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रूस को हथियारों की कैसी मदद दे सकता है उत्तर कोरिया

८ सितम्बर २०२२

ऐसा लग रहा है कि उत्तर कोरिया अपने सहयोगी देश रूस को रॉकेट और टैंक के गोले की सप्लाई दे रहा है. इनमें से ज्यादातर उसके पुराने जखीरे में से निकले हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इस बारे में खबर दी है.

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तस्वीर: KCNA /AP Photo/picture alliance

रूस ने हथियार खरीदने के बारे में इस रिपोर्ट को "फेक" करार दिया है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इससे यूक्रेन की जंग में रूस की हताशा का पता चलता है साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि रूस उत्तर कोरिया से अतिरिक्त सैन्य हथियार खरीद सकता है.

उत्तर कोरिया रूस को जो गोला बारूद बेचना चाहता है वो दरअसल सोवियत जमाने के हथियारों की नकल से बनाये गये हैं और ये रूसी लॉन्चरों में फिट हो सकते हैं. हालांकि उनकी क्वालिटी को लेकर सवाल हैं साथ ही यह भी कि रूसी सेना को इनसे कितनी मदद मिलेगी.

उत्तर कोरिया रूस को क्या दे सकता है?

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और निर्यात की पाबंदियों में घिरे रूस ने अगस्त में ईरान में बने ड्रोन खरीदे थे लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इनमें कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. हथियारों की सप्लाई के लिए उत्तर कोरिया रूस का एक और अच्छा विकल्प बन सकता है. इसकी वजह है कि उत्तर कोरिया के पास गोला बारूद का एक बड़ा रिजर्व मौजूद है. इनमें से ज्यादातर सोवियत जमाने के हथियारों और गोला बारूद की नकल करके बनाये गये हैं.

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इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज, आईआईएसएस के रिसर्च एसोसियेट जोसेफ डेंबसे का कहना है कि उत्तर कोरिया, "रूस के बाहर उपयुक्त तोप के गोले का अकेला बड़ा स्रोत बन सकता है, और अधिक सप्लाई के लिये इसमें घरेलू स्तर पर उत्पादन की सुविधायें भी शामिल हैं."

उत्तर कोरिया को रूस से मदद मिलती रही है
उत्तर कोरिया के पास हथियार और गोला बारूद का बड़ा जखीरा हैतस्वीर: YNA/dpa/picture alliance

दक्षिण कोरिया में कोरियन डिफेंस नेटवर्क से जुड़े विशेषज्ञ ली इलवू का कहना है कि बीते 70 सालों से सबसे ज्यादा किलेबंदी वाली सीमा से उत्तर और दक्षिण में बंटे कोरिया में दोनों तोप के लाखों गोले तैयार रखते हैं. उत्तर कोरिया इन पुराने गोला बारूद को बेच कर उनकी जगह नया गोला बारूद लाना चाहेगा जो मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और उन्नत मिसाइलों के लिये ज्यादा उपयोगी होंगे.

उत्तर कोरिया की परमाणु हथियारों और गाइडेड मिसाइलों पर बढ़ती निर्भरता ने भी इन पुराने पड़ चुके हथियारों की जरूरत कम कर दी है. कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के विशेषज्ञ अंकित पांडा का कहना है कि किसी जमाने में इन हथियारों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी.

हालांकि कैलिफोर्निया के रैंड कार्पोरेशन में वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रुस बेनेट का कहना है कि रूस को भेज जाने वाले गोला बारुद में एके-47 राइफल और मशीनगन जैसे छोटे हथियारों की गोलियों की हिस्सेदारी ज्यादा है. बेनेट ने कहा, "तोप के गोले और रॉकेट लाखों की संख्या में नहीं है क्योंकि उनका इस्तेमाल नहीं हो पायेगा. ये छोटे हथियारों की लाखों गोलियां हो सकती हैं."

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उत्तर कोरियाई हथियारों में कितना दम है

आईआईएसएस के आकलन के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास 20 हजार मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर हैं जो सेवा में शामिल हैं. डेंपसे का कहना है "यह संख्या दुनिया में किसी भी देश की तुलना में बहुत ज्यादा है."

उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया का अपने देश की आर्टिलरी गनों के बारे में कहना है, "पीपुल्स आर्मी का पहला हाथ और दुनिया का सबसे ताकतवर हाथ है" जो दुश्मनों के ठिकाने को, "लपटों के सागर में" बदल देगा. हालांकि जिन पुराने हथियारों की सप्लाई रूस को करने के आसार हैं उनके सटीक होने पर सवाल उठते रहे हैं.

उत्तर कोरिया के सैनिकों की परेड
दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक उत्तर कोरिया के पास हैतस्वीर: Yonhap/picture alliance

2010 में दक्षिण कोरिया के मोर्चे येओनपेयोंग द्वीप पर उत्तर कोरिया के टैंकों ने हमला किया था. बनेट का कहना है कि उत्तर कोरिया के 300-400 हथियारों में से केवल 80 ही अपने निशाने पर लगे थे. ली ने बताया है कि उत्तर कोरिया के करीब आधे गोले द्वीप पर पहुंचने से पहले ही पानी में गिर गये.

पर्यवेक्षक यूक्रेन में उत्तर कोरिया के हथियारों की उपयोगिता पर संदेह जताते हैं. अभी यह साफ नहीं है कि रूस के पास गोलाबारूद की कमी के बारे में जो खबरें आ रही हैं उनमें कितनी सच्चाई है. अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने पत्रकारों से कहा कि रूस हर दिन दस हजार से ज्यादा टैंक के गोले दाग रहा है और वह हमेशा यह करते नहीं रह सकता है.

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उत्तर कोरियाई मिसाइलों की उम्मीद नहीं

इस बात के आसार नहीं है कि उत्तर कोरिया रूस को अपने बैलिस्टिक मिसाइल देगा. सियोल की असान इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज के के यांग उक का कहना कि उन्हें वह अमेरिका और सियोल के खिलाफ अपनी सैन्य रणनीति के लिये बहुत जरूरी मानता है.

अगर उत्तर कोरिया रूस को मिसाइलों की सप्लाई के बारे में सोचता है तो उसे उनके लिये लॉन्च प्लेटफॉर्म भी भेजने पड़ेंगे क्योंकि रूस के पास उत्तर कोरियाई स्कड और दूसरे मिसाइलों के लिये लॉन्च पैड नहीं हैं.

युद्ध लंबा खिंचने से रूस को दूसरे देशों से हथियार लेने की जरूरत पड़ रही है
रूस यूक्रेन में हर दिन भारी संख्या में रॉकेट और टैंक से गोले दाग रहा हैतस्वीर: IMAGO/SNA

उत्तर कोरिया ने आसानी से कहीं भी ले जाये जाने वाले न्यूक्लियर केबल बैलिस्टिक मिसाइल विकसित किये हैं. बुनियादी रूप से माना जाता है कि ये रूस के इसकंदर मिसाइल पर आधारित हैं लेकिन दोनों मिसाइलों के आकार में बहुत फर्क है.

उत्तर कोरिया कई चीजें रूस को दे सकता है क्योंकि दोनों के पास सोवियत जमाने के हथियार हैं. हालांकि गोला बारूद के बारे में यही माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया के गोला बारूद काफी पुराने हैं और बेकार होने वाले हैं.

हथियारों के बदले में उत्तर कोरिया को क्या मिलेगा

हथियारों के बदले उत्तर कोरिया रूस से भोजन, ईंधन और दूसरी चीजें चाहेगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया के लिये इन सब को हासिल करना मुश्किल हो रहा है. पांडा का कहना है कि उत्तर कोरिया को रूस से नगदी भी मिल सकती है या फिर शायद उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को लागू करने में रूस ढिलाई वाला रुख अपना सकता है. इसके अलावा उत्तर कोरिया के अपने मिसाइल प्रोग्राम के लिये जरूरी सामान की सप्लाई भी शामिल है.

बेनेट का कहना है कि उत्तर कोरिया ईंधन के रूप में इसकी कीमत चाहेगा. अपने उन्नत हथियारों के लिये वह रूस से तकनीक भी मांग सकता है इसमें परमाणु परीक्षण के लिये उसे जिन तकनीकों की जरूरत है वह भी शामिल हैं.

एनआर/एए (एपी)