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समाज

कोविड-19 के कारण ब्लड बैंक भी सूने

आमिर अंसारी
८ जुलाई २०२०

देश में आम तौर पर रक्तदान शिविर का आयोजन सरकारी, निजी और गैर लाभकारी संगठनों की ओर से किया जाता है. बड़े मौके पर भी रक्तदान का आयोजन होता है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण रक्तदान में कमी देखने को मिली है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/C. Charisius

अस्पताल और ब्लड बैंकों में नियमित रूप से रक्त दानकर्ता जाने से हिचक रहे हैं. कारण है संक्रमण का डर और शारीरिक दूरी के सख्त नियम. भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी, एक स्वयंसेवी संगठन है जिसका देश भर में ब्लड बैंक का नेटवर्क फैला हुआ है. उसके मुताबिक उसने 14 अप्रैल से अब तक 57 रक्तदान शिविर दिल्ली में लगा पाए हैं. दरअसल लोगों में डर है कि वे अगर अस्पताल या फिर ब्लड बैंक रक्त दान के लिए जाएंगे तो उन्हें संक्रमण होने का खतरा रहेगा. हालांकि ऐसा नहीं है.

जानकार कहते हैं कि अगर साफ-सफाई और सावधानी से रक्तदान किया जाए तो संक्रमण के जोखिम का सवाल ही नहीं है. सांस फाउंडेशन के डॉ. पीपी बोस कहते हैं, "ब्लड डोनर हो या फिर प्लाजमा डोनर उन्हें सम्मान की नजर से देखना होगा." उनके मुताबिक देश में कोरोना और उसके पीड़ितों को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा गया है. डॉ. बोस कहते हैं, "कोरोना वायरस से ठीक हुआ शख्स सबसे फिट होता है और अगर ऐसे में वह खून या फिर प्लाजमा देता है तो उसका सम्मान भी होना चाहिए और उसकी सहायता भी होनी चाहिए."

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Frey

कोरोना संकट के पहले भी ऑपरेशन के लिए खून की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब इस महामारी की वजह से मांग और बढ़ी है लेकिन सप्लाई में कमी जरूर आई है. अनेक राज्यों में इमरेंजसी ऑपरेशन, कैंसर के इलाज, थैलेसीमिया जैसे इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पा रहा है. अगर केवल दिल्ली की ही बात की जाए तो संक्रमण के खौफ से दानकर्ताओं में भारी गिरावट रिपोर्ट की गई है. इसी के साथ कंटेनमेंट जोन के विस्तार की वजह से भी ब्लड बैंकों के पास जगह मौजूद नहीं है कि वे रक्तदान शिविर लगा पाए.

राजधानी दिल्ली में 70 से अधिक ब्लड बैंक हैं, जो नियमित रूप से स्कूलों, कॉलेजों और निजी संस्थानों में कैंप लगाकर 95 फीसदी तक खून इकट्ठा करते हैं. दिल्ली में भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी ने पिछले तीन महीनों में सिर्फ 2,500 यूनिट खून ही इंतजाम कर पाया जबकि इससे पहले तक संगठन हर महीने 25 रक्तदान शिविर का आयोजन करता था. डॉ. बोस कहते हैं कि जो लोग इस वक्त खून या फिर प्लाजमा देने के लिए जा रहे उनके लिए विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि लोगों के मन से संक्रमण का डर निकल जाए.

सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रतीक पाटिल कहते हैं, "रक्तदान महामारी के समय में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि संख्या नाटकीय रूप से कम हो गई है, हांलाकि जरूत तो अब भी उतनी ही है. खून का विकल्प कुछ और नहीं हो सकता है. महामारी के समय में भी रक्तदान किया जा सकता है क्योंकि सभी अस्पताल और ब्लड बैंक जरूरी सावधानी बरत रहे हैं." डॉ. बोस कहते हैं कि कोरोना से ठीक हुआ शख्स भी सावधानी के साथ ब्लड डोनेट कर सकता है लेकिन लोग उसकी ओर बड़ी हैरानी भरी नजरों से देखते हैं.

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