'मदर टेरेसा को तो बख्श दो'
२४ फ़रवरी २०१५राजस्थान के भरतपुर में दिए गए आरएसएस प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, "मैंने कोलकाता के निर्मल हृदय आश्रम में कुछ महीने मदर टेरेसा के साथ काम किया है. वह एक महान आत्मा थीं. कृपया उन्हें बख्श दें."
एनजीओ के माध्यम से लंबे समय तक सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के विवादित बयान के जवाब में आई है.
इससे पहले सोमवार को राजस्थान के भरतपुर में एक अनाथ आश्रम और महिला कल्याण केंद्र का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने कहा, "यहां मदर टेरेसा जैसी सेवा नहीं होगी. सेवाएं होती होंगी वहां लेकिन पीछे एक उद्देश्य रहता था. जिसकी सेवा होती थी वो ईसाई बन जाए. कोई किसी को ईसाई बनाए या न बनाए परन्तु सेवा की आड़ में वो किया जाता है तो उस सेवा का अवमूल्यन हो जाता है."
कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने भी भागवत के बयान की आलोचना की है. इसे कलंक लगाने की कोशिश करार देते हुए राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पायलट ने कहा, "दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों द्वारा इस तरह की चर्चा से मदर टेरेसा जैसी महान शख्सियत पर कलंक लगाने की कोशिश, ये एक सोचा समझा कदम है ताकि नकारात्मक भवनाएं निकाली जा सकें और इतिहास को विकृत किया जाए. अगर ये लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं तो उन्हें राष्ट्र निर्माण में लगना चाहिए."
यह पहला मौका नहीं है जब भारत में धर्म और कुछ शख्सियतों को लेकर बहस हो रही है. मई 2014 में बीजेपी के बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से आए दिन हिन्दू कट्टरपंथी संगठनों के विवादित बयान आते रहे हैं. लव जिहाद, घर वापसी, धर्म परिवर्तन और ऐतिहासिक उपलब्धियों का श्रेय लेने की होड़ अब आम हो चली है. दिल्ली में बीते महीनों में ईसाई धर्म के उपासना गृहों और प्रतिष्ठानों पर हमले हुए. यही वजह है कि गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत में घटती धार्मिक सहिष्णुता का जिक्र कर गए.
ओएसजे/आरआर (पीटीआई)