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मदर टेरेसा की संस्था का चंदा रुका

चारु कार्तिकेय
२८ दिसम्बर २०२१

मिशनरीज ऑफ चैरिटी के चंदे के लाइसेंस को दोबारा अनुमति ना दिए जाने को ईसाइयों पर बढ़ते हमलों से जोड़ कर देखा जा रहा है. इससे पहले भी कई बार हिंदूवादी संगठन मदर टेरेसा और उनकी बनाई इस संस्था से नाराजगी दिखा चुके हैं.

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Indien | Missionarinnen der Nächstenliebe
तस्वीर: SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) को एफसीआरए लाइसेंस के नवीकरण की अनुमति नहीं दी गई है. लाइसेंस का नवीकरण 31 दिसंबर को होना था लेकिन मंत्रालय ने कहा कि संस्था के आवेदन पर विचार करते समय कुछ "प्रतिकूल जानकारी" मिली जिसकी वजह से अनुमति नहीं दी गई.

एमओसी ने नवीकरण की अनुमति न मिलने की पुष्टि की है लेकिन इस विषय में और कोई टिप्पणी नहीं की है. यह संस्था मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय कैथोलिक चर्च के तहत चलने वाला एक धार्मिक और सेवा संस्थान है. इसकी स्थापना मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में की थी.

पुराने आरोप

धीरे धीरे यह दुनिया भर में फैल गई और आज कई देशों में इसकी शाखाएं हैं. संस्था में विशेष रूप से गरीबों, बुजुर्गों, शरणार्थियों, पूर्व यौनकर्मियों, मानसिक बीमारियों से पीड़ित मरीजों, त्याग दिए गए बच्चों, कुष्ठरोगियों, एड्स पीड़ितों आदि की सेवा की जाती है.

Indien Kalkutta | Katholische Nonnen verteilen Snacks an Arme
कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन मुफ्त चाय और नाश्ता बांटते हुएतस्वीर: Sudipta Das/Pacific Press/picture alliance

मदर टेरेसा को उनके सेवा कार्यों के लिए 1962 में रमोन मैगसेसे पुरस्कार और फिर 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. 2015 में कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने उन्हें संत घोषित किया था.

लेकिन भारत में हिंदूवादी संगठन मदर टेरेसा और एमओसी पर लंबे समय से कभी प्रलोभन देकर और कभी जबरन धर्मांतरण करने के आरोप लगाते रहे हैं. कुछ ही दिनों पहले गुजरात के वडोदरा में जिला प्रशासन के एक अधिकारी की शिकायत पर एमओसी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया.

ईसाइयों पर हमले

संस्था के खिलाफ गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 के तहत "हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने" और "युवा लड़कियों को फुसला कर ईसाई धर्म में धर्मांतरण" करवाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई.

Flash-Galerie Friedensnobelpreisträger 1979 Mutter Teresa
मदर टेरेसा 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार स्वीकार करते हुएतस्वीर: AP

2015 में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था की मदर टेरेसा की सेवा का असली उद्देश्य लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण करवाना था. पिछले कुछ दिनों में देश के कई कोनों से लगातार हिंदूवादी संगठन और असामाजिक तत्वों द्वारा ईसाई चर्चों, पादरियों और यहां तक की चर्च द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों पर हमलों की खबरें आ रही हैं.

क्रिसमस के ही मौके पर हरियाणा में एक चर्च में ईसा मसीह की एक मूर्ती तोड़ी गई, एक स्कूल में क्रिसमस उत्सव को बीच में रोका गया और असम के सिल्चर में लोगों को क्रिसमस मनाने से रोका गया. उत्तर प्रदेश के आगरा में तो कुछ हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने सैंटा क्लॉज का पुतला जला दिया.

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