1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिउत्तरी कोरिया

महिला सुप्रीमो के लिए कितना तैयार है उत्तर कोरिया

२२ नवम्बर २०२२

उत्तर कोरिया के सुप्रीम नेता किम जोंग उन हाल ही में अपनी बेटी को दुनिया के सामने लाये. तभी से अटकलें लग रही हैं कि क्या वही अपने पिता की उत्तराधिकारी होंगी. जानिए कोरियाई समाज और राजनीति के जानकार इस पर क्या सोचते हैं.

https://p.dw.com/p/4JtKQ
Nordkorea Korea I Kim Jong Un mit seiner Tochter
किम जॉन्ग उन अपनी बेटी के साथ पहली बार दुनिया के सामने आएतस्वीर: Korean Central News Agency/Korea News Service/AP/picture alliance

किम जोंग उन की बेटी का नाम कहीं सरकारी मीडिया ने नहीं छापा. मौका था उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण का. बेटी ने पिता का हाथ पकड़ कर मिसाइल को लॉन्च होते देखा. पहली बार यह बात जनता के सामने आई कि किम जोंग उन की कोई संतान भी है. इससे मीडिया के जरिए यह संदेश दिया गया कि किम परिवार में और लोग भी हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि एक कोरियाई महिला के लिए अपने ही कुल में सर्वोच्च जगह बनाना वैसे तो बहुत कठिन होगा लेकिन दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है. ऐसा ना हुआ तो सन 1948 से चला आ रहा किम परिवार का राज किम जोंग उन के साथ ही खत्म हो जाएगा.

क्या संदेश देना चाहते हैं किम

सरकारी मीडिया ने इस बारे में रिपोर्टिंग में यह लिखा कि अभी उनकी बेटी को उत्तराधिकारी बताना जल्दबाजी होगी. मीडिया में बताया गया कि किम तो जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि परमाणु हथियार देश के सभी बच्चों को सुरक्षित रखेंगे.

उत्तर कोरिया की महिला नेताओं के बारे में किताब लिख चुकी दक्षिणी कोरियाई लेखिका शुन सू-जिन कहती हैं कि उत्तर कोरिया का कुलीन वर्ग किम की बेटी को शासिका के रूप में कतई स्वीकार नहीं करने वाला. वह कहती हैं, "वे एक दूसरे जेंडर वाले नेता का स्वागत करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं." सरकारी मीडिया की तरह उनका भी मानना है कि किम अपनी बेटी को सामने लाकर जनता को केवल यह संदेश देना चाहते हैं कि वह "एक बहुत प्यार करने वाले पिता हैं ना कि केवल एक क्रूर तानाशाह जो मिसाइलें दागता रहता है."

कई दूसरे जानकारों का तर्क है कि भले ही उत्तर कोरिया का समाज बहुत ज्यादा पितृसत्तात्मक है लेकिन केवल महिला होने के नाते किम की बेटी या किसी और महिला को सत्ता संभालने से नहीं रोका जाएगा. नॉर्थ कोरिया लीडरशिप वॉच के निदेशक माइकल मैडन कहते हैं कि अभी तो किम जोंग उन केवल 40 साल के आसपास हैं. अगर अचानक कोई बहुत बड़ी बीमारी ना हो जाए या किसी कारण से उनकी मृत्यु ना हो जाए तो उनके पास अपना उत्तराधिकारी चुनने का बहुत समय होगा. मैडन के कहा, "इससे उत्तर कोरिया के राजनीतिक चलन को बदलने का भरपूर समय मिलेगा और एक महिला उत्तराधिकारी के लिए लायक स्थितियां तैयार करने का भी.”

कोरियाई राजनीति में महिला नेताओं का इतिहास

किम ने खुद अपने राज में कितनी ही महिलाओं को शक्तिशाली पदों पर जगह दी. इनमें उनकी बहन यो जोंग का नाम प्रमुखता से आता है जो कि देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनीं. '38 नॉर्थ' शोध संस्थान से जुड़ी रिसर्चर रेचल मिनयंग ली बताती हैं, "किम जोंग अगली पीढ़ी के हैं. कई मामलों में अपने पिता और दादा से काफी अलग हैं, खासकर बदलावों को लेकर वह अपने दादा परदादा से कहीं ज्यादा खुले हैं."

कई अपुष्ट सूत्रों के हवाले से किम की तीन संतानों का पता चला है. अब तक उनके किसी बेटे का पता नहीं चला है. उत्तर कोरिया में मान्यता है कि किम परिवार "माउंट पेक्टू वंश” का है जो कि उसके चीनी सीमा से लगे एक ज्वालामुखी का नाम है. इस इलाके और इस वंश से उत्तर कोरिया की सत्ताधारी पार्टी का लंबा इतिहास जुड़ा है.

पहले भी महिलाओं ने बहुत वरिष्ठ पद संभाले हैं लेकिन किम जोंग इल ने अपनी कई बड़ी बेटियों और बेटों को छोड़ कर किम जोंग उन को अपना उत्तराधिकारी बनाया था. मैडन बताते हैं कि उस समय माना जाता था कि जोंग इल अपनी दूसरे नंबर की बेटी का नाम घोषित कर सकते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

अलग थलग और समस्याग्रस्त

38 नॉर्थ ने 2020 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि उत्तर कोरियाई महिलाओं के लिए राजनीतिक कुलीन वर्ग के बदलाव असल में समाज और राजनीतिक दायरे के बड़े बदलावों के सूचक नहीं हैं. उत्तर कोरिया भूराजनैतिक स्तर पर बाकी दुनिया से काफी अलग थलग है और उस पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से परमाणु कार्यक्रमों को लेकर कई प्रतिबंध लगे हुए हैं. कई मानवाधिकार कार्यकर्ता ऐसी जानकारी देते रहे हैं कि देश में यौन अपराधों और लैंगिक हिंसा की बहुत बड़ी समस्या व्याप्त है.

2020 में किम जोंग उन की सेहत खराब होने की खबरों के बीच उनकी बहन किम यो जोंग का नाम सुर्खियों में आया था. तब वे करीब 30 साल की थीं और परिवार की तरफ से राजनीति में सक्रिय थीं. देश में परंपरा रही है कि जो भी अगला सुप्रीम नेता बनने वाला हो वह काम का अनुभव इकट्ठा करे. यानि अगर किम जोंग उन की बेटी को सत्ता संभालनी है तो अगरे दस साल उनके सीखने के साल होंगे. देखना ये होगा कि क्या वे देश के परमाणु कार्यक्रम और आर्थिक विकास के मोर्चे पर कोई अपनी राय को जगह दिलवा पाती हैं. प्रिंसटन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स की रिसर्चर डार्सी ड्राउट कहती हैं,"अंत में वंश, सैन्य एवं आर्थिक विकास की काबिलियत मायने रखेगी, किम वंश की चौथी पीढ़ी में यह जेंडर से कहीं ज्यादा वजन रखेगा."

आरपी/एनआर (रॉयटर्स)

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_