क्या बर्ड फ्लू बन सकता है अगली विशाल महामारी?
११ दिसम्बर २०२४इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बर्ड फ्लू कभी इंसानों के बीच भी फैलने लगेगा. अमेरिका की स्वास्थ्य एजेंसियों ने जोर देकर कहा है कि आम लोगों को इससे खतरा कम ही है, लेकिन ये भी सच है कि इसे लेकर स्थिति बदलती जा रही है.
'एचफाइवएनवन' बर्ड फ्लू वैरिएंट सबसे पहले चीन में 1996 में सामने आया था. पिछले चार सालों में यह पहले से ज्यादा व्यापक रूप से फैला है. यह अंटार्टिका जैसे इलाकों में भी पहुंच गया है, जहां यह पहले नहीं था.
'वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ' ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अक्टूबर 2021 से अब तक 30 करोड़ घरेलू पक्षियों को मारा जा चुका है और 79 देशों में कई जंगली पक्षियों की भी मौत हो चुकी है. संक्रमित पक्षियों को खाने वाले सील जैसे स्तनधारी जीव भी बड़ी संख्या में मारे गए हैं.
बदल रहा है वायरस का स्वरूप
मार्च 2024 में यह स्थिति फिर बदल गई, जब वायरस पहली बार अमेरिका में दुधारू गायों में फैलने लगा. अमेरिका के 'सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' के मुताबिक, इस साल देश में 48 लोग बर्ड फ्लू से संक्रमित पाए गए हैं. इनमें दो ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनके किसी संक्रमित पशु के संपर्क में आने की कोई जानकारी नहीं थी.
इस बात का भी डर है कि इंसानों में कुछ मामले पकड़ में ही नहीं आ रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने बताया कि अमेरिका के मिशिगन और कोलोराडो में 115 डेयरी कर्मचारियों की जांच की गई और उनमें से आठ के नमूनों में बर्ड फ्लू के एंटीबॉडी पाए गए, यानी सात प्रतिशत की संक्रमण दर.
अमेरिका के एसएएस इंस्टिट्यूट में महमारीविद मेग शैफर ने एएफपी को बताया कि अब ऐसे कई कारण हैं, जो संकेत दे रहे हैं कि "बर्ड फ्लू हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और किसी भी दिन एक नई महामारी शुरू कर सकता है."
हालांकि अभी भी 'एचफाइवएनवन' को लोगों के बीच आसानी से फैलने से रोकने के लिए कई अवरोधक हैं. इनमें यह तथ्य भी शामिल है कि वायरस को प्रभावी ढंग से इंसानी फेफड़ों को संक्रमित करने के लिए म्यूटेट करना होगा.
इंसानों से बस एक कदम दूर?
हाल ही में 'साइंस' पत्रिका में छपे एक शोध ने दिखाया कि अमेरिका में गायों को संक्रमित करने वाली बर्ड फ्लू की किस्म इंसानों में ज्यादा प्रभावी ढंग से फैलने के काबिल होने से बस एक म्यूटेशन दूर है.
बर्ड फ्लू से दुनिया में पहले इंसान की मौत
ग्लासगो विश्वविद्यालय में वायरस-विज्ञानी एड हचिंसन के अनुसार, यह संकेत है कि एचफाइवएनवन "हमारे लिए और ज्यादा खतरनाक" होने से बस "एक आसान कदम" दूर है.
हचिंसन ने यह भी बताया कि पिछले महीने बर्ड फ्लू से काफी बीमार एक कनाडाई किशोर की जेनेटिक सीक्वेंसिंग से "पता चला कि वायरस, मानव शरीर की कोशिकाओं के साथ और भी प्रभावी तरीके से जकड़ने के तरीके खोजने के लिए विकसित होना शुरू हो चुका है."
उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें अभी तक यह नहीं पता है कि एचफाइवएनवन इन्फ्लुएंजा वायरस विकसित होकर इंसानों को प्रभावित करने वाली बीमारी बन जाएंगे या नहीं."
शैफर ने इस संदर्भ में कहा कि वायरस को जितने ज्यादा पशुओं और अलग-अलग प्रजातियों में फैलने दिया जाएगा "उतना ही इसके इंसानों को ज्यादा प्रभावी रूप से संक्रमित करने के अनुकूल बनने की संभावना बढ़ती जाएगी."
उन्होंने यह भी कहा कि अगर बर्ड फ्लू महामारी फैल गई, तो वो इंसानों में "उल्लेखनीय रूप से गंभीर" होगी. इसका कारण यह है कि हमारे अंदर इसके खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं है.
उम्मीद की किरण
अमेरिकी कृषि श्रमिकों के मामले अभी तक तुलनात्मक रूप से हल्के रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2003 से अभी तक रिकॉर्ड किए गए एचफाइवएनवन के 904 इंसानी मामलों में से करीब आधे मामले घातक रहे हैं.
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में वायरस विज्ञानी टॉम पीकॉक ने बताया, "एक महामारी की संभावना के बारे में कम निराशावादी" होने के कई कारण है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि बर्ड फ्लू के लिए एंटीवायरल इलाज और टीके पहले से उपलब्ध हैं. कोविड-19 के मामले में ऐसा नहीं था.
हालांकि, बचाव और एहतियात की ओर ध्यान दिलाते हुए कई स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने अमेरिकी सरकार से कहा है कि वह इसकी और जांच करके सुनिश्चित करे कि जरूरी जानकारी एजेंसियों और देशों के बीच साझा की जा रही है.
हाल ही में अमेरिका के कृषि मंत्रालय ने बर्ड फ्लू के लिए देश में उपलब्ध दूध की जांच करने की योजना का एलान किया. चिंता विशेष रूप से कच्चे दूध को लेकर है, जिसमें बार बार बर्ड फ्लू पाया गया है.
एक तरफ यह चिंता हैं और दूसरी तरफ सोशल मीडिया, जहां बीते कुछ समय से पके दूध की तुलना में कच्चे दूध को ज्यादा सेहतमंद बताते हुए कई पोस्ट और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य मामलों के कई जानकार इस चलन के प्रति लोगों को आगाह कर रहे हैं.
सीके/एसएम (एएफपी)