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मानवाधिकारसंयुक्त राज्य अमेरिका

दक्षिण एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत बढ़ी: रिपोर्ट

१० अक्टूबर २०२४

एक नई रिपोर्ट बताती है कि 2023 और 2024 में दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकी लोगों के खिलाफ इंटरनेट पर नफरत भरी टिप्पणियां अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं.

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ऑगस्टा शहर के मेयर गारनेट जॉनसन और कमला हैरिस
ऑगस्टा शहर के मेयर गारनेट जॉनसन के साथ राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिसतस्वीर: BRENDAN SMIALOWSKI/AFP/Getty Images

जब अमेरिका के 2024 राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल की एक उम्मीदवार, कमला हैरिस, चुनाव प्रचार कर रही हैं, तब एक गैर-सरकारी संगठन ‘स्टॉप आपी (एएपीआई) हेट' की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2023 और 2024 में दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकियों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत में तेजी से वृद्धि हुई है.

यह नफरत इस समुदाय के नेताओं की राजनीति में बढ़ती भागीदारी के साथ जुड़ी हुई है. बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ने से नफरत भरी ऑनलाइन गतिविधियां भी बढ़ी हैं.

यह बढ़ती नफरत खासतौर पर तब देखी जा रही है जब दक्षिण एशियाई मूल के कई प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान प्रमुखता से उभरे हैं. इनमें कई भारतीय मूल के हैं. इन प्रमुख चेहरों में भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति उम्मीदवार निकी हेली और विवेक रामास्वामी शामिल हैं. इसके अलावा, रिपब्लिकन उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जे. डी. वैंस की पत्नी उषा वैंस भी भारतीय मूल की हैं.

जब कमला हैरिस 2024 के चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का सामना कर रही हैं, तब रिपोर्ट सीधे तौर पर बताती है कि इन प्रमुख राजनीतिक चेहरों की बढ़ती मौजूदगी के साथ-साथ नफरत भरे ऑनलाइन संदेशों की संख्या भी बढ़ी है.

"जहरीला राजनीतिक माहौल"

‘स्टॉप आपी हेट' ने इस नफरत के बढ़ने का कारण "जहरीले राजनीतिक माहौल" को बताया है, जिसमें धार्मिक कट्टरपंथी नेता नफरत भरा राजनीतिक प्रचार कर रहे हैं और गलत सूचनाएं फैला रहे हैं, जिससे दक्षिण एशियाई समुदायों के खिलाफ हिंसा और धमकियां बढ़ रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, "एशियाई समुदायों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा की धमकियां अगस्त 2024 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जब उषा वैंस ने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में हिस्सा लिया और कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार घोषित किया गया."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया, "2023 और 2024 में दक्षिण एशियाई समुदायों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत की बढ़ती घटनाएं इस चुनावी दौर में उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि के साथ मेल खाती हैं."

आंकड़े बताते हैं, बढ़ती नफरत

रिपोर्ट में मिले आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं. विभिन्न एशियाई अमेरिकी उपसमूहों में, दक्षिण एशियाई समुदायों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 और 2024 में एशियाई लोगों के खिलाफ कुल ऑनलाइन अपमानजनक टिप्पणियों में से 60 फीसदी दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ थीं.

इस दौरान, चरमपंथी ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर दक्षिण एशियाई लोगों के खिलाफ ऐसी टिप्पणियों की संख्या 23 हजार से दोगुनी होकर 46,000 से अधिक पर पहुंच गई.

ऑनलाइन नफरत की यह घटनाएं अगस्त 2024 में अपने उच्चतम स्तर पर थीं, जब प्रमुख राजनीतिक घटनाएं जैसे कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन आयोजित हुए, जहां उषा वैंस और कमला हैरिस को राष्ट्रीय सुर्खियों में देखा गया.

रिपोर्ट ने यह भी बताया कि दक्षिण एशियाई मूल के लगभग 54 लाख लोग अमेरिका में रहते हैं. इन लोगों की जड़ें भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों से जुड़ी हैं. इनमें सबसे बड़ी संख्या भारतीय मूल के लोगों की है. 2022 तक अमेरिका में 31 लाख ऐसे लोग थे जिनका जन्म भारत में हुआ था.

क्यों है यह महत्वपूर्ण

रिपोर्ट कहती है कि यह जानकारी उन चुनौतियों की याद दिलाती है, जिनका सामना अल्पसंख्यक समुदायों को करना पड़ रहा है, खासकर जब अमेरिका में राजनीतिक वातावरण बदल रहा है. दक्षिण एशियाई अमेरिकियों के प्रमुख राजनीतिक नेताओं का उभार महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन नफरत की बढ़ोतरी भी एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है.

कमला हैरिस: बढ़ रही भारतीय-अमेरिकियों की राजनीतिक ताकत

इस बढ़ती नफरत का असर सिर्फ ऑनलाइन संदेशों तक सीमित नहीं है. जबकि रिपोर्ट मुख्य रूप से ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर केंद्रित है, असली दुनिया में इसके परिणाम भी हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन नफरत भरे भाषण और वास्तविक हिंसा के बीच सीधा संबंध हो सकता है, और अल्पसंख्यक समुदाय अक्सर इसका शिकार बनते हैं. पिछले एक साल में ही कई भारतीय छात्र अमेरिका में हमलों का शिकार हुए हैं.

रिपोर्ट के आंकड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और ऑनलाइन मंचों पर नियंत्रण की जरूरत की ओर इशारा करते हैं. जैसा कि रिपोर्ट बताती है, ऑनलाइन जगहें नफरत भरे भाषणों के लिए एक मंच बन गई हैं, जिसे गलत जानकारी और राजनीतिक बयानबाजी ने बढ़ावा दिया है. इस सामग्री पर नजर रखने और इसे रोकने के प्रयास अभी तक सफल नहीं हुए हैं, जिससे समुदायों पर खतरा बना हुआ है.

जैसे-जैसे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दक्षिण एशियाई अमेरिकियों और व्यापक एशियाई समुदायों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत का मुद्दा एक गंभीर चिंता बना हुआ है. स्टॉप आपी हेट की रिपोर्ट कहती है कि इस "जहरीले माहौल” से निपटने के लिए राजनीतिक नेताओं और ऑनलाइन प्लेटफार्मों दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)