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ईरानी राष्ट्रपति चुनाव: दूसरे चरण में होगा विजेता का फैसला

३० जून २०२४

ईरानी राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती रुझानों से पता चलता है कि कट्टरपंथी सईद जलीली और सुधारवादी महसूद पेजेशकियान में कड़ा मुकाबला है. एक हेलीकॉप्टर हादसे में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ये चुनाव हो रहे हैं.

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ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में कुल चार उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें सईद जलीली और मसूद पेजेशकियान के बीच कड़ी टक्कर दिख रही हैतस्वीर: Majid Asgaripour/WANA/REUTERS

ईरान के गृह मंत्रालय का कहना है कि दोनों अहम उम्मीदवारोंमें से किसी को भी स्पष्ट जीत मिली है. इस तरह हार जीत का फैसला अब दूसरे चरण के मतदान में होगा जो 5 जुलाई को आयोजित होगा. 

ईरान में चुनाव कराने वाली संस्था के प्रवक्ता मोहसेन इस्लामी ने बताया कि कुल 2.45 करोड़ वोट पड़े. इसमें से उदारवादी उम्मीदवार और पेशे से हार्ट सर्जन मसूद पेजेशकियान को लगभग 1.04 करोड़ वोट मिले हैं जबकि उनके कट्टरपंथी प्रतिद्वंद्वी सईद जलीली ने 94 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए हैं. ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बागर कलीबाफ करीब 33 लाख वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे जबकि चौथे उम्मीदवार मौलाना मुस्तफा पोरमोहम्मदी के खाते में दो लाख से ज्यादा वोट आए हैं.

समाचार एजेंसी तस्मीन ने पहले ही लिखा था कि चुनाव के दूसरे चरण में जाने की संभावना नजर आ रही है. इस चुनाव में तय होगा कि राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह कौन होगा. मई में एक हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी मौत हो गई थी.

ईरान के चुनाव कानून के अनुसार, अगर किसी भी उम्मीदवार को चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिले तो चुनाव दूसरे चरण में जाता है जहां दो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होता है. पहले चरण के चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद जो भी पहला शुक्रवार होता है, उसी दिन दूसरे चरण का मतदान कराया जाता है, जो अब आने वाले शुक्रवार को होगा. 

जनता में असंतोष

ईरान में राष्ट्रपति चुनाव
ईरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से मुश्किल आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा हैतस्वीर: AHMAD AL-RUBAYE/AFP

ईरान में यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब जनता में आर्थिक मुश्किलों के साथ-साथ राजनीति और सामाजिक स्वतंत्रता पर कड़ी पाबंदियों को लेकर असंतोष है. शायद इसीलिए शुक्रवार को हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत बहुत कम रहा. करीब 40 प्रतिशत लोगों ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कम मतदान प्रतिशत ईरान की राजनीतिक व्यवस्था में घटती विश्वसनीयता का संकेत देता है. राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के इच्छुक लगभग 80 लोगों में सिर्फ छह उम्मीदवारों को ही मंजूरी मिली. उनमें से भी दो उम्मीदवार पीछे हट गए. इस तरह चुनावी मैदान में कुल चार उम्मीदवार हैं. 

चुनाव प्रचार के दौरान सभी उम्मीदवारों ने देश की खस्ता अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा किया है. कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते ईरान मुश्किल आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. 2015 में ईरान ने दुनिया के छह बड़े देशों के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर समझौता किया था, लेकिन 2018 में अमेरिका इस डील से हट गया. इसके बाद ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए गए.

ईरान के राष्ट्रपति चुनावों में ऐसे कोई चुनावी पर्यवेक्षक तैनात नहीं किए गए हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हो.

एके/एसके (रॉयटर्स, एपी)

कौन हैं राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी