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अपराधभारत

असम में गैंगरेप की घटना पर चढ़ता सांप्रदायिक रंग

प्रभाकर मणि तिवारी
२७ अगस्त २०२४

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप व हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि पड़ोसी असम में एक नाबालिग छात्रा के सथ गैंगरेप की घटना के विरोध में महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ा.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने का भरोसा दिया है
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने का भरोसा दिया हैतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप व हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि पड़ोसी असम में एक नाबालिग छात्रा के सथ गैंगरेप की घटना के विरोध में महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ा. इस मामले में एक अभियुक्त ने पुलिस की हिरासत में ही कथित रूप से तालाब में कूद कर आत्महत्या कर ली है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के बयान ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्य के 12 से 14 जिलों में स्थानीय लोग अल्पसंख्यक हो गए हैं और उनकी जमीन व संपत्ति पर कब्जे के लिए ही वहां एक खास तबके ने आपराधिक गतिविधियां तेज कर दी हैं. विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक संगठनों ने मुख्यमंत्री के बयान की निंदा की है.

क्या है घटना?

असम के नगांव जिले के ढींग में रहने वाली 14 साल की छात्रा पड़ोसी गांव से ट्यूशन पढ़ कर साइकिल से लौटने के दौरान लापता हो गई थी. अगले दिन वह बेहोशी की हालत में खेत में मिली. पुलिस ने इस मामले में एक अभियुक्त की गिरफ्तारी की थी. लेकिन उसे तड़के करीब तीन बजे जब मौके पर ले जाया गया तो उसने कथित रूप से तालाब में कूद दर आत्महत्या कर ली. इस मामले के बाकी दो अभियुक्त फिलहाल फरार हैं. दूसरी ओर, घटना की जानकारी मिलने के बाद से ही इलाके में महिलाएं सड़कों पर उतर कर विरोध जता रही हैं.

उस छात्र के पिता गुवाहाटी में काम करते हैं जबकि उसकी मां का निधन बचपन में ही हो गया था. छात्रा के साथ रहने वाली उसकी चाची बताती हैं, "वह पढ़ कर पुलिस अफसर बनना चाहती थी. अब पता नहीं वह इस हादसे से कैसे उबर सकेगी?"

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सांप्रदायिक रंग

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हालांकि इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने का भरोसा दिया है. लेकिन साथ ही इसके बहाने उन्होंने राज्य के अल्पसंख्यक तबके पर निशाना साधते हुए इस मामले को सांप्रदायिक रंग भी दे दिया है. दरअसल, इस मामले में पीड़िता हिंदू है जबकि अभियुक्त मुसलमान. मुख्यमंत्री ने घटना के बाद कहा था कि असम के हिंदू समाज को समझना चाहिए कि उनका असली दुश्मन कौन है. हिंदू असमिया लोग पूरे राज्य में मुस्लिम तबके की साजिश और खतरनाक मंसूबों के शिकार हैं. ज्यादातर इलाकों में हिंदू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने डीडब्ल्यू से कहा, "असम में स्थानीय लोग खतरे में हैं. यह घटना अवैध अतिक्रमण की साजिश का सबूत है. यह पहला मामला नहीं है. लोकसभा चुनाव के बाद ऐसी घटनाएं बढ़ने के कारण अल्पसंख्यक तबके के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ गया है. वह लोग पहले ऐसी किसी घटना को अंजाम देते हैं ताकि हिंदू तबके के लोग डर कर वह जगह छोड़ कर कहीं और चले जाएं और उस जगह पर कब्जा किया जा सके. बीते 15 साल से राज्य में यह साजिश चल रही है."

उनका कहना था कि ढींग में भी असमिया लोगों पर इलाका छोड़ने का भारी दबाव है. वह असमिया संत श्रीमंत शंकरदेव की जन्मभूमि है. इलाके में पहले हिंदुओं की आबादी 90 फीसदी थी. लेकिन अब वहां मुस्लिमों की आबादी 90 फीसदी पहुंच गई है.

क्यों बढ़े रेप के मामले

असम में रेप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. खुद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया है कि इस साल लोकसभा चुनाव के बाद ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. लेकिन अब पुलिस इन पर अंकुश लगा रही है. उनका कहना था कि इस साल जनवरी से जुलाई तक रेप के 580 मामले दर्ज किए गए हैं. विपक्ष ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों के लिए सरकार को कटघरे खड़ा करते हुए इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने अपनी पोस्ट में बताया है कि वर्ष 2011 से अब तक राज्य में रेप के 40 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 3,546 मामले वर्ष 2019 में दर्ज किए गए थे. राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने न्यायपालिका से राज्य में फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना करने का अनुरोध किया है ताकि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के बाद दोषियों को सजा दी जा सके.

असम प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भावेश कलिता ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "असम में रेप की बढ़ती घटनाएं कोई संयोग नहीं बल्कि संगठित अपराध का नतीजा हैं. इसके पीछे ताकतवर लोगों का हाथ है. यही वजह है कि अपराधियों के मन में कोई खौफ नहीं है. लेकिन सरकार ऐसे अपराधियों को प्रश्रय देने वालों से सख्ती से निपटेगी."

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले पर राजनीति तेज

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष बबीता शर्मा डीडब्ल्यू से कहती हैं, "मुख्यमंत्री ने खुद ही मान लिया है कि असम महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. यह राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति के ढहने का सबूत है. सरकार को बीते दस वर्षो के दौरान महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और उन पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों का ब्योरा देते हुए एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. असम की बीजेपी सरकार महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में फेल रही है."

उनका कहना था कि मुख्यमंत्री की ओर से पेश आंकड़े तो उन मामलों के है जो पुलिस में दर्ज किए गए हैं. इसके मुकाबले दर्ज नहीं होने वाले मामलों की तादाद कहीं ज्यादा है.

राजनीतिक विश्लेषक विजय कुमार गोगोई डीडब्ल्यू से कहते हैं, "रेप की घटना कहीं भी हो सकती है. यह सही है कि राज्य में हाल के महीनों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं. लेकिन ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने से बचना चाहिए. अपराधियों की जाति व धर्म देखे बिना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए ताकि एक ठोस संदेश दिया जा सके. शीर्ष प्रशासनिक पद पर बैठे व्यक्ति की ओर से की गई सांप्रदायिक टिप्पणियों से सामाजिक वैमनस्य और बढ़ने का खतरा है."