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राजनीतिउत्तरी कोरिया

लोगों को निकलने से रोकने लिए उत्तर कोरिया क्या कर रहा है?

यूलियन रयाल
२ दिसम्बर २०२२

उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसने चीन से लगने वाली अपनी सीमा की व्यापक किलेबंदी की है और ऐसे किसी भी संदिग्ध को ‘गोली मार देने’ की नीति का कड़ाई से पालन किया जा रहा है जो सीमा पार करने की कोशिश करेंगे.

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उत्तर कोरिया
उत्तर कोरियातस्वीर: Lee Yong-Ho/dpa/picture alliance

उत्तर कोरिया ने नाटकीय रूप से चीन से लगी अपनी सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है. सीमा पर नई बाड़ें लगा दी गई हैं, दीवारें बना दी गई हैं और गार्ड टावर बनाए गए हैं ताकि कोरोनावायरस के साथ किसी भी व्यक्ति को देश की सीमा के भीतर घुसने से रोका जा सके.

एक मानवाधिकार समूह ने इसका निष्कर्ष कुछ इस तरह निकाला है कि उत्तर कोरिया ने ऐसा इसलिए किया है ताकि भुखमरी और राजनीतिक दमन जैसी स्थितियों के चलते उत्तर कोरिया के लोग देश से बाहर न जा सकें.

न्यूयॉर्क स्थित एक मानवाधिकार संगठन की ओर से यह रिपोर्ट 19 नवंबर को प्रकाशित हुई है जिसे तैयार करने के दौरान चीन से लगी करीब तीन सौ किमी लंबी उत्तर कोरिया की सीमा पर उपग्रह के जरिए तस्वीरें ली गईं. उत्तर कोरिया की उत्तरी सीमा करीब 1,300 किमी लंबी है जिसमें एक छोटा हिस्सा रूस से भी लगता है.

बाड़ और गार्ड टावर्स

जानकारों का कहना है कि साल 2019 के अंत में चीन में कोविड के मामले सामने आने के बाद से ही सीमा पर उत्तर कोरिया की यह तैयारी देखने में आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, "शुरुआती पड़ताल से पता चलता है कि 2020 की शुरुआत से ही कई इलाकों में नई बाड़ों का निर्माण किया गया है. बाड़ों की एक दूसरी पंक्ति भी बनाई गई है, पहले से ही बनी बाड़ों को और मजबूत किया गया है, पेट्रोलिंग वाले रास्तों को चौड़ा किया गया है और सीमा पर नए गैरिजन टॉवर, वॉचटावर और गॉर्ड पोस्ट्स बनाए गए हैं.”

ह्यूमन राइट्स वॉच यानी एचआरडब्ल्यू ने ट्यूमेन नदी के किनारे बसे सीमावर्ती शहर होएरुंग की गहन पड़ताल की है जो चीन के जिलिन प्रांत के सामने है.

सीमा का यह हिस्सा लंबे समय से तस्करों और भगोड़े लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है क्योंकि यहां नदी चौड़ी और छिछली है जिससे इसे पार करने में आसानी होती है. साल 2019 में, इस क्षेत्र के 7.4 किमी लंबे हिस्से को पूरी तरह से घेर दिया गया और पांच वॉच टावर लगा दिए गए.

अप्रैल 2022 में, उपग्रह से प्राप्त नए चित्रों से पता चलता है कि इस इलाके में 169 नई गार्ड चौकियां बना दी गईं, 9.5 किमी तक बाड़ को और मजबूत कर दिया गया और 9.2 किमी की दूरी में नई बाड़ तैयार कर दी गई.

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जनवरी 2020 में, उत्तर कोरिया दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया जिसने अपनी सीमाओं को पूरी तरह से बाहरी दुनिया के लिए सील कर दिया, ये कहकर कि ऐसा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए किया गया है.

अगस्त 2020 में, उत्तर कोरिया ने सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘बफर जोन' बनाने की भी घोषणा की और वहां सैनिक तैनात कर दिए. इन सैनिकों को आदेश दिया गया कि जो भी इस इलाके को बिना अनुमति पार करने की कोशिश करते हैं, उन्हें ‘बिना शर्त गोली मार दी जाए'. यह आदेश अभी भी लागू है.

नागरिकों का दमन

एचआरडब्ल्यू में वरिष्ठ रिसर्चर लिना यून कहती हैं, "उत्तर कोरिया की सरकार ने कोविड-19 से बचाव उपायों का उपयोग उत्तर कोरिया के नागरिकों के दमन और उन्हें खतरे में डालने में किया. सरकार को चाहिए कि वो अपनी ऊर्जा खाद्य सामग्री, वैक्सीन और दवाइयां उपलब्ध कराने और लोगों की आवागमन की स्वतंत्र और अन्य अधिकारों का सम्मान करने में करे.”

सोल स्थित कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल यूनिफिकेशन में पीस रिसर्च डिवीजन के डायरेक्टर डो क्युंग ओक कहते हैं कि उत्तर कोरिया ने अक्टूबर 2021 में इमर्जेंसी कम्युनिकेबल डिजीज कंट्रोल एक्ट में संशोधन पारित किए थे.

इसके मुताबिक, "सीमावर्ती क्षेत्र में नागरिकों और विदेशियों का संपर्क किसी कीमत पर नहीं होना चाहिए.”

कानून के अनुच्छेद 63 के मुताबिक, "कोई भी व्यक्ति यदि गुब्बारे जैसी भी किसी अनजान वस्तु के संपर्क में आता है, जो कि संदिग्ध तौर पर सीमा पार से आई हो, तो उस व्यक्ति पर 50,000 उत्तर कोरियाई वॉन का जुर्माना लगेगा.”

डीडब्ल्यू से बातचीत में डो कहती हैं, "कानून में सीमा से संबंधित नियमों से पता चलता है कि उत्तर कोरियाई अधिकारी सीमा पार से कोरोना वायरस के आने को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे इस बात की पुष्टि होती है कि सीमा पर इतने अतिरिक्त बैरियर लगाने के पीछे यही वजह है.”

वो कहती हैं, "यह मानना तर्कसंगत लगता है कि इसके जरिए उत्तर कोरियाई अधिकारी कोरोना वायरस और असामाजिक तत्वों, दोनों को रोकना चाहते हैं.”

बैरिकेड्स की वजह से वायरस का उत्तर कोरिया में जाना भले न रुका हो लेकिन भगोड़े और असामाजिक तत्वों को रोकने में ये काफी प्रभावी सिद्ध हुए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में 1,047 भगोड़े सुरक्षित तरीके से दक्षिण कोरिया पहुंच गए थे लेकिन 2020 में इनकी संख्या घटकर 229 और 2021 में सिर्फ 63 रह गई.

मिसाइलों का ताबड़तोड़ परीक्षण कर रहे किम जोंग उन चाहते क्या हैं?

संभावना जताई जा रही है कि 2022 में यह संख्या और भी कम हो गई होगी. दूसरी तिमाही में सिर्फ आठ भगोड़े सीमा पार करने में सफल रहे. इन भगोड़ों की मदद करने वाले समूहों का अनुमान है कि इस साल यह संख्या 50 से कम ही रहने वाली है.

पूर्ण नियंत्रण

उत्तर कोरिया में नरसंहार को रोकने वाले विश्वव्यापी गठबंधन के कार्यकर्ता और एकेडमीशियन योंग चाई कहते हैं, "ये नई दीवारें और बाड़ें लोगों को भीतर रखने के लिए तैयार की गई हैं. उत्तर कोरिया पिछले कई साल से बाड़ें बना रहा है क्योंकि वो चाहता है कि उसका अपने देश के नागरिकों पर पूर्ण नियंत्रण रहे. शासन को यह पता है कि ये भगोड़े बाहर जाकर अपने अनुभवों को अन्य लोगों को सुनाते हैं और जाहिर है, ये अनुभव कभी भी सकारात्मक नहीं होते.”

वो कहते हैं, "अधिकारी यह भी नहीं चाहते कि यहां के लोग बाहर जाएं और देखें कि दुनिया के अन्य देशों में लोग कैसे रह रहे हैं. मसलन, वे नहीं चाहते कि ये लोग भोजन, बोलने और यात्रा करने की आजादी जैसी बातों से परिचित हों. नागरिकों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए ये लोग कुछ भी करने को तैयार हैं क्योंकि यदि यह कड़ी टूटी तो शासन के लिए घातक साबित होगी.”

योंग कहते हैं कि इस किलेबंदी पर बड़ी लागत आई होगी जबकि इन संसाधनों को खाद्य सामग्री और दवाइयों जैसी जरूरी चीजों पर खर्च होना चाहिए ताकि नागरिकों का जीवन स्तर सुधर सके.

वो कहते हैं, "जो भी लागत आई हो, लेकिन यह धन लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर खर्च होना चाहिए था जो कि खाद्य पदार्थों की कमी के कारण अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. और सरकार का यह दावा करना कि सीमा को मजबूत कर दिया गया है, महज एक झूठ है. दरअसल, यह अपने नागरिकों को ही और ज्यादा नियंत्रित करने का एक उपाय है.”

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