1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मानव मस्तिष्क के रहस्यों से पर्दा उठाएंगे नए मस्तिष्क एटलस

फ्रेड श्वालर
२० अक्टूबर २०२३

कुछ महत्वपूर्ण रिसर्च से मस्तिष्क के बारे में कई नए ब्यौरे सामने आए हैं. साथ ही यह भी पता चला है कि मस्तिष्क किन चीजों से मिलकर बना है. रिसर्च के ये नतीजे मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों को समझने में बड़े मददगार साबित होंगे.

https://p.dw.com/p/4Xo17
दिमाग का एटलस बनाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली
दिमाग का एमआरआई स्कैनतस्वीर: IMAGO/Cover-Images

यह बात चौंकाने वाली हो सकती है अगर कहा जाए कि आपका दिमाग दूसरों से अलग तरह से जुड़ा हुआ है? कुछ नए रिसर्च से यह पता करने में मदद मिल सकती है कि हमारा दिमाग कोशिकीय स्तर पर कैसे काम करता है. इस बारे में नई रिसर्च के नतीजा 12 अक्टूबर को 21 पेपरों के एक समूह में प्रकाशित हुआ है.

विशेषज्ञों का कहना है कि ये अध्ययन मस्तिष्क और दिमाग के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे और अल्जाइमर, सीजोफ्रेनिया और अवसाद जैसी बीमारियों से जुड़े रहस्यों को सुलझाएंगे.

अमेरिका के ला जोला के साल्क इंस्टीट्यूट के जीवविज्ञानी जोसेफ एकर भी इस अध्ययन से जुड़े हैं और 21 रिसर्च पेपरों में से एक का उन्होंने नेतृत्व किया है. जोसेफ एकर कहते हैं, "अध्ययनों का यह संग्रह मानव मस्तिष्क और उसके विकास को और अधिक विस्तृत स्तर पर समझने का एक प्रयास है. यह कोशिकाओं से शुरू होकर मस्तिष्क के निर्माण खंडों पर ध्यान केंद्रित करता है.”

दिमाग की कोशिकाओं की मौत का रहस्य सुलझा

ये अध्ययन अमेरिका के नेतृत्व वाले ब्रेन इनिशिएटिव का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य मस्तिष्क के रहस्यों को उजागर करना है. यह दुनिया भर में कई अरब डॉलर की परियोजनाओं में से एक है जिसका उद्देश्य व्यापक मस्तिष्क एटलस बनाना है. ये मस्तिष्क परियोजनाएं तंत्रिका विज्ञान के उसी मानव जीनोम परियोजना का संस्करण हैं, जिसने 2003 में पहले पूर्ण मानव जीनोम को सफलतापूर्वक मैप किया था. उसी तरह नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, जो ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बदल रहा है.

 हिप्पोकैंपस सीखने और याददाश्त में बड़ी भूमिका निभाता है.
चूहे के दिमाग में हिप्पोकैंपस का क्रॉस सेक्शन जिसमें न्यूरॉन्स हरे रंग में दिखाई दे रहे हैं. हिप्पोकैंपस सीखने और याददाश्त में बड़ी भूमिका निभाता है. तस्वीर: IMAGO/BSIP/NIH/Image Point

क्या हमारे पास पहले से ही मस्तिष्क का नक्शा नहीं है?

शरीर विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क के एटलस बनाने में कई सदियां बिताई हैं और इसके उपविभागों, परतों और खांचे का मानचित्रण किया है. हाल की तकनीकों से मस्तिष्क के आंतरिक क्षेत्रों की कोशिकीय संरचना की सुंदर चित्र सामने आए हैं.

हालांकि मस्तिष्क के बारे में हमारी समझ बंटी हुई थी. एनाटॉमी से जुड़े मानचित्रों में इस बात की जानकारी का अभाव था कि कोशिकाएं कैसे काम करती हैं और विभिन्न काम करने वाली कोशिकाएं मस्तिष्क में किस जगह होती हैं. अभी हाल ही में, न्यूरोसाइंस के वैज्ञानिकों ने यह समझने की कोशिश की कि ये मस्तिष्क कोशिकाएं और वे जिस क्षेत्र में हैं, वे कैसे कार्य करती हैं. मसलन, वे भावनाओं, दृष्टि या दर्द, या सिजोफ्रेनिया या डेमेंशिया जैसी रोग की स्थितियों में कैसे योगदान करती हैं.

न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोसाइंटिस्ट पैट्रिक हॉफ ने ब्रेन इनीशियेटिव से जुड़े रिसर्च में से एक का नेतृत्व किया है. वो कहते हैं, "हमारे पास सामान्य मस्तिष्क के बारे में व्यापक दृष्टिकोण नहीं था जिससे हमें मस्तिष्क के रोगों को समझने में मदद मिल सके. लेकिन अब हम इसके करीब पहुंच रहे हैं.”

अंतरिक्ष में रहने वालों के मस्तिष्क पर क्या असर होता है

ब्रेन सेल एटलस अभूतपूर्व विवरण देता है

इस पहल के बारे में नई बात यह है कि यह मस्तिष्क की शारीरिक रचना को कोशिका क्रिया से जोड़ती है. डीडब्ल्यू से बातचीत में एकर कहते हैं, "सेल्युलर स्तर पर मानव मस्तिष्क को गहराई से समझने का यह पहला प्रयास है.” प्रत्येक अध्ययन मस्तिष्क की विभिन्न कार्टोग्राफी को बनाने में मदद करता है, प्रत्येक मानचित्र मस्तिष्क के बारे में पूरक जानकारी प्रदान करता है. मानचित्र विभिन्न स्तरों पर मस्तिष्क से संबंधित हैं- जीन से लेकर कोशिकाओं तक, सेल्युलर संरचनाओं से लेकर बड़े मस्तिष्क क्षेत्रों तक और अंत में संपूर्ण मस्तिष्क तक.

कोशिकीय माप पर बने ब्रेन एटलस से दिमागी बीमारियों की पहचान और इलाज में मदद मिलेगी.
इस तरह के ब्रेन स्कैन दिमाग की गतिविधियों के बारे में अहम जानकारी देते हैं. कोशिकीय माप पर बने ब्रेन एटलस से दिमागी बीमारियों की पहचान और इलाज में मदद मिलेगी. तस्वीर: Knop et al., JNeurosci 2021/AFP

ये मानचित्र मस्तिष्क के बारे में हमारे विविध ज्ञान को एकीकृत करते हैं और इसकी जटिलता को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे. उदाहरण के लिए, एकर के अध्ययन ने मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति का एक अत्यधिक विस्तृत मानचित्र तैयार किया, जिससे ‘बार कोड' का निर्माण हुआ. उन्होंने यह भी ट्रैक किया कि विकास के दौरान वे कैसे बदलते हैं. इस अध्ययन ने मस्तिष्क कोशिकाओं की जबरदस्त विविधता पर भी प्रकाश डाला है.

इस बीच, हॉफ के अध्ययन ने ब्रोका एरिया का एक गूगल मानचित्र जैसा उपकरण बनाया है. ब्रोका एरिया, ब्रेन के मोटर कॉर्टेक्स का एक क्षेत्र है जो बोली और भाषा को नियंत्रित करता है.

मस्तिष्क के रोगों का इलाज ही अंतिम लक्ष्य है

हालांकि ब्रेन एनीशिएटिव अभी ‘नीले आकाश का विज्ञान' जैसा ही है यानी जिसका उद्देश्य कुछ खोज करना पर वास्तव में क्या यह पता नहीं है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह शोध आखिरकार मस्तिष्क के रोगों को समझने और उनका इलाज करने में मदद करेगा. डीडब्ल्यू से बातचीत में हॉफ कहते हैं, "बीमारियों का इलाज करना निश्चित तौर पर हमारा अंतिम लक्ष्य है. लेकिन मस्तिष्क की बीमारियों को समझने के लिए, हमें पहले यह जानना होगा कि सामान्य मस्तिष्क में क्या हो रहा है. यही हमारा उद्देश्य है.”

हॉफ कहते हैं कि महत्वपूर्ण बात यह है कि हम मस्तिष्क के विकास के माध्यम से यानी भ्रूणीय अवस्था से लेकर बुढ़ापे तक का एटलस बनाते हैं. हम तभी पूरी तरह से समझ सकते हैं कि मस्तिष्क में क्या गलत हुआ है. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि हम समझ सकते हैं कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, अवसाद और सिजोफ्रेनिया जैसे मानसिक रोगों और अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में क्या होता है.”

दिमाग और शरीर के बीच रिश्ता ढूढा वैज्ञानिकों ने

एकर को यह भी उम्मीद है कि अध्ययन से इन बीमारियों के इलाज के लिए नए प्रयोग करने में मदद मिलेगी. एकर कहते हैं, "इसका मतलब है कि हम एक निश्चित बीमारी से प्रभावित कोशिका के प्रकारों को लक्षित करने के लिए नए उपकरण बना सकते हैं. उदाहरण के लिए, यह हमें बेहतर जीन थेरेपी बनाने में मदद कर सकता है जो अल्जाइमर रोग का इलाज करती है. इसके जरिए उपचार बहुत विशिष्ट होंगे.”

ब्रेन पेसमेकर से मिलेगा पार्किंसन्स के मरीजों को आराम

वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं

एक तरफ तो ये अध्ययन मस्तिष्क के बारे में हमारे खंडित ज्ञान को एकीकृत करने में मदद कर रहे हैं, दूसरी ओर, ब्रेन इनीशियेटिव ने खुद खंडित न्यूरोसाइंटिस्ट समुदाय को एकीकृत करने में मदद की है. एकर का कहना है, "इतने सारे न्यूरो वैज्ञानिकों के लिए मानव जीनोम परियोजना की तरह एक परियोजना पर एक साथ काम करना एक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक बदलाव था. यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है और इसमें वास्तव में कोई वाद-विवाद नहीं है. यह अपने आप में एक कहानी है.”

यूरोपीय संघ और जापान में चल रहे अन्य मस्तिष्क परियोजनाओं के बीच सहयोग भी सफल रहा है, जहां ओपन-एक्सेस डेटा और उपकरण वैज्ञानिकों को मस्तिष्क रोगों के इलाज के सामान्य लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद कर रहे हैं.

नॉर्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट जान बजाली यूरोपीय संघ के फंड से चल रहे ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट के न्यूरोइन्फॉर्मेटिक्स लीडर हैं. यह परियोजना भी ब्रेन इनीशियेटिव जैसी ही है. बजाली कहते हैं, "हम तंत्रिका विज्ञान में विभिन्न विषयों के बीच की सीमाओं को हटा रहे हैं. यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है जो नई खोजों के द्वार खोल रहा है.”

बजाली हालांकि ब्रेन इनिशिएटिव के 21 रिसर्चों में शामिल नहीं थे, लेकिन वो कहते हैं कि यह ब्रेन-मैपिंग के प्रयासों की दिशा में एक ‘उत्कृष्ट योगदान' है. नए अध्ययन वर्तमान में मानव मस्तिष्क का पहला मसौदा हैं. ब्रेन इनीशियेटिव का लक्ष्य 2024 की शुरुआत में चूहे के मस्तिष्क का अपना पहला पूर्ण एटलस प्रस्तुत करना है, जिसे बाद के वर्षों में मानव मस्तिष्क के साथ प्रस्तुत किया जाएगा.

बजाली कहते हैं, "इन मस्तिष्क परियोजनाओं का कारण वही है जो ब्रह्मांड में हमारी रुचि का कारण है, यानी यह जिज्ञासा से प्रेरित है, लेकिन मस्तिष्क रोगों को समझने की आवश्यकता से भी प्रेरित है.”