ा मुद्दा है. कई युद्ध लड़ चुके दोनों देशों के बीच शांति वार्ता तब रुक गई थी जब 2008 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमला किया था. 26 नवंबर 2008 के उस हमले में कई विदेशी नागरिकों समेत 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

उसके बाद 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 रद्द करने का ऐलान किया तो पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई और भारत से राजनयिक संबंधों में कटौती की. तब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत बंद हो गई और व्यापार भी रुक गया.

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हाल ही में दोनों देशों के संबंध एक बार फिर सामान्य होने की राह पर लौटते दिखाई दे रहे हैं. बीते दिनों पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को मदद ले जाने वाले भारतीय ट्रकों को अपने यहां से गुजरने की इजाजत दी थी. पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से टीवी पर बहस के जरिए मसले हल करने की पेशकश की थी.

रिपोर्टः विवेक कुमार (डीपीए)

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