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मीडियाइस्राएल

एक्स पर फर्जी सूचनाओं की बाढ़ में बह रही है सच्चाई: शोधकर्ता

२० अक्टूबर २०२३

सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस्राएल-हमास युद्ध के बारे में फैल रहीं फर्जी और खतरनाक जानकारियां शोधकर्ताओं को परेशान कर रही हैं.

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फलीस्तीनी रिफ्यूजी
गाजा युद्ध के बाद फलीस्तीनी रिफ्यूजीतस्वीर: Belal Khaled/AA/picture alliance

एक्स पर गाजा के हिंसक वीडियो और तस्वीरें भर-भरकर शेयर किये जा रहे हैं. इनमें से कुछ सच्चे भी हैं लेकिन बहुत से फर्जी और गुमराह करने वाले हैं. बहुत सी तस्वीरें किन्हीं दूसरी जगहों और युद्धों की हैं, जिन्हें गाजा या इस्राएल का बताया जा रहा है.

बीते मंगलवार को जब गाजा में अस्पताल पर घातक हमला हुआ तो यह मुश्किल बहुत गंभीर रूप में सामने आयी. लोग इस घटना के बारे में सही जानकारी के लिए एक्स खंगाल रहे थे लेकिन बहुत से लोग परेशान हुए. वेरिफिकेशन टिक वाले फर्जी खातों ने पुराने युद्धों के वक्त की तस्वीरें और वीडियो साझा किये, जिससे सही जानकारी मिलना बेहद मुश्किल हो गया. प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों के आधिकारिक स्रोत होने का चोगा पहनकर कई फर्जी खातों से खतरनाक और विभाजनकारी सामग्री साझा की गयी.

करीब एक दशक पहले अरब स्प्रिंग के नाम से मशहूर हुई जनक्रांति के वक्त सोशल मीडिया साइट ट्विटर ने बड़ा नाम कमाया था. उस वक्त यह लोगों के ताजा और पुष्ट सूचनाओं के एक स्रोत के रूप में उभरा था क्योंकि लोगों को घटनास्थलों से ही सूचनाएं मिल जाती थीं. लेकिन तब से ट्विटर की साख काफी घट चुकी है. नये मालिक ईलॉन मस्क के प्रबंधन में ट्विटर अब एक्स हो गया है और उस पर नफरती टिप्पणियों और फर्जी सूचनाओं को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं.

ट्विटर का एक्स-रूप

ऐतिहासिक रूप से ट्विटर की सबसे बड़ी खासियत और मजबूती जानें बचाने वाली सूचनाएं साझा करने और संकट के वक्त आपातकालीन राहत कार्य को बेहतर समायोजन देने वाले मंच के रूप में जाना जाता था. पहले ट्विटर पर जो वेरिफिकेशन की व्यवस्था थी, वो समाचारों और सूचनाओं के भरोसेमंद होने की पहचान थी.

अब नये नाम एक्स के साथ इस सोशल मीडिया वेबसाइट में कई बदलाव हुए हैं. फर्जी सूचनाओं को कम करने के लिए तैयार की गयी सामग्री की निगरानी की व्यवस्था खत्म कर दी गयी है. जिन खातों को अतिवादी मानते हुए पहले प्रतिबंधित कर दिया गया था, उन्हें दोबारा चालू कर दिया गया है और अब वेरिफिकेशन टिक कोई भी खरीद सकता है.

इन बदलावों का असरइस्राएल-हमास युद्धके दौरान उभरकर सामने आया है. इस युद्ध को मस्क के एक्स का पहला बड़ा इम्तेहान माना जा रहा था और बहुत से विशेषज्ञों का कहना है कि इस बड़े संकट के दौरान एक्स के बारे में उनके सबसे बड़े डर सच साबित हो गये हैं.

भर-भरकर फर्जी सूचनाएं

मीडिया पर निगरानी रखने वाली संस्था फ्री प्रेस में वरिष्ठ सलाहकार नोरा बेनाविदेज कहती हैं, "इस्राएल-हमास युद्ध की त्रासदी के दौरान मस्क के लापरवाही भरे फैसलों की वजह से सूचना के संकट को फैलते हुए देखना परेशान करने वाला तो है लेकिन हैरान करने वाला नहीं.”

एक अन्य संस्था न्यूजगार्ड के एक अध्ययन के मुताबिक सबसे ज्यादा वायरल होने वाली पोस्ट में से लगभग तीन चौथाई फर्जी सूचनाओं को बढ़ावा दे रही हैं और ऐसे खातों द्वारा साझा की जा रही हैं जिन्हें वेरिफिकेशन टिक हासिल है.

बेनाविदेज कहती हैं, "किसी तरह की निगरानी की अनुपस्थिति में लोगों के लिए सच और झूठ के बीच फर्क करना बहुत मुश्किल हो गया है. इससे तनाव और विभाजन बढ़ रहा है.”

एक्स की जिम्मेदारी

फर्जी सूचनाओं पर शोध करने वाले कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा बनाये गये ‘इस्राएल वॉर रूम' नामक एक गोल्ड-टिक धारी खाते को लोग आधिकारिक इस्राएली सूचना स्रोत समझ रहे थे. शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत से चलने वाले कई मुस्लिम-विरोधी फर्जी खातों ने फलीस्तीनी विरोधी सामग्री जारी की, जो बेहद खतरनाक थी. उधर अल जजीरा चैनल को सफाई जारी करनी पड़ी कि कतर स्थित एक एक्स खाते से उसका कोई लेना-देना नहीं है.

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नेशनल एसोसिएशन फॉर मीडिया लिटरसी एजुकेशन की प्रमुख मिशेल सीलिया लिपकिन कहती हैं, "सूचनाओं की फैलती आग से निकल पाना बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है. क्लिक्स पाने और शोर बढ़ाने के लिए समाचारों की यह नदी लगातार बहती रहती है. अब यह स्पष्ट हो गया है कि ईलॉन मस्क एक्स को सूचना के एक भरोसेमंद स्रोत के रूप में नहीं बल्कि अपने नये बिजनस के रूप में देखते हैं.”

इस बारे में एक्स से टिप्पणी मांगी गयी लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)

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